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यूपी चुनाव से पहले एसकेएम की मतदाताओं से अपील: 'चुनाव में बीजेपी को सबक़ सिखायें'

एसकेएम ने गुरुवार को अपने 'मिशन यूपी' अभियान को फिर से शुरू करने का ऐलान करते हुए कहा कि 57 किसान संगठनों ने मतदाताओं से आगामी यूपी चुनावों में भाजपा को वोट नहीं देने का आग्रह किया है।
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गुरुवार को प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में अपील की एक-एक प्रति पकड़े हुए एसकेएम नेता। फ़ोटो:रौनक छाबड़ा

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने गुरुवार को अपने इस अभियान के तहत इस बात पर ज़ोर देते हुए मतदान होने वाले राज्यों के मतदाताओं से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के ख़िलाफ़ मतदान करने की अपील की कि केंद्र ने अभी तक किसानों से किये गये उन किसी भी वादे को लागू नहीं किया है, जिनके बाद किसानों ने पिछले साल दिसंबर में आंदोलन वापस ले लिया था।

'मिशन उत्तर प्रदेश' नाम से चलाये जा रहे इस अभियान का मक़सद मतदाताओं से आगामी विधानसभा चुनावों में "किसान विरोधी" भाजपा को वोट नहीं देने का आग्रह करना है। तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के विरोध के दौरान पहली बार पिछले साल जुलाई में इस अभियान का ऐलान किया गया था। देश भर के किसानों की ओर से "विश्वासघात दिवस" मनाने के लिए सड़कों पर उतरने के कुछ ही दिनों बाद गुरुवार को यह अभियान फिर से शुरू किया गया है।

किसानों के आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठन एसकेएम ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसान संगठन आने वाले दिनों में हर ब्लॉक, गांव और ज़िले में मतदाताओं से भाजपा को "दंडित करने और हराने" का आग्रह करेंगे।

नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में आयोजित इस सम्मेलन में प्रमुख एसकेएम नेताओं ने भाग लिया।भाग लेने वाले नेताओं में डॉ दर्शन पाल, हन्नान मुल्ला, राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, जोगिंदर सिंह उग्रहन, शिव कुमार कक्का जी और जगजीत सिंह दल्लेवाल शामिल थे।

गुरुवार को एसकेएम नेताओं ने कहा कि वे आने वाले दिनों में हर चुनावी राज्य में बीजेपी के ख़िलाफ़ प्रचार करेंगे। फ़ोटो: रौनक छाबड़ा  

इस महीने के आख़िर में पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर सहित पांच भारतीय राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं। इन राज्यों में सात चरणों में होने वाले चुनावों में सबकी निगाहें सबसे ज़्यादा उत्तरप्रदेश पर लगी हुई हैं,जहां चुनाव की शुरुआत 10 फ़रवरी को इस राज्य के पश्चिमी भाग से होगी। ग़ौरतलब है कि पंजाब के साथ-साथ उत्तरप्रदेश का यह हिस्सा भी राजनीतिक रूप से बेहद अहम है, क्योंकि इन्हीं इलाक़ों से किसान विरोधी क़ानून के ख़िलाफ़ चले आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए थे।

एसकेएम मतदाताओं से अपील करने वाला एक पर्चा जारी कर रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के महासचिव हन्नान मुल्ला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि गुरुवार से आने वाले दिनों में यह पर्चा मतदान वाले राज्यों में वितरित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इसे एसकेएम के 57 घटक संगठनों के सदस्यों की ओर से हर ब्लॉक, गांव और ज़िले में वितरित किया जायेगा।

मीडिया को दिये गये इस पर्चे की एक प्रति के शीर्षक के रूप में निम्नलिखित अपील है: "इस चुनाव में किसान विरोधी भाजपा को सज़ा दें।" एसकेएम समन्वय समिति की ओर से जारी इस पर्चे के आख़िर में "किसान आंदोलन का एक सिपाही" नाम से हस्ताक्षर है। इस अपील में आंदोलन के दौरान 700 से ज़्यादा किसानों की हुई मौतों से लेकर लखीमपुर खीरी की घटना तक के मुद्दों के साथ-साथ यूपी के किसानों की स्थानीय चिंतायें भी शामिल हैं।

"भाजपा सरकार सच और झूठ की भाषा नहीं समझती, अच्छे और बुरे का फ़र्क़ नहीं समझती, संवैधानिकता या असंवैधानिकता के बीच के अंतर को नहीं जानती। यह पार्टी सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही भाषा समझती है और वह है - वोट, जीत-हार, (और) सत्ता। " इस अपील को हिंदी में पढ़ें।

यह दोहराते हुए कि केंद्र पिछले साल दिसंबर में प्रदर्शनकारी किसानों से किये गये वादों से मुकर रहा है,एसकेएम ने अपनी अपील में कहा: "इस किसान विरोधी भाजपा सरकार के कान खोलने के लिए यह ज़रूरी है कि इसे चुनावों में दंडित किया जाये। मुझे आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि दंडित कैसे किया जाये। आप ख़ुद होशियार हैं। एक किसान ही किसान का दर्द समझ सकता है, मुझे यक़ीन है कि आपको वोट देते समय मेरा यह पत्र याद रहेगा।"

भारतीय किसान यूनियन (उत्तर प्रदेश) के राकेश टिकैत ने गुरुवार को कहा कि यूपी के मतदाता राज्य की योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

उन्होंने कहा, "आज हम सवालों का एक सेट जारी कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश के लोग वोट मांगने के लिए आने पर हर नेता से ये सवाल पूछें।"

टिकैत ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले किसानों की मांगों पर ज़ोर देने के लिए एसकेएम एक "बड़ी बैठक" भी करेगा, जिसकी तारीख़ बाद में तय की जायेगी। उन्होंने यूपी और उत्तराखंड के लोगों से नौजवानों और कार्यकर्ताओं के मुद्दों को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर उठाने की भी अपील की।

जन किसान आंदोलन के योगेंद्र यादव ने कहा कि 'मिशन यूपी' अभियान के तहत एसकेएम के राष्ट्रीय नेता आने वाले हफ़्तों में उत्तर प्रदेश में नौ जगहों पर इसी तरह की प्रेस कॉन्फ़्रेंस करेंगे और लोगों से बातचीत करेंगे। उनके मुताबिक़ ये कॉन्फ़्रेंस और संवाद मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, कानपुर, झांसी, इलाहाबाद, सिद्धार्थनगर, बनारस और गोरखपुर में होंगे।

यादव ने कहा,"हम मतदाताओं से यह अपील (भाजपा को वोट न दें) इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि केंद्र किसानों से किये गये लिखित वादों से मुकर गया है। लखीमपुर खीरी हत्याकांड का मुख्य साज़िशकर्ता अजय मिश्रा टेनी केंद्रीय मंत्री परिषद में बना हुआ है।" यादव ने आगे बताया कि एसकेएम भाजपा शासित उत्तर प्रदेश सरकार की किसान विरोधी नीतियों का भी विरोध कर रही है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि एसकेएम अपने इस अभियान के ज़रिये किसी राजनीतिक दल के लिए वोट नहीं मांग रहा है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा को हराने और उसे दंडित किये जाने के अपने संदेश पर क़ायम रहेगा, जैसा कि पिछले साल पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी देखा गया था।

पंजाब में विधानसभा चुनावों में एसकेएम घटकों के दो राजनीतिक गुट- संयुक्त संघर्ष पार्टी (एसएसपी) और संयुक्त समाज मोर्चा (एसएसएम) चुनाव लड़ रहे हैं, इस बारे में पूछे जाने पर बीकेयू (उग्रहान) के जोगिंदर सिंह उग्रहान ने कहा कि एसकेएम का उनके साथ कोई जुड़ाव नहीं है।

हालांकि, उन्होंने आगे कहा, "एसकेएम ने किसी भी यूनियन के साथ अपने रिश्ते नहीं तोड़े हैं। हम तो सिर्फ़ राजनीतिक मोर्चों के साथ रिश्ते को लेकर यह बात कर रहे हैं।"

विवादास्पद कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के फ़ैसले लेने के बाद नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने एसकेएम की लंबित मांगों पर लिखित आश्वासन दिया था। सरकार ने वादा किया था कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक समिति गठित करेगी और विभिन्न राज्यों में किसानों के ख़िलाफ़ चल रहे मामलों को वापस ले लेगी।

पिछले महीने 15 जनवरी को हुई एक बैठक में किसान नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की और उन वादों को पूरा करने के लिए केंद्र को दो हफ़्ते का समय देने का फ़ैसला किया। उन्होंने 31 जनवरी को "विश्वासघात दिवस" मनाया। इसमें हज़ारों किसान सड़कों पर उतर आये और भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा।

क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल ने गुरुवार को कहा कि केंद्र से मिले आश्वासन अभी तक ज़मीन पर नहीं उतरे हैं, किसान उस आश्वासन को धरातल पर आतारने को लेकर दबाव बनाने के लिए ही "अपने इस संघर्ष को तेज़ करेंगे।"  एसकेएम ने इससे पहले 31 जनवरी को अपना आंदोलन फिर से शुरू करने की चेतावनी दी थी।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Ahead of UP Polls, SKM Issues Appeal: 'BJP Needs to be Punished in Elections'

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