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सेंगोलवादी केंद्रीय शासन बनाम केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु का गवर्नेंस मॉडल

बीते कुछ दशकों से हमारे देश के हिंदी-भाषी इलाक़ों और दक्षिण के राज्यों के बीच सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक-बौद्धिक प्रगति और गवर्नेंस के स्तर पर बहुत अंतर नज़र आ रहा है.

बीते कुछ दशकों से हमारे देश के हिंदी-भाषी इलाक़ों और दक्षिण के राज्यों के बीच सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक-बौद्धिक प्रगति और गवर्नेंस के स्तर पर बहुत अंतर नज़र आ रहा है. दक्षिण के केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्य तरक़्क़ी की नई मंज़िलें छू रहे हैं लेकिन हिंदी भाषी सूबे के लोगों को मंदिर-मस्जिद विवाद और लव जिहाद से लेकर सेंगोलवाद के दुष्चक्र में फँसाया जा रहा है. आबादी में अपेक्षाकृत बहुत कम होने के बावजूद दक्षिण के राज्यों का देश की GDP, बौद्धिक और वैज्ञानिक-तकनीकी विकास में बड़ा योगदान है. क्या हैं मूल कारण? दोनों इलाक़ों के गवर्नेंस मॉडल में क्या हैं फ़र्क़? #AajKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार Urmilesh का विचारोत्तेजक विश्लेषणः

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