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SCOOP review : सिद्दीक़ कप्पन से लेकर रूपेश कुमार सिंह तक, हर शोषित पत्रकार को ट्रिब्यूट है हंसल मेहता की web series

पत्रकार जिगना वोरा की किताब 'Behind Bars In Byculla: My Days in Prison' पर आधारित यह वेब सीरीज़ सिर्फ़ जिगना वोरा नहीं, बल्कि पिछले 3 दशकों में पत्रकारिता और पत्रकारों पर हुए तमाम हमलों की बात करती है।
SCOOP
फ़ोटो साभार: यूट्यूब

Scam 1992 और Aligarh वाले डायरेक्टर हंसल मेहता की नई वेब सीरीज़ Scoop दो जून को नेटफ्लिक्स पर आई है। Scam 1992 की ही तरह Scoop भी एक पत्रकार की किताब पर आधारित है। सीरीज़ की शुरूआत जानने से पहले अंतिम फ़्रेम के बारे में जानिए। छठा एपिसोड ख़त्म होने के बाद स्क्रीन पर कुछ नाम आते हैं- गौतम नवलखा, रूपेश कुमार सिंह, सिद्दीक़ कप्पन और कई अन्य नाम तस्वीरों के साथ दिखाई देते हैं। नाम और तस्वीरों के साथ ही इन पत्रकारों के जेल में रहने की अवधि भी लिखी दिखाई पड़ती है। यहाँ समझ आता है कि यह पूरी वेब सिरीज़ सिर्फ़ जिगना वोरा नहीं, बल्कि पिछले 3 दशकों में पत्रकारिता और पत्रकारों पर हुए तमाम हमलों की बात करती है।

जिगना वोरा वह पत्रकार हैं जिन पर एक अन्य पत्रकार ज्योतिर्मय डे के क़त्ल का आरोप लगा था। 2011 की इस घटना की जांच कुछ महीनों चली थी और गैंगस्टर छोटा राजन के बयान के आधार पर जिगना वोरा को मुम्बई पुलिस ने इस क़त्ल का दोषी क़रार दिया था। जिगना क़रीब 10 महीने तक जेल में रही थीं। उसी अवधि का ज़िक्र उन्होंने अपनी किताब Behind Bars In Byculla: My Days in Prison में किया है। हंसल मेहता ने जब इसका adaptation किया है तो उन्होंने सिर्फ़ उस अवधि का ज़िक्र न करके इस घटना तक पहुंचने के दौर को भी दिखाया है। इसे लिखा है मृणमई लागू और मिरत त्रिवेदी ने।

पत्रकारिता जगत की बारिकियों, एक पत्रकार के पुलिस और गैंगस्टर तक से संबंधों और उसके दुष्परिणामों के बारे में यह सिरीज़ बात करती है। एक तथ्य यह भी है कि इस घटना के बाद से क्राइम जर्नलिज्म काफ़ी हद तक ख़त्म हो गया था, या उस पर अंकुश लग गया था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए हंसल मेहता ने कहा कि वह सिर्फ़ किताब को जस का तस स्क्रीन पर नहीं दिखाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक पत्रकार को एक इंसान के तौर पर समझने और समझाने की कोशिश की है। वह कहते हैं, "आज लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं, और पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, तो उस पर भी हमले हो रहे हैं। और यह सिर्फ़ आज नहीं हो रहा है बल्कि पिछले 3 दशकों से हो रहा है।"

Scoop में हंसल मेहता ने उस नेक्सस को भी दर्शाया है जो पत्रकार-पुलिस-गैंगस्टर के बीच चलता है। कास्टिंग की बात करें तो जागृति पाठक (जिगना वोरा) के किरदार में करिश्मा तन्ना ने कमाल अभिनय किया है। करिश्मा के अलावा हरमन बावेजा पुलिस अधिकारी के रोल में हैं। तनिष्ठा चटर्जी, मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब का किरदार मीडिया पोर्टल के एडिटर्स का है।

करिश्मा तन्ना के इस काम को अब तक का उनका सबसे बेहतरीन अभिनय बताया जा रहा है जो कि सच भी है। जिस तरह से उन्हें टीवी सीरियल में टाइपकास्ट किया गया था, ऐसे में उनके लिए Hush-Hush(प्राइम वीडियो सीरीज़) और Scoop जैसे किरदार करना बेहद ज़रूरी था।

कहानी को बिना सनसनीख़ेज़ बनाये कहानी कहना हंसल मेहता की कला है। हमने Scam 1992, अलीगढ़ जैसी कहानियों को भी देखा है जो सच्ची घटनाओं पर आधारित थीं, मगर उसमें मिर्च मसाला डालने का काम हंसल मेहता नहीं करते हैं।

Scoop ने मीडिया सेक्टर की अच्छी बुरी हर बातों को एकदम साफ़ तौर पर हमारे सामने रखा है। एक स्टोरी के पीछे की लड़ाई, मीडिया में किसी का चरित्र हनन होना, लैंगिक भेदभाव सब पहलू इसमें दिखाए गए हैं।

आपको इस सीरीज़ को देखते हुए प्रिंसेस डियाना भी याद आएगी और रिया चक्रवर्ती भी।

इस सीरीज़ को इस लिए मत देखिये कि यह जिगना वोरा की कहानी है, बल्कि इस लिए देखिये कि यह मीडिया जगत का वह सच है जो हमारे इतना सामने होते हुए भी धुंधला नज़र आता है।

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