‘छात्र-युवाओं के मुद्दे पर हुए रेफरेंडम के नतीजे जारी, ‘चलो दिल्ली’ का आह्वान किया गया
दिल्ली: सोमवार, 12 फरवरी को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में ‘यंग इंडिया’ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और 'यंग इंडिया रेफरेंडम' के नतीजे जारी किए। ‘यंग इंडिया’ ने छात्रों और युवाओं की शिक्षा और रोज़गार तथा उससे जुड़ी उनकी चिंताओं को जानने के लिए 7 से 9 फरवरी के बीच देश भर के 50 से अधिक विश्वविद्यालयों में मतदान के माध्यम से 'रेफरेंडम' (जनमत संग्रह) कराया था। आपको बता दें ‘यंग इंडिया’ युवा-छात्र संगठनों का एक संयुक्त मंच है।
जनमत संघर्ष के हवाले से यंग इंडिया का कहना है कि छात्र एवं युवाओं ने अपना मैंडेट दिया है कि पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के बावजूद भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सम्मानजनक रोज़गार तक सुनिश्चित करने में पूरी तरह विफल रही है। मोदी सरकार के 10 साल के उपर यंग इंडिया ने 10 मुद्दो पर चार्जशीट जारी भी जारी की।
चार्जशीट के माध्यम से यंग इंडिया ने सरकार पर बड़े पैमाने पर फीस वृद्धि और बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न करने, छात्र विरोधी सीयूईटी, एफवाईयूपी लागू करने, सामाजिक न्याय से समझौता करते हुए अल्पसंख्यकों और वैज्ञानिक मनोवृति पर हमला करने का आरोप लगाया। इसके अलावा कई छात्र संगठनों ने एक 'यंग इंडिया चार्टर' भी जारी किया।
यंग इंडिया ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से जानकारी दी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी(आरा), पटना विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय (बिहार), ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (बिहार), जामिया मिल्लिया इस्लामिया, अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली, एसके विश्वविद्यालय (आंध्र प्रदेश), डॉ. अब्दुल हक उर्दू विश्वविद्यालय (आंध्र प्रदेश), हैदराबाद विश्वविद्यालय, बेंगलुरु विश्वविद्यालय, श्री कृष्णदेवराय विश्वविद्यालय (कर्नाटक), पेरियार विश्वविद्यालय, जादवपुर विश्वविद्यालय (कोलकाता), कलकत्ता विश्वविद्यालय, आईसीएफएआई विश्वविद्यालय (त्रिपुरा), हेमचंद यादव विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़), अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, मणिपाल विश्वविद्यालय समेत देश के कई अन्य कॉलेज एवं विश्वविद्यालयों, छात्रावासों एवं छात्र इलाकों में 'यंग इंडिया रेफरेंडम' आयोजित किया गया।
प्रेस रिलीज़ के माध्यम से यंग इंडिया ने कहा, "राष्ट्रीय स्तर पर जनमत संग्रह में लगभग 1 लाख वोट पड़े जहां 88.33% छात्रों ने घोषणा की कि वे वार्षिक शुल्क वृद्धि के पक्ष में नहीं हैं। लगभग 86% छात्रों ने इस बात से इनकार किया कि केंद्र सरकार ज़रूरतमंद छात्रों के लिए पर्याप्त छात्रावास और छात्रवृत्ति प्रदान करने में सक्षम है। वहीं मोदी सरकार के हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने वाले अपने वादे को पूरा करने में पूरी तरह से विफलता के खिलाफ 91% छात्र-युवाओं ने मतदान किया है।"
"दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 13,048 वोट मिले, जहां तीन प्रश्नों पर क्रमशः 92%, 88% और 91% छात्रों का जवाब 'नहीं' में मिला। आंध्र प्रदेश में 23,450 वोटों के साथ, छात्रों और युवाओं ने क्रमशः 84%, 79% और 93% वोटों के साथ 'नहीं' में वोट दिया हैं। उत्तर प्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जनमत संग्रह के दौरान 1711 छात्र मतदान केंद्रों पर पहुंचे और 91% छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ मतदान किया, 79 फ़ीसदी छात्रों ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति या छात्रावास से कोई लाभ नहीं हुआ है, जबकि 87 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि सरकारें युवाओं के लिए रोज़गार पैदा करने में विफल रही हैं।"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिक्षक और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. लक्ष्मण यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हमारे परिसरों को जेलों में तब्दील किया जा रहा है। मैं एक पूर्व प्रोफेसर हूं क्योंकि विश्वविद्यालय अब अपने परिसर के अंदर लोकतांत्रिक विचारधारा वाले लोगों को नहीं रखना चाहता है और यह योजना अब यूनिवर्सल बनाया जा रहा है।"
महिला और नागरिकता अधिकार कार्यकर्ता नताशा नरवाल ने कहा, "शिक्षा का एक मुक्तिगामी उद्देश्य है। छात्रों को आलोचनात्मक सोच सीखनी चाहिए और सामाजिक अन्याय पर सवाल उठाना शुरू करना चाहिए। हालांकि, मौजूदा शासक ने सक्रिय रूप से सार्वजनिक शिक्षा के इस पहलू को नष्ट करने की कोशिश की है।"
साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में आंदोलन के छात्र कार्यकर्ता अपूर्वा ने भी प्रेस को संबोधित करते हुए कहा, "लोकतांत्रिक भारत के लिए युवा भारत का आह्वान सरकार को जवाबदेह ठहराने से शुरू होता है। हमें नौकरियों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नहीं।"
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को युवा हल्ला बोल के महासचिव प्रशांत कमल, एआईएसएफ के महासचिव दिनेश, एआईएसबी के अमित सिंह, आरवाईए के महासचिव नीरज, एसएफआई के संयुक्त सचिव आदर्श, आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष निलासिस, छात्रसभा के उपाध्यक्ष विजय, एमएसएफ के अध्यक्ष अहमद, सीवाईएसएस से अनुराग और पीएसयू से सौंखा सहित विभिन्न छात्र-युवा संगठनों और आंदोलनों के नेताओं ने संबोधित किया।
'यंग इंडिया' ने आने वाली 28 फरवरी को '2024 का एजेंडा, तय करेगा यंग इंडिया' के नारे के साथ 'चलो दिल्ली, यंग इंडिया रैली' का आह्वान किया है।
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