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'भारत बचाओ' : सीटू, किसान सभा और एआईएडबल्यूयू 25 जुलाई से शुरू करेंगे 15 दिन का अभियान

मज़दूरों, किसानों और खेत मज़दूरों के संगठनों का यह अभियान 9 अगस्त को 'भारत बचाओ' के नाम से होने वाले देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र किया जा रहा है।
'भारत बचाओ'

सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन्स(सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा(एआईकेएस) और ऑल इंडिया एग्रिकल्चर वर्कर्स यूनियन(एआईएडबल्यूयू) ने साझे तौर पर 25 जुलाई से 15 दिन लंबा देशव्यापी अभियान शुरू करने का फ़ैसला किया है। यह अभियान ऐसे समय पर हो रहा है जब केंद्र सरकार किसानों और मज़दूरों की मांगों को मानने की तरफ़ कोई क़दम बढ़ाती नहीं दिख रही है।

अभियान के तौर पर, तीनों संगठनों के सदस्य देश के अलग-अलग हिस्सों अपनी मांगों को लेकर जागरूकता फैलाएँगे। मज़दूरों, किसानों और खेत मज़दूरों के संगठनों का यह अभियान 9 अगस्त को 'भारत बचाओ' के नाम से होने वाले देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के मद्देनज़र किया जा रहा है।

इसी दिन 1942 में महात्मा गांधी के 'भारत छोड़ो' आंदोलन की शुरूआत की थी, जो अंग्रेज़ों को भारत से भगाने में अहम अभियान साबित हुआ था।

सीटू की अध्यक्ष के. हेमलता ने कहा कि "देश के धन निर्माता" - मजदूर, किसान और खेत मज़दूर एक साथ आकर नरेंद्र मोदी की सरकार के ख़िलाफ़ अभियान तेज़ करेंगे। उन्होंने मंगलवार को न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "हमारा पहला लक्ष्य यह होगा कि हम अपने सदस्यों को ही नहीं, आम जनता को भी मांगों के बारे में बताएंगे। हमें मोदी सरकार के ज़िद्दी रवैये के बारे में भी बात करनी होगी।"

हेमलता ने आगे बताया कि कुल 7 मांगें रखी जाएंगी। उनके अनुसार इनमें रुपये का नकद समर्थन शामिल होगा सभी गैर-आयकर दाता परिवारों 7,500 रुपये का नकद समर्थन, ज़रूरतमंद लोगों को राशन सहायता, सार्वभौमिक मुफ्त टीकाकरण, तीन कृषि कानूनों और श्रम संहिताओं को वापस लेने के साथ-साथ अन्य मांगें शामिल की जाएंगी।

एआईएडबल्यूयू के संयुक्त सचिव विक्रम सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया कि देश भर में अभियान के तौर पर विभिन्न प्रारंभिक कार्यक्रम किए जाएंगे। उन्होंने बताया, "उत्तर प्रदेश की राज्य यूनिट के लोग एक साइकल जत्था करने की तैयारी कर रहे हैं, हरियाणा में भी एक वाहन जत्था किया जाएगा। गाँव स्तर पर पंचायतें भी की जाएंगी।"

सिंह ने आगे कहा कि इन कार्यक्रमों में हिस्सेदारी के ज़रिये यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ चल रहा संघर्ष कमज़ोर न पड़े। यह अभियान ऐसे समय में हो रहा है जब मोदी सरकार द्वारा लाये गए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर हज़ारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का समर्थन मज़दूरों और खेत मज़दूरों के संगठनों ने भी किया।

देशव्यापी अभियान का साझा अभियान उस समय पर भी आया है जब संयुक्त किसान मोर्चा9एसकेएम) ने 22 जुलाई को संसद के बाहर धरने का आह्वान किया है। संसद का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होने वाला है।

एसकेएम के ऐलान के अनुसार क़रीब 200 किसान- हर संगठन से 5 सदस्य मानसून सत्र के दौरान रोज़ संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे।

एआईकेएस के संयुक्त सचिव विजू कृष्णन ने कहा कि जब से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू हुआ है, किसान संगठन और ट्रेड यूनियनों ने एक दूसरे का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, "इसी तरह इस बार भी जब किसान दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे तब मज़दूर संगठन देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन करेंगे।"

9 अगस्त को "भारत बचाओ" दिवस के बारे में कृष्णन ने कहा, "यह पिछले साल के देशव्यापी प्रदर्शन के तौर पर ही हो रहा है। इसलिए यह दिन भी देश भर में उसी ताक़त के साथ मनाया जाएगा।"

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें।

‘Save India’: CITU, AIKS and AIAWU to Launch Fortnight-long Campaign from July 25

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