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दक्षिण अफ़्रीका ने इज़रायल को पर्यवेक्षक का दर्जा देने वाले अफ़्रीकी संघ की आलोचना की

अफ़्रीका ने यह भी आरोप लगाया कि इस यहूदी राष्ट्र को पर्यवेक्षक का दर्जा देने का निर्णय "एकतरफ़ा" और एयू सदस्य राष्ट्रों के परामर्श के बिना लिया गया था।
दक्षिण अफ़्रीका

दक्षिण अफ्रीका ने इज़रायल को महाद्वीपीय संगठन में आधिकारिक पर्यवेक्षक का दर्जा देने के अफ्रीकी संघ (एयू) के फैसले की कड़ी निंदा की है। 28 जुलाई को कई मीडिया संस्थानों ने इसे प्रकाशित किया। एयू आयोग के फैसले की आलोचना करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने एक बयान में कहा कि यह "अफ्रीकी संघ में इज़रायल को पर्यवेक्षक का दर्जा देने के एयू आयोग के अन्यायपूर्ण और अनुचित निर्णय पर चकित है।" इस निर्णय को "अकथनीय" और "समझ से बाहर" बताते हुए दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि "इज़रायल को पर्यवेक्षक का दर्जा देने का निर्णय ऐसे वर्ष में और भी चौंकाने वाला है जिसमें फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों को विनाशकारी बमबारी करके परेशान किया गया था और इस भूमि पर अवैध बस्तियों का निर्माण जारी रखा गया था।"

दक्षिण अफ्रीका ने एयू आयोग पर संगठन के सदस्यों से परामर्श किए बिना "एकतरफा" निर्णय लेने का भी आरोप लगाया। इसने कहा कि यह एयू आयोग के अध्यक्ष मौसा फाकी महामत से इस निर्णय के बारे में एयू सदस्य राष्ट्रों को जानकारी देने के लिए कहेगा और आशा व्यक्त की कि इस निर्णय पर राष्ट्रों प्रमुखों और सरकारों के स्तर पर चर्चा की जाएगी। इसने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति भी स्पष्ट करते हुए कहा कि "दक्षिण अफ्रीका का दृढ़ विश्वास है कि जब तक इजरायल बिना पूर्व शर्त के शांति योजना पर बातचीत करने को तैयार नहीं है तब तक उसे पर्यवेक्षक का दर्जा नहीं मिलना चाहिए।"

एयू ने पिछले गुरुवार को इज़रायल को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया था, एयू और इज़रायली विदेश मंत्रालय दोनों ने कहा कि नई स्थिति से दोनों पक्षों को बेहतर संबंध विकसित करने और चल रहे कोरोनावायरस महामारी, आतंकवाद और कई अन्य मुद्दों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जैसे मुद्दों के संबंध में मजबूत सहयोग विकसित करने में मदद मिलेगी। रिपोर्टों में कहा गया है कि लगभग 20 वर्षों के राजनयिक प्रयासों के बाद इजरायल आखिरकार एयू में यह दर्जा हासिल करने में कामयाब रहा। इसने पहले ऑर्गनाइजेशन ऑफ अफ्रीकन यूनिटी (ओएयू) में पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल किया था लेकिन 2002 में उस संगठन के भंग होने और इस स्थान पर एयू के आने के बाद इज़रायल अब तक इस परवर्ती संगठन में ये दर्जा हासिल करने में विफल रहा था। फ़िलिस्तीन को पहले से ही एयू में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है और ये संगठन नियमित रूप से फ़िलिस्तीनी मामले के समर्थन में बयान जारी करता है।

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