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'रूस अकेले ही पूरे पश्चिम का मुक़ाबला कर सकता है...'

यूक्रेन में युद्ध के बीच, राष्ट्रपति शी की राजकीय यात्रा ने जो संदेश दिया है वह यह है कि चीन रूस के साथ अपने संबंधों को सबसे अधिक महत्व देता है।
Putin
प्रतिबंधित प्रारूप में वार्ता के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (आर) और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक, क्रेमलिन, मॉस्को, 21 मार्च, 2023

रूसी मीडिया द्वारा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को विदाई देते वक़्त एक असाधारण काम किया, जिसमें पिछले हफ्ते मंगलवार शाम को क्रेमलिन में दिए गए राजकीय रात्रिभोज के बाद वे उन्हे विदा करने उनकी लिमोसिन गाड़ी तक साथ गए। 

और शी ने अलविदा कहते हुए हाथ मिलाया और कथित तौर पर कहा कि, "हम साथ मिलकर उन बदलावों को आगे बढ़ाएँगे जो बदलाव 100 वर्षों से नहीं हुए हैं। अपना ध्यान रखना, अलविदा।"

शी, पिछले 100 वर्षों के उस आधुनिक इतिहास की तरफ इशारा कर रहे थे, जिस इतिहास ने संयुक्त राज्य अमेरिका को पश्चिमी गोलार्ध में मेक्सिको के उत्तर में एक देश से एक महाशक्ति और वैश्विक दादागीरी वाले देश में बदलते देखा है।

इतिहास और द्वंद्वात्मक दिमाग की अपनी गहरी समझ के साथ, शी पुतिन के साथ हुई उस गहन बातचीत को याद कर रहे थे, जो समकालीन हक़ीक़तों पर आधारित थी और अमेरिका के एकध्रुवीय दुनिया वाले विचार को कचरे के डिब्बे में दफनाने और चीन और रूस की आपसी समझ के आधार पर दुनिया के संक्रमण को मजबूत करने के लिए हाथ मिलाने पर केंद्रित थी यानि लोकतंत्रीकरण और बहुध्रुवीयता वाली व्यवस्था। 

पिछली शाम को शुरू हुई राजकीय यात्रा का इससे बेहतरीन समापन क्या अहो सकता था कि, शी ने विश्वास जताया कि रूसी पुतिन को अगले साल राष्ट्रपति चुनाव में जिताएंगे। चीनी नेता ने ऐसा कर एक झटके में क्रेमलिन नेता के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को बेतुका कहा और पश्चिम द्वारा पुतिन को दुष्ट बनाने के प्रयास को “ख़ारिज़” कर दिया जिसे मॉस्को में उनकी वार्ता से ध्यान हटाने के लिए किया गया था।

चीन की अन्य देशों की आंतरिक राजनीति मामलों पर टिप्पणी करने से बचने की एक ईमानदार नीति रही है। हालाँकि, रूस के मामले में, शी ने ऐसे उथल-पुथल भरे समय में पुतिन के सक्रिय नेतृत्व के प्रति अपना समर्थन का संकेत देकर एक उल्लेखनीय अपवाद कायम किया है। विश्व की अधिकांश राय, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में, उनके साथ है।

क्या रूसी जनमत भी इस बात का संज्ञान नहीं लेगा – जो उनकी वार्ता का अनुमोदन गर्जना के साथ करे? हां, पुतिन लगातार 80 प्रतिशत की रेटिंग पर चल रहे हैं। क्रेमलिन में सत्ता परिवर्तन की अगुआई करने के लिए पश्चिमी द्वारा रूसी कुलीन वर्ग के एक समूह को भड़काने की आखिरी हताश कोशिश पर शी ने शायद ठंडा पानी डाल दिया है। 

यह सुनिश्चित करने के लिए, यूक्रेन युद्ध के बीच में शी की राजकीय यात्रा ने एक सर्वोत्त्म  संदेश दिया कि चीन रूस के साथ संबंधों को कितना महत्व देता है। इस पर काफी विचार-विमर्श किया जा रहा है, कि चीन और रूस दोनों ही संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव में फंसे हुए हैं।

बीजिंग के मूड में नाटकीय बदलाव आया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन 7 फरवरी को अपने स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन में तब घिनौनी हद तक पहुँच गए थे, जब वे अपनी स्क्रिप्ट से हटकर चिल्लाते हुए बोले कि, "मुझे एक विश्व नेता का नाम बताएं जो शी जिनपिंग की जगह लेगा।"

पूर्वी संस्कृति में, इस तरह की अशिष्टता को अक्षम्य रूप से निंदनीय व्यवहार माना जाता है। हफ्तों के बाद जब से अमेरिका ने चीनी मौसमी गुब्बारे को मार गिराया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को बदनाम किया, बीजिंग ने व्हाइट हाउस द्वारा राष्ट्रपति शी के साथ बाइडेन के लिए टेलीफोन पर बातचीत की कई कोशिशों को खारिज कर दिया।

बीजिंग का रुख का बदलने में, एशिया-प्रशांत इलाके में गठजोड़ को मजबूत करने, एशिया-प्रशांत के साता के गठजोड़ में नाटो को शामिल करने और गुआम और फिलीपींस जैसी जगहों पर मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल भेजने के बाइडेन खोखले वादे काफी थे, और जो चीन की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का एकतरफा प्रयास कर रहा है।

शी की मास्को यात्रा रूस और चीन के लिए "कोई सीमा नहीं" है जो पक्की साझेदारी की पुष्टि करने के साथ और यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद से चीन-रूस संबंधों में दरार पैदा करने के पश्चिमी प्रयासों को तितर-बितर करने का एक बड़ा अवसर बन गया है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ग्राहम एलिसन यहां करना बेहतर होगा जिन्होने कहा कि, "हर आयाम में, व्यक्तिगत, आर्थिक, सैन्य और राजनयिक- शी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ जो अघोषित गठबंधन बनाया है, वह आज संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकांश आधिकारिक गठबंधनों की तुलना में कहीं अधिक परिणामी हो गया है”

हालांकि, गठबंधन है या नहीं, तथ्य यह है कि यह "परस्पर सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और जीत-जीत सहयोग की विशेषता वाले प्रमुख-देश संबंधों का नया मॉडल" बन गया है- शी जिनपिंग के मुताबिक यह गठबंधन कुछ भी हो सकता है लेकिन बड़े-छोटे वाला वाला नहीं है। 

अमेरिका में बैठे बड़े विश्लेषकों को दो संप्रभु और स्वतंत्र राष्ट्रों के बीच समान संबंधों को समझने में समस्या आती है। और इस मामले में, न तो रूस और न ही चीन एक औपचारिक गठबंधन की घोषणा करने के इच्छुक हैं, क्योंकि, सीधे शब्दों में कहें, एक गठबंधन अनिवार्य रूप से दायित्वों को निभाने और एक सामूहिक एजेंडे के सम्मान में के-दूसरे के हितों की जरूरत पर ज़ोर देता है।

इसलिए, जो उभर कर समाने आता है, वह यह है कि किसी भी चीनी इनपुट की तुलना में यूक्रेन में युद्ध के मैदान में घटनाओं को देखते हुए पुतिन की रणनीतिक पकड़ बहुत अधिक प्रभावी होगी। इस हक़ीक़त को यूक्रेन के संबंध में चीनी "शांति योजना" पर रूस की प्रतिक्रिया एक गवाही है।

जैसे ही शी मास्को से रवाना हुए, पुतिन ने रूस वन टीवी को दिए साक्षात्कार में कहा कि  रूस, कीव को पश्चिम द्वारा दिए जाने वाले गोला-बारूद की आपूर्ति से अधिक उत्पादन कर रहा है। उन्होंने कहा, "रूस का उत्पादन का स्तर और उसका सैन्य-औद्योगिक गठजोड़ बहुत तेज गति से विकसित हो रहा है, जिसका शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था।”

पुतिन ने कहा कि, जबकि कई पश्चिमी देश यूक्रेन को गोला-बारूद मुहैया करा रहे हैं, लेकिन "रूस उसी समय में तीन गुना गोला-बारूद का उत्पादन कर रहा है।" 

उन्होंने दोहराया कि यूक्रेन को पश्चिम के हथियारों की खेप केवल रूस के इस बात की चिंता का विषय है कि इससे "युद्ध लम्बा खींचेगा" और यह "केवल एक बड़ी त्रासदी को जन्म देगा,  इससे अधिक कुछ नहीं है।"

हालाँकि, यह राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में दोनों देशों की साझेदारी के बड़े महत्व को कम नहीं करता है। इनकी प्रमुखता, दो देशों की कई दिशाओं में बढ़ती अंतर्निर्भरता में निहित है जिसे अभी परिमाणित नहीं किया जा सकता है लेकिन वह "विकसित" (शी) हो रहा है निरंतर चल रहा है।

एक विरोधाभास यह है कि यूक्रेन युद्ध, अब एक वेक-अप कॉल में बदल रहा है - एक युद्ध जो विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ाने के बजाय उसे रोक सकता है। चीन समझता है कि रूस ने अकेले ही "सामूहिक पश्चिम" को जवाब दे दिया है और दिखा दिया है कि यह किसी मैच से अधिक की बात है।

बीजिंग में इस किस्म का  आकलन पश्चिम की नज़रों से नहीं बच सकता है और मध्यम और दीर्घ अवधि में यह पश्चिमी सोच को भी प्रभावित करेगा - न केवल यूरेशिया बल्कि एशिया-प्रशांत को भी प्रभावित करेगा।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के पूर्व प्रधान संपादक हू ज़िजिन द्वारा कुछ हफ़्ते पहले ग्लोबल टाइम्स के एक हालिया लेख में 'बड़ी तस्वीर' पर प्रकाश डाला गया था।

हू ने लिखा कि यूक्रेन युद्ध "रूस और पश्चिम के बीच युद्ध के रूप में विकसित हुआ है ... जबकि नाटो को रूस की तुलना में बहुत मजबूत माना जाता है, जमीनी हक़ीक़त ऐसी नहीं दिखाई देती है, और यह पश्चिम में चिंता पैदा कर रही है।" 

हू ने अपने लेख में कुछ आश्चर्यजनक नतीजे निकाले हैं: "रूस को हराने में अमेरिका और पश्चिम को अपेक्षा से कहीं अधिक कठिन हालात का सामना करना पद रहा है। वे जानते हैं कि चीन ने रूस को सैन्य सहायता नहीं दी है, और जो सवाल उन्हें परेशान करता है वह यह: यदि अकेले रूस से निपटना इतना कठिन है, तो तब क्या होगा जब चीन वास्तव में रूस को सैन्य सहायता प्रदान करना शुरू कर देगा, इसके लिए वह अपनी विशाल औद्योगिक क्षमताओं का इस्तेमाल कर सकता है। रूसी सेना? क्या यूक्रेनी युद्धक्षेत्र की स्थिति मौलिक रूप से बदल जाएगी? इसके अलावा, रूस अकेले ही यूक्रेन में पूरे पश्चिम का सामना कर सकता है। अगर वे वास्तव में चीन और रूस को हाथ मिलाने के लिए मजबूर करते हैं, तो दुनिया की सैन्य स्थिति में क्या बदलाव आएगा?

क्या अमेरिका और यूरोप में यह धारणा प्रचलित नहीं है कि रूस-चीन गठजोड़ असमान ताकतों का गठजोड़ है, जो खुद में एक स्वार्थी पश्चिमी भ्रांति है? हू हाजिर जवाबी था: हालांकि चीन की व्यापक ताकत अभी भी अमेरिका की तुलना में कम है, लेकिन रूस के साथ गठजोड़ से संतुलन बदल जाएगा और तब अमेरिका अब अपनी मर्जी से कार्य करने का हकदार नहीं होगा।

रूस और चीन की याह आम चिंता है कि विश्व व्यवस्था को संयुक्त राष्ट्र के साथ एक अंतरराष्ट्रीय प्रणाली और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर एक विश्व व्यवस्था पर वापस लौटना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों देशों की रणनीति अमेरिका के प्रभुत्व वाली "नियम-आधारित व्यवस्था" को पलटने और संयुक्त राष्ट्र पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर वापस लौटने की है।

वास्तव में, मॉस्को में जारी संयुक्त बयान में अनुच्छेद 5 इसकी आत्मा है: "दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूती से बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं, अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और शासन करने वाले बुनियादी मानदंड संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय संबंध, और सभी प्रकार के आधिपत्य, एकपक्षवाद और सत्ता की राजनीति, शीत युद्ध की मानसिकता, विभिन्न शिविरों के बीच टकराव और विशिष्ट देशों पर लक्षित करने के विरोध करते हैं।

समझने में कोई गलती न हो, अमेरिका को दादागिरी वाली गद्दी से हटा कर उस पर चीन को बैठाने का मामला नहीं है, बल्कि अमेरिका को छोटे, कमजोर देशों को धमकाने से रोकने का मामला है, और ऐसा करने से शांतिपूर्ण विकास और राजनीतिक यथार्थता पर ध्यान देकर एक नई अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की शुरुआत करने की कोशिश है जो सभी वैचारिक मतभेदों को खत्म कर देती है।

एमके भद्रकुमार पूर्व राजनयिक हैं। वे उज्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत रह चुके हैं। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

‘Russia Alone can Confront Entire West…’

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