Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

सियासत: दिग्विजय सिंह पर चर्चा के बीच सोनिया गांधी और एके एंटनी की मुलाकात

कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद पर नॉमिनेशन के लिए सिर्फ दो दिन बचे हैं, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है, वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है, तो पायलट की चुप्पी ने भी संकट खड़ा कर दिया है।
digvijay singh

राजस्थान से लेकर दिल्ली के 24 अकबर रोड तक चल रही राजनीतिक सरगर्मी जनता के लिए दिलचस्प है तो कांग्रेस के लिए पेचीदा होती जा रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा, कौन राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेगा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट का राजनीतिक भविष्य क्या होने वाला है, ऐसे तमाम सवाल इन दिनों देशभर के मीडिया ख़ासकर टीवी चैनलों की शोभा बढ़ा रहे हैं।

लेकिन जो नेता कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं, या फिर राजस्थान की कुर्सी पर नज़रे गड़ाए बैठे हैं, वो लगातार आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गए हैं।

इसी बीच पार्टी की मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी और राजनीति से संन्यास ले चुके पूर्व विदेश मंत्री एके एंटनी की मुलाकात ने हलचलें बढ़ा दी हैं। क्योंकि जिस तरह से अशोक गहलोत पर विधायकों को भड़काने के लिए साज़िश रचने के इल्ज़ाम लगे हैं, उसके बाद से आलाकमान के दिमाग में अध्यक्ष पद के लिए दूसरे वरिष्ठ का नाम ज़रूर घूमने लगा होगा, शायद इसी कड़ी का एक हिस्सा एके एंटनी हो सकते हैं।

फिलहाल ख़बर थी कि अशोक गहलोत दिल्ली आकर हाईकमान से मुलाकात करने वाले हैं, लेकिन उनके आने का प्लान बार-बार टाला जा रहा है, फिर राजस्थान के परिवहन मंत्री खाचरियावास का ये बयान कि मुख्यमंत्री फिलहाल इस्तीफा नहीं देंगे, ये बता रहा है कि अशोक गहलोत दो पदों के लिए हाईकमान को झुकाने की कोशिश कर रहे हैं।

लेकिन मामला दिलचस्प तब हो गया जब पता चला कि दिग्विजय सिंह भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि दिग्विजय सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता के साथ गांधी परिवार के बहुत क़रीबी भी हैं, ऐसे में ये कहना ग़लत होगा कि वो अध्यक्ष नहीं बनाए जाएंगे। कहने का मतलब ये है कि अगर हाईकमान के सामने राजस्थान का संकट और ज्यादा बढ़ जाता है, तो दिग्विजय के नाम पर ज़रूर विचार होना तय मानिए। या फिर शायद यूं कहें कि अशोक गहलोत से बात नहीं बनने पर दिग्विजय सिंह को स्टैंड बाई पर रखा गया है।

इसके अलावा दिग्विजय सिंह पर पार्टी क्यों विश्वास जताने को तैयार है, इसका जवाब दिग्विजय के राजनीतिक करियर से ही समझ आ जाता है। दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश में 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं, और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का इंचार्ज बनाया जाना उनकी काबिलियत को दर्शाता है, फिर भारत जोड़ो यात्रा को उम्मीद से अच्छा रिस्पांस मिलना भी उन्हें अध्यक्ष पद की रेस में आगे करता है।

ख़ैर... इन दिनों ज्यादा महत्वपूर्ण कांग्रेस के लिए राजस्थान हो गया है। क्योंकि इस बार यहां गांधी परिवार के बहुत करीबी और अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे अशोक गहलोत 28 सितंबर यानी बुधवार की दोपहर विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशीमंत्री शांति धारीवाल समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों से मिले।  

हालांकि कांग्रेस के इस संकट को लेकर पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान संकट का समाधान एक-दो दिन में ढूंढ लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम प्रजातंत्र में विश्वास करते हैं और हमारे यहां पर सब कुछ प्रजातांत्रिक तरीके से चर्चा होती है।

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत खेमे के विरोध का सामना कर रहे सचिन पायलट पहले से ही दिल्ली में मौजूद हैं। अभी तक पायलट ने केवल यही कहा है कि वे हाईकमान के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा पायलट या उनके किसी समर्थक ने कोई बयान नहीं दिया है। इस चुप्पी को गंभीर माना जा रहा है।

इन सियासी घटनाक्रमों के बाद हाईकमान भी अब थोड़ा साइलेंट मोड में आ गया है, क्योंकि उसे पता है कि यहां तबतक कोई बात आगे नहीं बढ़ सकती है, जबतक अशोक गहलोत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। यानी अगर गहलोत पद नहीं छोड़ते हैं, तो उन्हें अध्यक्ष पद से अपना हाथ पीछे खींचना ही पड़ेगा, क्योंकि जयपुर में हुए चिंतन शिविर और कुछ दिनो पहले हुई राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेस में ये साफ हो गया था कि कोई भी व्यक्ति पार्टी के अंदर एक ही पद पर रह सकता है।

लेकिन यहां ये ज़रूर कहा जा सकता है कि सचिन पायलट हाईकमान के सामने ये शर्त रखवाएं कि साल 2023 का चुनाव उनके नाम पर ही लड़ा जाएगा। क्योंकि सचिन पायलट भी जानते हैं, कि कांग्रेस हाईकमान के लिए इससे ज्यादा नाज़ुक मौका फिर नहीं मिलेगा।

हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, क्योंकि... कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के मामले में कांग्रेस हाईकमान ने एक्शन लेते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवालसचेतक महेश जोशी और धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को कांग्रेस अनुशासन समिति ने मंगलवार रात को नोटिस जारी किए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर कोई एक्शन नहीं लिया गया हैउन्हें क्लीनचिट देने से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में गहलोत के अभी मुख्यमंत्री  बने रहने के आसार नजर आ रहे हैं। साथ ही गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नॉमिनेशन पर सस्पेंस बना हुआ है।

आपको बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नॉमिनेशन फाइल करने की आख़री तारीख़ 30 सितंबर है, जिसमें महज़ दो दिन बाकी हैं, वहीं अब तक कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से केवल शशि थरूर और कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल ही नॉमिनेशन फॉर्म लेकर गए हैं। लेकिन पवन बंसल खुद नॉमिनेशन भरने से मना कर चुके हैं। जबकि शशि थरूर 30 सितंबर को अपना नॉमिनेशन फाइल कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर दिग्विजय सिंह का नॉमिनेशन होगा, तो उनका नाम लगभग तय माना जाएगा, क्योंकि वो पार्टी हाईकमान की ही राय होगी। दूसरी तरफ अगले दो दिनों में मनीष तिवारी का नाम भी सामने आ सकते हैं, या फिर एके एंटनी भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं।

कुल मिलाकर पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम ये बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद की पहली पसंद अभी तक अशोक गहलोत बने हुए थे, अब उनकी जगह दिग्विजय सिंह ले सकते हैं, और ऐसे में मुकाबला दिग्विजय सिंह बनाम शशि थरूर देखने को मिल सकता है।

आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह और शशि थरूर के बीच मुकाबले में फिलहाल पलड़ा दिग्विजय सिंह का ही भारी नज़र आता है, क्योंकि वो गांधी परिवार के करीबी के साथ-साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता भी हैं, और हिंदी पर बहुत अच्छी पकड़ा रखते हैं। वहीं शशि थरूर को जी-23 खेमे का होना थोड़ा कमज़ोर बनाता है।

फिलहाल... दिल्ली कांग्रेस में कुछ भी हो, लेकिन राजस्थान कांग्रेस में राजनीतिक बगावत होना तय है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest