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अयोध्या के संतों का बृजभूषण को समर्थन, पॉक्सो क़ानून में संशोधन की मांग की

संतों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख की 5 जून को अयोध्या में होने वाली जन चेतना महारैली के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है।
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फ़ोटो साभार: PTI

अयोध्या के संत भाजपा के लोकसभा सदस्य और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में आ गए हैं जिन पर देश की कुछ शीर्ष महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

संतों ने 5 जून को राम कथा पार्क में सिंह की जन चेतना महारैली के लिए समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए बने क़ानून पोक्सो (POCSO) अधिनियम, 2012 में संशोधन की मांग की है। सिंह के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों में से एक कथित रूप से नाबालिग के यौन उत्पीड़न से संबंधित है।

महंत कमल नयन दास के नेतृत्व वाली मणि राम दास छावनी पीठ और महंत मैथिली रमन शरण के नेतृत्व वाले लक्ष्मण किला गुट ने विरोध करने वाले पहलवानों का समर्थन करने वाली खाप महापंचायत का जवाब देने के लिए एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए अपने मतभेदों को दूर कर लिया है।

नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एक संत ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "देवीपाटन और उसके मुख्य केंद्र अयोध्या में ब्रृजभूषण के प्रभाव के कारण, विभिन्न गुटों के संत उनके समर्थन के लिए एक मंच पर आए हैं।"

सिंह का समर्थन करने का कारण पूछे जाने पर संत ने कहा कि, “बृजभूषण लंबे समय से अयोध्या से जुड़े रहे हैं। कॉलेज के दिनों से लेकर मुख्यधारा की राजनीति और राम मंदिर आंदोलन तक, उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा अयोध्या में बिताया है। इसलिए संतों का उन्हें समर्थन करना जरूरी है।

पॉक्सो कानून में संशोधन की मांग करते हुए दास ने कहा कि, ''पोक्सो कानून का गलत इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को परेशान किया जा रहा है। उन पर, विशेषकर संतों, महंतों और राजनेताओं पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। इसमें संशोधन किया जाना चाहिए।”

कारसेवकपुरम में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) भी रैली के लिए समर्थन जुटा रही है। वीएचपी के एक पदाधिकारी ने मीडिया को बताया कि, "राम मंदिर आंदोलन के साथ उनके [सिंह के] करीबी जुड़ाव के कारण हम अपनी क्षमता के अनुसार ऐसा कर रहे हैं।"

राकेश टिकैत के नेतृत्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी प्रमुख खापों और किसान संगठनों ने पहलवानों का समर्थन किया है।

रविवार को नए संसद भवन के सामने आयोजित महिला महापंचायत में शामिल होने से रोकने के लिए दर्जनों किसान नेताओं को गाजीपुर बॉर्डर पर नजरबंद कर दिया गया और हिरासत में ले लिया गया।

लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा ने न्यूज़क्लिक को बताया, “सरकार बलात्कार के एक आरोपी को बचा रही है। ये संत नहीं बल्कि ठग हैं जो बलात्कार के आरोपियों को बचा रहे हैं। देश का नाम रोशन करने वाली बेटियों का क्या हुआ, यह सभी ने देख लिया है।"

वर्मा के नेतृत्व में अखिल भारतीय महिला समिति, एपवा और एआईयूडब्लूएफपी सहित कई अधिकार समूहों/संगठनों ने पहलवानों के समर्थन में लखनऊ में प्रदर्शन किया और सिंह की गिरफ्तारी की मांग की।

गुरुवार को आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए सभी खापों के मुखिया मुजफ्फरनगर जिले के सोरम गांव में इकट्ठा होंगे।

खाप नेता चौधरी यशपाल सिंह ने न्यूज़क्लिक से कहा कि, "यह खाप बनाम साधु नहीं है, बल्कि न्याय बनाम अन्याय है। पहलवान हमारी बेटियां हैं और हर कीमत पर न्याय मिलना चाहिए। अयोध्या रैली का समर्थन करने वाले संत गलत हैं क्योंकि इससे बलात्कार के एक आरोपी को समर्थन मिलेगा।”

सिंह ने कहा कि टिकैत और हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के अन्य किसान नेता सोरम बैठक में भाग लेंगे।

अयोध्या के एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया कि, "बृजभूषण के आदमी अयोध्या और आसपास के जिलों में संतों को रैली के लिए जुटाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। वे पहलवानों और सरकार को संदेश देना चाहते हैं कि सभी धार्मिक संगठन भाजपा सांसद के पीछे हैं और उनका समर्थन करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि चूंकि अयोध्या धार्मिक राजनीति का केंद्र बन गया है, इसलिए कोई भी सरकार संतों की उपेक्षा करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Ayodhya Seers Back Brij Bhushan, Demand POCSO Act Amendment

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