Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

राहत: प्रवासी मज़दूरों, छात्रों और पर्यटकों को शर्तों के साथ घर लौटने की मिली इजाज़त

सीपीएम समेत विपक्षी दलों ने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए इसे देरी से लिया गया फ़ैसला बताया। साथ ही परिवहन की ज़िम्मेदारी राज्यों पर डालने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी की।
migrants
Image courtesy: India Today

केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान फंसे लोगों को शर्तों के साथ घर जाने की इजाज़त दे दी है। इसकी व्यवस्था संबंधित राज्य करेंगे। दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे लोगों के मूवमेंट के लिए 15 अप्रैल को जारी अपनी गाइडलाइंस के क्लॉज 17 के सब क्लॉज 4 में बदलाव किया है। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूर, तीर्थयात्री, टूरिस्ट, स्टूडेंट् और दूसरे लोग जगह-जगह फंसे हुए हैं। इन लोगों को शर्तों के साथ अपने गांव-घर जाने की अनुमति दी जाएगी।

बुधवार को दिशानिर्देश के मुताबिक अलग अलग राज्यों मे फंसे मज़दूर, छात्र, तीर्थयात्री, पर्यटक सड़क मार्ग से अपने घर लौट सकते हैं। लेकिन इसके लिए राज्यों के बीच आपसी सहमति होनी चाहिए और नोडल अधिकारी के जरिए ऐसे यात्रियों और समूहों को एक राज्य से भेजा जाएगा और दूसरे राज्य में उन्हें प्रवेश दिया जाएगा। इसके तहत वापसी के दौरान दो जगह पर स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से गुजरना होगा और 14 दिन क्वारंटीन में भी रहना होगा।

WhatsApp Image 2020-04-29 at 11.38.27 PM.jpeg

WhatsApp Image 2020-04-29 at 11.38.26 PM_0.jpeg

गौरतलब है कि 24 मार्च को अचानक लॉकडाउन की घोषणा के बाद लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर, छात्र और पर्यटक दूसरे राज्यों में फंस गए थे और उनकी घर वापसी एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। लोग पैदल भी घरों की ओर चल पड़े थे।

दिल्ली, गुजरात, केरल व महाराष्ट्र में मज़दूरों के हिंसक प्रदर्शन की घटनाएं भी सामने आने लगी थी। वहीं कोटा में फंसे छात्रों के अभिभावक भी उन्हें वापस लाने के लिए दबाव बना रहे थे।

क्या है प्रक्रिया?

गृहमंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राज्यों को नोडल अधिकारियों को नियुक्त करना होगा। इसके साथ वापसी चाहने वाले सभी लोगों का पंजीकरण भी करना होगा। यानी वापस आने वालों की पूरी जानकारी रखी जाएगी।

वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के पहले सभी की स्क्रीनिंग की जाएगी और जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे, सिर्फ उन्हें ही इजाज़त दी जाएगी। वापसी के दौरान बीच में आने वाले राज्यों को इन बसों को निकलने की सुविधा देने को भी कहा गया है।

वापसी के बाद प्रवासियों का एक बार फिर से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। इसके बावजूद उन्हें 14 दिन तक क्वारंटाइन में रहना होगा। गृहमंत्रालय ने इन सभी के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करने को कहा है ताकि क्वारंटीन के दौरान उनपर नजर रखी जा सके।

इस दौरान स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी इन सभी के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करते रहेंगे। दिशानिर्देश मे केवल बस का उल्लेख किया गया है। यानी निजी वाहनों से जाने पर रोक रह सकती है। दरअसल बस में जहां सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जाएगा वहीं प्रत्येक व्यक्ति पर भी नजर होगी।

देरी से दी गई राहत: येचुरी

दूसरी ओर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रवासी मजदूरों को उनकी परेशानियों के बाद अपने घर लौटने की अनुमति देने और उनके परिवहन की जिम्मेदारी राज्यों पर डालने के लिए बुधवार को सरकार पर निशाना साधा।

येचुरी ने एक ट्वीट में कहा ‘भूख सहित विभिन्न समस्याओं से प्रवासी मजदूरों के परेशान हो जाने के बाद अंतत: केंद्र ने उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी। लेकिन यह कैसे होगा? अब यह संबंधित राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे बसों की व्यवस्था करें, इसका खर्च उठाएं और स्वास्थ्य संबंधी सभी सावधानी बरतें।’

उन्होंने कहा, "केंद्र एक पैसा खर्च नहीं करेगा या उन्हें उनका बकाया देगा, जबकि मोदी सरकार 'मेहुल भाई' जैसे लोगों द्वारा लूटे गए हजारों करोड़ के ऋण को बट्टे खाते में डाल देती है। इस सरकार ने सांठगांठ वाले पूंजीपतियों द्वारा लिए गए 68,000 करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाल दिया लेकिन राज्यों को भुगतान करने के लिए कोई पैसा नहीं है?"

वहीं, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने लॉकडाउन के कारण देशभर में फंसे मजदूरों, विद्यार्थियों आदि को उनके घर पहुंचाने की अनुमति दिए जाने का स्वागत किया है। साथ ही कहा कि इन लोगों को घरों तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था पर्याप्त नहीं होगी। उन्होंने सुझाव दिया की प्रवासियों के लिए सैनिटाइज्ड ट्रेनें चलाई जाएं।

चिदंबरम ने ट्वीट किया, मैं प्रवासी मजदूरों और छात्रों की जांच कर बसों के जरिए राज्यों के बीच उनकी आवाजाही की अनुमति देने के सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं। कांग्रेस पार्टी अप्रैल मध्य से ही यह मांग कर रही है।'

अब जिम्मेदारी राज्यों पर!

केंद्रीय गृह मंत्रालय से ऐसे किसी फैसले की प्रतीक्षा लंबे समय से की जा रही थी। गौरतलब है कि जगह प्रवासी श्रमिक बेचैन हो रहे थे। बेहतर रहने और खाने की सुविधा न होने के चलते वे लगातार यह मांग भी कर रहे थे कि उन्हें उनके घर-गांव जाने दिया जाए। इनमें से कुछ तो लॉकडाउन के चलते कोई काम न होने के कारण अपने घर लौटना चाह रहे थे और कुछ फसल कटाई का काम करने के लिए। एक बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग थे जो भावनात्मक संबल के लिए अपने घर-गांव जाना चाह रहे थे।

ऐसे में जब जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अपने यहां के मजदूरों, छात्रों को लाना शुरू कर दिए तब दूसरे राज्यों में यह बेचैनी और भी बढ़ गई थी। हालांकि इसके बाद बड़ी जिम्मेदारी राज्यों पर है। अगर गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों में थोड़ी सी भी असावधानी बरती गई तो वह ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के प्रसार का कारण बन सकती है। ध्यान रहे कि अभी तक ग्रामीण इलाके संक्रमण से बचे हुए हैं।

साथ ही केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को यह चिंता करनी होगी कि अपने अपने घरों पर लौटने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट न खड़ा होने पाए। साथ ही उनके अपने कार्यस्थल पर वापस नहीं आने से कारोबारी गतिविधियों पर लगाम न लग जाए। कोरोना संक्रमण के दौर में यह दोनों ही स्थितियां खतरनाक होंगी। सरकार को इसकी भी रुपरेखा बनाकर रखनी होगी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest