NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कानून
भारत
राजनीति
न्यायालय ने पीएमएलए के तहत ईडी के अधिकारों का समर्थन किया, कहा गिरफ़्तारी का अधिकार मनमानी नहीं
न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।
भाषा
27 Jul 2022
ED

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकारों का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि धारा-19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार मनमानी नहीं है।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रवि कुमार की पीठ ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि धारा-5 के तहत धनशोधन में संलिप्त लोगों की संपति कुर्क करना संवैधानिक रूप से वैध है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं है। ईडी की ईसीआईआर पुलिस की प्राथमिकी के बराबर होती है। पीठ ने कहा कि यदि ईडी गिरफ्तारी के समय उसके आधार का खुलासा करता है तो यह पर्याप्त है।

अदालत ने पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती को खारिज करते हुए कहा, ‘‘ 2002 अधिनियम की धारा 19 की संवैधानिक वैधता को दी गई चुनौती भी खारिज की जाती है। धारा 19 में कड़े सुरक्षा उपाय दिए गए हैं। प्रावधान में कुछ भी मनमानी के दायरे में नहीं आता।’’

पीठ ने कहा कि विशेष अदालत के समक्ष जब गिरफ्तार व्यक्ति को पेश किया जाता है, तो वह ईडी द्वारा प्रस्तुत प्रासंगिक रिकॉर्ड देख सकती है तथा वह ही धनशोधन के कथित अपराध के संबंध में व्यक्ति को लगातार हिरासत में रखे जाने पर फैसला करेगी।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘धारा-5 संवैधानिक रूप से वैध है। यह व्यक्ति के हितों को सुरक्षित करने के लिए एक संतुलन व्यवस्था प्रदान करती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि अपराध से अधिनियम के तहत प्रदान किए गए तरीकों से निपटा जाए।’’

शीर्ष अदालत ने पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।

सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने अधिनियम की धारा-45 के साथ-साथ दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-436ए और आरोपियों के अधिकारों को संतुलित करने पर भी जोर दिया।

पीएमएलए की धारा-45 संज्ञेय तथा गैर-जमानती अपराधों से संबंधित है, जबकि सीआरपीसी की धारा-436ए किसी विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखे जाने की अधिकतम अवधि से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी से संबंधित पीएमएलए की धारा-19 पर भी दलीलें सुनीं और साथ ही धनशोधन अपराध की परिभाषा से जुड़ी धारा-3 पर भी सुनवाई की। केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि पिछले 17 वर्षों में पीएमएलए के तहत 4,850 मामलों की जांच की गई और जांच के दौरान 98,368 करोड़ रुपये कानून के प्रावधानों के तहत जब्त किए गए।

सरकार ने अदालत से कहा कि इन अपराधों की जांच पीएमएलए के तहत की गई, जिसमें 2,883 छापेमारी भी शामिल हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संबंधित प्राधिकरण जब्त किए गए 98,368 करोड़ रुपये में से 55,899 करोड़ रुपये के आपराधिक आय होने की पुष्टि कर चुका है।

Enforcement Directorate
Supreme Court

Related Stories

'सख़्त क़ानून का विरोधियों के ख़िलाफ़ चुनिंदा रूप से इस्तेमाल सिर्फ़ निरंकुशता है' : संजय हेगड़े

सारा सिस्टम जनविरोधी है, लड़कर ही बचा सकते हैं देशः अरुंधति राय

मुद्दा: नए भारत में न्याय

भाजपा के बुलडोज़र के सामने टिक पाएगी टीएमसी और कांग्रेस?

ख़बर भी—नज़र भी: एक लोककल्याणकारी राज्य में कुछ भी मुफ़्त नहीं होता

विपक्षी दलों ने पीएमएलए के संशोधनों पर उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले को लेकर निराशा जतायी

गर्भपात को लेकर विवाहित और अविवाहित महिला में फ़र्क़ नहीं, क़ानून में पति नहीं पार्टनर शब्द का इस्तेमाल!

लोकतंत्र में पुलिस राज की कभी जगह नहीं हो सकती, ज़मानत नियम है और जेल एक अपवाद!

कार्टून क्लिक: ऑर्डर...ऑर्डर...नूपुर शर्मा टीवी पर देश से माफ़ी मांगें

ज़ाकिया एहसान जाफ़री बनाम गुजरात सरकार : सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला लोकतंत्र के लिए है हानिकारक


बाकी खबरें

  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम से संबंधित प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका ख़ारिज की
    12 Aug 2022
    न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा-61ए को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल से…
  • भाषा
    आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है: शोध
    12 Aug 2022
    एक नए अध्ययन से पता चलता है कि आर्कटिक पिछले 43 वर्षों में दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग चार गुना तेजी से गर्म हुआ है। इसका मतलब है कि आर्कटिक 1980 की तुलना में औसतन लगभग 3 डिग्री सेल्सियस…
  • सोनिया यादव
    रक्षा बंधन: बहनों को भाइयों से रक्षा का वचन नहीं प्यार और साथ चाहिए
    11 Aug 2022
    रक्षा बंधन अगर सिर्फ राखी या भाई-बहन के प्यार का त्यौहार होता तो कितना अच्छा होता। इसमें रक्षा या बंधन की गुंजाइश न होती तो कितना अच्छा होता मगर अफसोस आज भी ये त्यौहार लड़का-लड़की में भेद के विचार को…
  • baghel
    अनिल अंशुमन
    “झारखंड में फेंके गए बाउंसर पर बिहार ने छक्का लगा दिया”
    11 Aug 2022
    कुछ जानकारों के अनुसार बिहार में बदले हुए राजनीतिक हालात ने देश की सभी गैर-भाजपा सरकारों को एक ऐसा नैतिक संबल दिया है जिससे केंद्र संचालित ‘सरकार गिराने-बनाने’ के चालू सियासी कुचक्रों को लेकर उसे भी…
  • न्यूज़क्लिक टीम
    धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली
    11 Aug 2022
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सहित कई बड़े नेता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें