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इज़रायल के साथ प्राकृतिक गैस सौदे के ख़िलाफ़ जॉर्डन में समाजसेवियों ने विरोध शुरू किया

दोनों देशों के बीच इस गैस सौदे की जॉर्डन में वर्षों से व्यापक रूप से निंदा की गई है। ट्रेड यूनियनों, एक्टिविस्टों और नेताओं ने इसे "फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ विश्वासघात" माना है।
इज़रायल के साथ प्राकृतिक गैस सौदे के ख़िलाफ़ जॉर्डन में समाजसेवियों ने विरोध शुरू किया

जॉर्डन में फिलिस्तीन समर्थक बीडीएस एक्टिविस्टों ने 15 वर्षों की अवधि में लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अत्यधिक विवादास्पद जॉर्डन-इज़रायल प्राकृतिक गैस सौदे के खिलाफ विरोध और प्रदर्शन करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान को आरंभ किया है। इस रिपोर्ट को कई मीडिया घरानों ने बुधवार 2 जून को प्रकाशित किया।

इस अभियान ने जॉर्डन के आम नागरिकों से आग्रह किया है कि वे आने वाले शनिवार को रात 10 बजे से रात 11 बजे तक एक घंटे के लिए अपने घरों की इलेक्ट्रिसिटी बंद कर जॉर्डन को इजरायली गैस की आपूर्ति के खिलाफ इस मौन विरोध प्रदर्शन में भाग लें। अभियान को व्यापक रूप से लोकप्रिय बनाने और प्रसारित करने के लिए हैशटैग #pull_theplug का इस्तेमाल करते हुए एक्टिविस्टों का उद्देश्य इस मामले के बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि जॉर्डन सरकार किस तरह से इजरायल के साथ व्यापार कर रही है और इसलिए इजरायल के व्यापार को आर्थिक रूप से सहायता कर रही और उसे बढ़ावा दे रही है।

ग्लोबल बॉयकॉट, डायवेस्टमेंट एंड सैंक्शन अभियान के जॉर्डन के समूह ने बहिष्कार/विरोध के इस नवीनतम रूप का समर्थन किया है और जॉर्डन सरकार से इजरायल के साथ इसके गैस सौदे को समाप्त करने की मांग की है।

मूलतः साल 2016 में इन दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित समझौते का जॉर्डन के सभी क्षेत्र के लोगों द्वारा व्यापक रूप से विरोध और निंदा की गई थी। इसे पिछले साल जॉर्डन की संसद में भारी बहुमत से भी खारिज कर दिया गया था। सभी 130 संसद सदस्यों ने इस सौदे को रद्द करने के लिए मतदान किया था। पिछले साल जनवरी 2020 में बड़े पैमाने पर उस समय स्वतःस्फूर्त विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए थे जब जॉर्डन ने प्रायोगिक तौर पर तीन महीने के लिए इजरायली गैस लेना शुरू किया था।

हालिया विरोध गाजा पर जानलेवा इजरायली हवाई हमलों और अल-अक्सा मस्जिद परिसर में फिलिस्तीनियों पर हमलों के बाद शुरु हुआ है जिसे जॉर्डन की एक जॉर्डन वफ़क समिति के माध्यम से इजरायल और जॉर्डन के बीच शांति समझौते के अनुसार देख रेख करना है। भले ही इज़रायल फ़िलिस्तीनी की ओर से कोई ठोस कार्रवाई करने के बजाय उस तरह की बुनियादी ऐतिहासिक समझौते का सम्मान करने में विफल रहा हो फिर भी सरकार अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए इज़रायली गैस की आपूर्ति की अनुमति देना जारी रखे हुए है। ऊर्जा जरुरतों का 98 प्रतिशत दूसरे देशों से आयात किए जाते हैं।

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