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आम आदमी का जीना मुहाल: दाल-चावल, सब्जियों-मसालों के बाद अब आटा भी हुआ गीला

महंगाई की मार से आम आदमी ही नहीं बल्कि नौकरीपेशा वर्ग भी परेशान है।
inflation
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

महज एक साल पहले तक जो आटा 25 से 28 रुपये किलो मिल रहा था, वह अब 35 से 40 रुपये तक मिल रहा है। दिल्ली आदि में कई जगह रेट 40 को भी पार कर गए हैं। मीडियम क्वालिटी का चावल भी 40 से 48 रुपये पर जा पहुंचा है। बढ़ती महंगाई निम्न आय वर्ग के लोगों (आम आदमी) की आर्थिक कमर तोड़ने लगी है अब इसकी मार डीजल पेट्रोल और रसोई गैस को छूते हुए, अब जनता की थाली तक पहुंच गई है। आलम यह है कि दालों-सब्जियों और मसालों के बाद अब आटा भी गीला हो गया है। यूपी-दिल्ली में ही देखें तो आटा करीब 40 फीसदी मंहगा हो गया है, जबकि चावल के दामों में 20 प्रतिशत का तगड़ा उछाल है। इससे थाली की रोटी तो महंगी हुई ही, साथ में आटे से बनने वाली दूसरी चीजों बिस्कुट, ब्रेड वगैरह भी महंगी हो गई है या फिर उनके साइज छोटे हो जा रहे हैं।

रसोई में जा रहा पूरा वेतन

ऐसे में गरीब को छोड़िए, नौकरीपेशा लोगों तक का कहना है कि सारी सैलरी ही अब राशन, दूध, सब्जी और सिलेंडर पर खर्च हो जाती है। मकान का किराया, बिजली-पानी बिल या बच्चों की स्कूल फीस अलग है। 2016 में 10-20 हजार के वेतन में पूरा घर आसानी से चल जाता था, ऐसे लोगों को इतनी रकम से किचन चलाना भी मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम स्थिर हैं। फिर भी दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। बीते पांच साल में रसोई का बजट दोगुना हो गया है। लेकिन लोगों की आय में इजाफा नहीं हुआ है। निम्न मध्यम वर्ग में तो ज्यादातर की आय उल्टे घट गई है।

दिल्ली में देखें तो टमाटर के बाद दाल, चावल और आटे जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं, जिससे आम आदमी की जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के दुकानदारों का दावा है कि पिछले तीन महीनों में दाल, चावल और आटे की कीमतें भी 30 से 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तुअर दाल फिलहाल 180 से 190 रुपये प्रति किलो है। एक माह पहले यह 150 से 160 रुपये किलो बिक रही थी। अरहर दाल जो 150 रुपये प्रति किलो थी, अब 190 रुपये प्रति किलो बिक रही है। दक्षिण दिल्ली के लाजपत नगर इलाके के एक थोक व्यापारी ने कहा कि चना दाल वर्तमान में 190 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध है और तीन महीने पहले यह 150 रुपये प्रति किलोग्राम पर भी उपलब्ध थी। दालों के साथ-साथ आटे और चावल के रेट में भी करीब 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर में एक दुकानदार अनिल ने कहा कि आटा 224 रुपये प्रति 5 किलो बिक रहा है और तीन महीने पहले यह 215 रुपये प्रति 5 किलो था।

जीरा दोगुना महंगा

मसालों में जीरे की कीमत में सबसे ज्यादा 40 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जीरा तीन महीने पहले 45 रुपये का 100 ग्राम बिक रहा था, अब दोगुना होकर 90 रुपये का हो गया है। लाल मिर्च लोगों के आंसू निकाल रही है। कुल मिलाकर महंगाई की मार से लोग परेशान हैं और उनके घर का बजट बिगड़ गया है। इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी में टमाटर की कीमतें कुछ समय की राहत के बाद फिर से बढ़ गई हैं। पिछले हफ्ते दरें लगभग 120 रुपये प्रति किलो तक गिर गई थीं, वे फिर से 200 रुपये और उससे ऊपर पहुंच गई हैं।

हालिया रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिणी दिल्ली के सीआर पार्क सहित विभिन्न स्थानों पर टमाटर की कीमत मई के पहले सप्ताह में 15 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 250 रुपये प्रति किलोग्राम या उससे अधिक हो गई है। दिल्ली और नोएडा में सब्जियों के थोक विक्रेता मनोज कुमार ने कहा कि टमाटर 220 रुपये प्रति किलो बेच रहा हूं जबकि लौकी 55-60 रुपये प्रति किलो बिक रही है। धनिया, जो हम आमतौर पर मुफ़्त देते थे, अब 270 से 300 रुपये प्रति किलो है। हरी शिमला मिर्च 70 रुपये प्रति 300 ग्राम और अदरक 400 रुपये प्रति किलो से ऊपर बिक रहा है। यही नहीं तोरई, भिंडी, बैंगन आदि में कोई भी 50 रूपये किलो से कम नहीं है। 

कई लोगों को लगता है कि शहरी क्षेत्र होने की वजह से महंगाई सबसे ज्यादा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही है, लेकिन ऐसी बात नहीं है। कृषि प्रधान राज्य उत्तर प्रदेश में भी आम जनता महंगाई से त्रस्त है। यहां पर भी हरी सब्जियों से लेकर खाने- पीने की अधिकांश चीजें महंगी हो गई हैं। बात अगर आटे की करें, तो कई जगह दिल्ली के मुकाबले चक्की आटा यूपी में ज्यादा महंगा है। इसके अलावा कई सब्जियां जो वाया दिल्ली यूपी आती हैं वो भी महंगी बिक रही हैं। खुला चक्की आटा 30 से 35 रुपये किलो बिक रहा है। उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक किलो आटे की कीमत 35 रुपये है। पहले इसकी कीमत 25 से 28 रुपये थी। खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश खुद देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है। इसके बावजूद भी यहां पर आटा महंगा बिक रहा है। ऐसे में गरीबों की थाली से रोटी गायब होती जा रही है।

दाल चावल की कीमतों में भी उछाल

इसी तरह चावल की कीमतों में उछाल आई है। 30 से 40 रुपये किलो बिकने वाला चावल अब 40 से 48 रुपये किलो हो गया है। यानि कि चावल के रेट में भी औसतन 5 से 10 रुपये की उछाल दर्ज की गई है। इसी तरह अरहर दाल भी महंगी हो गई है। अरहर दाल 150 रुपये किलो बिक रही है, जबकि पहले इसकी कीमत 110 से 120 रुपये थी। प्याज लहसुन की कीमत में भी बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अभी लहसुन 180 रुपये किलो बिक रहा है तो प्याज 25 रूपये किलो बिक रहा है। जबकि, एक किलो लाल मिर्च की कीमत 280 से 320 रुपये तक जा पहुंची है।

एक साल में आटा 40 फीसद से भी ज्यादा महंगा!

बीते एक साल में गेहूं और आटे की चाल पर नजर डालें तो उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक एक अप्रैल 2022 को गेंहू का औसत मूल्य 22 रुपए किलो था जो 23 जनवरी 2023 को 28 रुपए प्रति किलो पर जा पहुंचा था। यानि इस अवधि के दौरान कीमतों में 27 फीसदी से ज्यादा का उछाल आ चुका है जिस आटा का औसत मूल्य एक अप्रैल 2022 को 25 रुपए किलो हुआ करता था वो 23 जनवरी 2023 को 35 रुपए प्रति किलो पर जा पहुंचा है यानि 10 महीने से भी कम समय में आटा 40 फीसदी तक महंगा हुआ है। अब रेट और बढ़कर 40 रूपये किलो तक जा पहुंचे हैं।

खास है कि गेहूं आटा के महंगे होने के चलते थाली की रोटी तो महंगी होती ही है साथ में आटे से बनने वाली दूसरी चीजों बिस्कुट, ब्रेड वगैरह भी महंगी हो जाती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिसंबर 2022 में संकेत दिए गए थे कि ओपन मार्केट में 2 से 3 मिलियन टन गेहूं आटा मिल मालिकों से लेकर बिस्कुट बनाने वाली कंपनियों को जारी किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक 23 जनवरी 2023 को इंदौर मार्केट में गेहूं के दाम रिकॉर्ड 29,375 रुपए प्रति टन पर जा पहुंचा है। केवल 2023 के जनवरी महीने में कीमतों में 7 फीसदी का उछाल आ चुका है जबकि 2022 में दामों में 37 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली थी। सोमवार 23 जनवरी 2023 को दिल्ली में गेहूं के दामों में 2 फीसदी का उछाल आया है और ये 31508 रुपए टन पर जा पहुंचा है। जानकारों के मुताबिक सरकार ने 15 दिनों में गेहूं का स्टॉक जारी नहीं किया तो गेहूं के दामों में 5 से 6 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है।

दाम नहीं, वजन घटाया जा रहा 

कारोबार जगत के लोगों के मुताबिक कच्चे माल में तेजी के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है। हालांकि कुछ कंपनियों ने वस्तुओं का वजन कम कर दिया है, लेकिन सामान महंगा नहीं किया है। इससे जनता को दोहरा नुकसान है। उधर कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन भी एक से डेढ़ फीसदी कम कर दिया है। ताकि प्रॉफिट मार्जिन के स्तर को बनाया रखा जा सके। बताया गया है कि जनवरी मे उपभोक्ता वस्तुओं मे 1 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आई है।

नई फसल आने के बाद ही कीमतों में नरमी!

सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बंद कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद एफसीआई के पास 113 लाख टन गेहूं का स्टॉक उसके वेयरहाउस में होगा जो बफर स्टॉक की सीमा 74 लाख टन से ज्यादा है। सरकार ने पहले से ही गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा रखा है बावजूद उसके गेहूं के दामों में तेजी है। गेहूं का नया स्टॉक बाजार में मार्च अप्रैल में आने की उम्मीद है जिसके बाद कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है। उम्मीद थी कि सरकार अपने भंडार से स्टॉक जारी करेगी लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं है। गेहूं और आटा के दामों में भारी उछाल के बाद आटा मिल मालिक सरकार से ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूं उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं।

'गरीब की थाली अब है खाली', बढ़ती कीमतों पर अखिलेश यादव का तंज 

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने महंगाई को लेकर तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के ‘राज’ में वसूली और लूट के चलते जनता की जेब पर महंगाई का डाका पड़ रहा है। सपा मुख्‍यालय से जारी बयान में अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा, ‘‘समाजवादी पार्टी मानती है कि महंगाई से मुक्ति पाने के लिए भाजपा को सत्ता से हटाना जरूरी हो गया है।'' उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ''टमाटर हो या अदरक, परवल, शिमला मिर्च, हरी मिर्च हो या मशरूम सभी के दाम आसमान छूने लगे हैं। यही नहीं अरहर, चना की दाल और आटा-चावल भी महंगा हो गया है।'' यादव ने सवाल उठाया कि ‘‘गरीब की थाली अब खाली है। आम आदमी परिवार कैसे पाले? लोग क्या खाएं क्या बचाएं?''

सपा प्रमुख ने कहा, ''जनता महंगाई की चक्की में पिस रही है और भाजपा सरकार कभी काशी, कभी गोरखपुर या अयोध्या में बड़े-बड़े बयानों की सौगात बांटने के साथ नए-नए जश्न मनाने में मगन है।'' उन्‍होंने रोजमर्रा की चीजों की कीमत गिनाते हुए कहा, ''टमाटर को छोड़ दें तो परवल 100 से 120, लहसुन 200 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। बाजार में किसी सब्जी की कीमत 40 रुपये प्रति किलो से कम नहीं है।’’ यादव ने कहा, ''जून महीने में अरहर, चना की दाल के दाम 12 फीसदी बढ़े हैं तो गेहूं के आटा की कीमत नौ फीसदी की दर से बढ़ी है। चावल के दाम 12 प्रतिशत बढ़ गए हैं।''

पूंजीपति घरानों की झोली भर रही बीजेपी 

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दावा किया, ''भाजपा सरकार महंगाई पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। डबल इंजन सरकार ने जनसामान्य को महंगाई की आग में जलाने और पूंजीपति घरानों की झोली भरने का काम किया है।'' यादव ने आरोप लगाया, ''ये बड़े पूंजीपति घराने ही चुनाव में भाजपा के मददगार रहते हैं। अपने लाभ के लिए भाजपा बढ़े बैंक घाटे, कर्ज लेकर भाग रहे उद्योगपतियों के मामले में जरा भी चिंतित नहीं है। जनता भुगत रही है, भाजपा सरकार मस्त है।'

साभार : सबरंग 

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