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सत्ता हासिल करने के लिए नहीं, भाजपा को हटाने के लिए एकजुट हुए हैं धर्मनिरपेक्ष दल: डी राजा

राजा ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भाजपा पर अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का दबाव बना रखा है, जिसके कारण दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं तथा अन्य पर हमले बढ़े हैं।
D Raja
फ़ोटो : PTI

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने सोमवार को कहा कि सभी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दल 2024 में होने वाले आम चुनाव में सत्ता हासिल करने के मकसद से नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिकस्त देने के लिए एकजुट हुए हैं।

झारखंड की दो दिवसीय यात्रा पर यहां आए डी राजा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वर्तमान में देश के हालात ‘गंभीर’ और ‘चिंतित करने वाले’ हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की खातिर भाजपा को उखाड़ फेंकने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दलों का मत है कि भाजपा को हराने के लिए सभी को साथ आना चाहिए। यह राजनीतिक सत्ता हासिल करने के बारे में नहीं है बल्कि संविधान, लोकतंत्र, देश और उसके भविष्य को बचाने के बारे में है। यह समझ अब तेजी से विकसित हो रही है...।’’

भाकपा नेता ने कहा, ‘‘इस गुट का नेता कौन होगा, यह कोई मुद्दा ही नहीं है। हर चीज पर बातचीत हो सकती है और सामूहिक निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि सारे दल परिपक्व हैं।’’

राजा ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से बाहर रखने के लिए वर्ष 1996 में गठित संयुक्त मोर्चा (यूएफ) का उल्लेख करते हुए विपक्षी दलों के तब का भी अनुभव है।

उन्होंने कहा, ‘‘उस समय जीत के बाद नेतृत्व संबंधी बातों को हल कर लिया गया था। यहां तक कि एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर भी चर्चा हुई थी और उसे स्वीकार किया गया था। कोई दिक्कत नहीं थी। सब कुछ सही रहा और हर चीज पर सामूहिक रूप से चर्चा की गई। धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक दलों के एकजुट होने के लिए कोई शर्त नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की होने वाली बैठक में वह भाकपा का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विभिन्न विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शामिल होंगे।

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई बैठक में भाजपा विरोधी दल 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार करेंगे।

राजा ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भाजपा पर अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का दबाव बना रखा है, जिसके कारण दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं तथा अन्य पर हमले बढ़े हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब से भाजपा सत्ता में आई है, आरएसएस आक्रामक हो गया है और सरकार पर अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का दबाव बना रहा है। यही कारण है कि हमें दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं तथा अन्य पर हमले बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र को तबाह किया जा रहा है और उसका निजीकरण किया जा रहा है। सरकार खुलेआम बड़े औद्योगिक घरानों का पक्ष ले रही है और यहां तक कि संसद को भी निरर्थक बनाया जा रहा है।’’

राजा ने मणिपुर के हालात के लिए भी भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और इस पर ‘खामोशी’ के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। ज्ञात हो कि मणिपुर में तीन मई से शुरु हुई हिंसा की विभिन्न घटनाओं में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान गई है।

राजा ने कहा, ‘‘मोदी दावा करते हैं कि डबल इंजन की सरकारें मणिपुर सहित कई राज्यों में बड़ी प्रगति ला रही हैं लेकिन हालात देखिए। सरकार को सभी राजनीतिक दलों को भरोसे में लेना होगा। इसे दोनों पक्षों से शांति, सद्भाव और शांति बनाए रखने की अपील करनी चाहिए। ये हालात सरकार ने पैदा किए हैं।’’

उन्होंने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के आंदोलन के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री को घेरा।

उन्होंने कहा, ‘‘देखिए उन पहलवानों का क्या हो रहा है जिन्होंने देश का नाम रोशन किया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने उन पर एक शब्द नहीं कहा... भाजपा सरकार सुशासन देने में विफल रही है। पूरे देश में भाजपा के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा झारखंड, दिल्ली और तमिलनाडु में लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को परेशान करने के लिए सभी साधनों का इस्तेमाल कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी और उनकी सरकार विपक्षी दलों और गैर-भाजपा सरकारों को डराने की कोशिश कर रही है। उन्हें लगता है कि वे इस तरह की हरकतें करके लोगों की आंखों में धूल झोंक सकते हैं। लेकिन देश के लोग काफी परिपक्व हैं और समझते हैं कि मोदी सरकार ने देश के साथ क्या किया है।’’

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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