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COVID -19 संक्रमणों में ख़तरनाक वृद्धि के साथ जर्मनी में सेमी लॉकडाउन

नए नियमों के अनुसार जर्मनी भर में स्कूल और ग़ैर-ज़रूरी दुकानें बुधवार 16 दिसंबर से 10 जनवरी तक बंद रहेंगी।
कोरोना वायरस

जर्मनी में COVID-19 संक्रमण में तेज़ी से हो रही वृद्धि को काबू करने के लिए रविवार 13 दिसंबर को जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने जर्मनी में सेमी-लॉक डाउन की घोषणा की जो बुधवार 16 दिसंबर से लागू होगा। COVID-19 संक्रमण के पहले दौर में इससे होने वाली मौतों को नियंत्रित करने में जर्मनी अपेक्षाकृत सफल रहा (23 अप्रैल तक 150,000 मामले सामने आए और 5,000 से अधिक मौत के सामने आए)। लेकिन अप्रैल के तीसरे सप्ताह से लॉकडाउन के नियमों में धीरे-धीरे ढ़ील देने के साथ देश के कई हिस्सों में मामलों में वृद्धि हुई और अक्टूबर तक ये वृद्धि खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। 14दिसंबर तक जर्मनी में COVID-19 संक्रमण से 22,607 मौत के साथ 1,348,851 मामले सामने आए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक गैर-जरूरी दुकानों को बुधवार से बंद करने का आदेश दिया गया है। नए लॉकडाउन नियमों के अनुसार, सभी स्कूल 10 जनवरी तक बंद रहेंगे और तब तक कक्षाएं ऑनलाइन ली जाएंगी।

नए लॉकडाउन को लेकर जर्मनी में डाई लिंके (द लेफ्ट) ने आरोप लगाया है कि “ये लॉकडाउन संघीय सरकार की अब तक की विफलताओं को दोष रहित नहीं बनाता है। संक्रमण-विरोधी नियम अभी भी एक सामाजिक विकार को दर्शाते हैं। हम लॉकडाउन के दौरान प्रभावी सामाजिक एकजुटता की मांग करते हैं जो किसी को पीछे न रखे! "

डाई लिंके ने सरकार से कम वेतन वाले कर्मचारियों के लिए अल्पावधि भत्ता में वृद्धि, स्व-नियोजित के लिए त्वरित क्षतिपूर्ति भत्ता, बुनियादी सुरक्षा तक आसान पहुंच,कल्याण भत्ते में वृद्धि, बेदखली को रोकना, बेघर लोगों को आश्रय, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए तकनीकी और शैक्षणिक व्यवस्था, बुजुर्ग लोगों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं आदि सहित सभी के लिए नि: शुल्क जांच तथा नि: शुल्क मास्क, आवश्यक उत्पादन में लगे श्रमिकों के लिए सुरक्षित वातावरण, सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा और नए लॉकडाउन अवधि के दौरान लोकतांत्रिक अधिकारों की गारंटी के सुनिश्चित करने की मांग की है।

पिछले हफ्ते, जर्मनी के कई हिस्सों में स्कूली छात्रों ने COVID -19 संक्रमणों में खतरनाक वृद्धि के मद्देनजर स्कूलों में अपर्याप्त सुरक्षा उपायों को लेकर विरोध किया। शनिवार 12 दिसंबर को म्यूनिख में स्कूली छात्रों ने हड़ताल की और COVID-19 अवधि के दौरान कक्षाओं में सुरक्षा की मांग के लिए इकट्ठा हुए।

इससे पहले, देश में कई दक्षिणपंथी समूहों ने देश भर में ’हाइजीन डेमो’ और लॉकडाउन विरोधी प्रदर्शन का आयोजन किया। अल्टर्नेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) सहित अति दक्षिणपंथी समूहों ने जर्मनी में COVID-19 के प्रसार के लिए यहूदियों और आप्रवासी समुदायों को निशाना बनाते हुए इस तरह के 'हाइजीन डेमो' का आयोजन किया।

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