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दक्षिणी यूक्रेन नाटो योजना की प्राथमिकता में है

20 जून की सुबह यूक्रेनी सेना का स्नेक आइलैंड पर सैनिकों के उतारे जाने की एक और बड़ी कोशिश इस बात का संकेत है कि रूसी कब्ज़े को अब भी कड़ी चुनौती मिल रही है।
Nato
ओडेसा के काला सागर में वीरान स्नेक आइलैंड रूस और नाटो के बीच की प्रतिस्पर्धा का एक प्रमुख रंगमंच बन गया है

जब रूसी सेना ने 24 फ़रवरी की रात को यूक्रेन की पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं को पार किया, तो दुनिया का ध्यान कीव के भविष्य पर गया। लेकिन, ओडेसा से तक़रीबन 140 किमी दूर काला सागर के सुदूर दक्षिण में शायद ही तब किसी का ध्यान गया हो, जब रूसी नौसेना ने उस रात हमला कर दिया था और स्नेक द्वीप पर स्थित 46 एकड़ में फैले उस पूरे यूक्रेनी सैन्य यूनिट पर कब्ज़ा कर लिया था, जो चट्टानों से अटा पड़ा है और घास से ढका हुआ रहता है।

लेकिन, 20 जून की सुबह यूक्रेन की सेना की ओर से इस स्नेक आइलैंड पर सैनिकों का उतारे जाने की एक और बड़ी कोशिश इस बात का संकेत है कि रूसी कब्ज़े को अब भी कड़ी चुनौती मिल रही है। रूसियों का कहना है कि उन्होंने स्नेक आइलैंड के पास बेहद ऊंचाई पर अमेरिकी वायु सेना के एक ग्लोबल हॉक आरक्यू -4 रणनीतिक टोही विमान यूएवी को देखा था, जो साफ़ तौर पर यूक्रेन की युद्ध स्थिति का जायज़ा ले रहा था।

मॉस्को में एमओडी ने मंगलवार को मुख्य प्रवक्ता लेफ़्टिनेंट जनरल इगोर कोनाशेनकोव की ओर से रोज़-रोज़ की जानकारी दिये जाने के दौरान स्नेक आइलैंड पर एक लंबा-चौड़ा लेखा-जोखा (अंग्रेज़ी में) जारी किया गया। उस बयान में कहा गया है:

* “कीव की हुक़ूमत ने 20 जून को तक़रीबन 05.00 बजे स्नेक आइलैंड पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी।”

* “कीव की हुक़ूमत की ओर से तैयार किये गये ऑपरेशन की उस योजना को स्नेक द्वीप पर बड़े पैमाने पर हवाई और तोपों के हमलों के साथ शुरू करना था, ताकि वहां सैनिकों को उतारा जा सके और उस पर कब्ज़ा किया जा सके।”

*  “उस हवाई हमले में 15 से ज़्यादा यूक्रेनी हमले और मानव रहित टोही हवाई वाहन (UAV) शामिल थे, जिन्हें दो बायरकटार-टीबी2 यूएवी के साथ लगाया गया था।”

* “रूसी साधनों से स्नेक आइलैंड के पास बेहद ऊंचाई पर उड़ रही अमेरिकी वायु सेना के ग्लोबल हॉक आरक्यू -4 रणनीतिक टोही विमान यूएवी का पता लगा लिया था।”

* “यूक्रेनी यूएवी को एस-300 वायु रक्षा प्रणालियों से तुजला और ओचकोव (ओडेसा क्षेत्र में) के पास हवा में उनकी युद्धक स्थिति से मदद की गयी थी।”

* “स्नेक आइलैंड पर मिसाइल और तोपों से किये गये हमले यूक्रेनी टोचका-यू बैलिस्टिक मिसाइलों, उरगन मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और M777 155-mm हॉवित्जर से उनकी युद्धक स्थिति से ओडेसा और कुबंस्की द्वीप में पश्चिम की ओर शुरू किये गये थे।”

* “रूसी वायु रक्षा उपकरणों (पैंटिर वायु रक्षा मिसाइल और तोप प्रणाली और टोर वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली) ने स्नेक द्वीप पर स्थित दुश्मन क्षेत्र पर तबाही मचाने वाले सभी उपकरणों को नष्ट कर दिया है।”

* “जो तबाही के निशाने पर थे,वे थे: 13 यूएवी, 4 टोचका-यू मिसाइल और उरगन मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर के 21 प्रोजेक्टाइल।”

* “स्नेक आइलैंड में कोई भी यूक्रेनी तबाही के हथियार अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया है।”

* “गोले-बारूद से किये गये नाकाम हमले ने दुश्मन को स्नेक द्वीप पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया।”

स्नेक आइलैंड पर नियंत्रण पाना सामरिक लिहाज़ से महत्वपूर्ण है। यह एक ओडेसा के दक्षिणी तट के पास स्थित यह आइलैंड आने वाले समय में उस बंदरगाह शहर पर अपेक्षित रूसी संचालन के लिए एक ज़रूरी सैनिक अड्डा है। उसी तरह, स्नेक आइलैंड के रूसी नियंत्रण को हटाना कीव के लिए अहम हो जाता है।

अगर यूक्रेनी सेना ने द्वीप पर नियंत्रण हासिल कर लेता है,तो इससे न सिर्फ़ ओडेसा के पास हवा और समुद्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है, बल्कि समुद्र के रास्ते नाटो की ओर से किये जाने वाले सैन्य उपकरणों की आपूर्ति के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, स्नेक आइलैंड आकार के लिहाज़ से महज़ एक वर्ग किलोमीटर का एक छोटा सा टुकड़ा है, लेकिन पश्चिमी काला सागर में समुद्री मार्गों के नियंत्रण के लिहाज़ से इसका महत्व संदेह से परे है।

अगर रूस अपनी लंबी दूरी की वायु-रक्षा प्रणाली स्थापित कर लेता है, तो वह काला सागर के उत्तर-पश्चिम हिस्से और यूक्रेन के दक्षिण में समुद्र, ज़मीन और हवाई क्षेत्र को नियंत्रित कर लेगा। इससे रूसी सैनिकों को रूसी नियंत्रण के तहत मोल्दोवा के टूटे हुए क्षेत्र,यानी उस ट्रांसनिस्ट्रिया में सेंध लगाने का मौका मिल जायेगा, जो यूक्रेन के बगल में स्थित है और ओडेसा से दूर नहीं है। अमेरिका मोल्दाविया में रूस के ख़िलाफ़ "एक और यूक्रेन" बनाने को लेकर तेज़ी से काम कर रहा है, जहां दोहरी अमेरिकी नागरिकता वाले राष्ट्रपति और शीर्ष अधिकारी हैं और जो यूरोपीय संघ और नाटो की सदस्यता चाहते हैं।

स्नेक आइलैंड उस रोमानिया के तट से महज़ 45 किमी ही दूर है, जो नाटो का सदस्य है, जहां इस गठबंधन ने इस समय यूएस, जर्मनी, फ्रांस, यूके, पोलैंड आदि से 4,000 सैनिकों की अनुमानित स्थल सेना को तैनात कर रखा है। स्नेक आइलैंड उस डेन्यूब नदी के मुहाने के क़रीब स्थित है, जो यूक्रेन के साथ-साथ रोमानिया की सीमा भी तय करती है। सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि स्नेक आइलैंड पर रूसी सैनिक दक्षिण-पूर्वी यूरोप के प्रवेश द्वार,यानी डेन्यूब डेल्टा में यातायात को नियंत्रित करने की स्थिति में हो सकते हैं। रोमानिया का काला सागर बंदरगाह कॉन्स्टेंटा सुदूर दक्षिण नहीं है। 

साफ़ तौर पर स्नेक आइलैंड पर नियंत्रण हासिल करने को लेकर यूक्रेन के बार-बार किये जाने वाले प्रयासों की योजना और उसके संचालन में अमेरिका और यूके की भागीदारी से पता चलता है कि उन्होंने स्नेक द्वीप को युद्ध में एक अहम और तक़रीबन लम्बे समय से चर्चित टापू की हैसियत दे दी है। स्नेक आइलैंड में S-400 मिसाइल प्रणाली की कोई भी रूसी तैनाती निश्चित रूप से नाटो के दक्षिणी हिस्से को ख़तरे में डाल देगी। 

यह कहना मुनासिब होगा कि काला सागर में नाटो की स्थायी मौजूदगी और काकेशस और कैस्पियन और मध्य एशियाई क्षेत्रों की ओर भविष्य का विस्तार तब तक समस्याग्रस्त बना रहेगा, जब तक रूस स्नेक आइलैंड के नियंत्रण में है।

स्नेक आइलैंड यूक्रेन युद्ध की निराशा का प्रतीक है। डोनबास की लड़ाई के कामयाबी के साथ ख़त्म हो जाने के बाद भी रूस अपना अभियान समाप्त नहीं कर सकता है। कीव में शांति की संभावना नहीं है। अमेरिका से आने वाले भारी हथियारों की तैनाती के साथ ही कीव जवाबी कार्रवाई की गंभीरता से तैयारी कर रहा है।

खार्किव रूसी सीमा से महज़ 40 किमी दूर है और यूक्रेनी सेनायें वहां हार मानने के मूड में दिखायी नहीं देती हैं। दक्षिण में कीव ने ज़ोपोरोज़िज़िया, खेरसॉन और मायकोलाइव क्षेत्रों को फिर से वापस लेने की क़सम खाई हुई है, जिसे रूस ने अपने भृ-भाग में मिलाने की योजना बनायी है। ओडेसा में यूक्रेनी सेना अच्छी तरह से मौजूद है। ज़ाहिर है कि नाटो ओडेसा के लिए एक बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रहा है। स्नेक आइलैंड के लिए जारी लड़ाई उसी का प्रतीक है।

किसी द्वीपीय लड़ाई में जो दो अमेरिकी हथियार प्रणालियां गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं, और वे प्रणालियां हैं- हार्पून एंटी-शिप मिसाइल और हाई-मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS)। जहां हार्पून यूक्रेनियाई लोगों को समुद्री तट से स्नेक द्वीप को काटने में मदद कर सकता है, वहीं हाई-मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) उन्हें अपने मनमाफ़िक़ इस द्वीप पर बमबारी करने दे सकता है।  

काला सागर बेड़ा काला सागर के नियंत्रण में रहता है और रूसियों ने साफ़ तौर पर स्नेक आइलैंड में एक टोर वायु-रक्षा प्रणाली भेजने में कामयाबी हासिल कर ली है। लेकिन, जैसे ही हार्पून एंटी-शिप मिसाइलों के लिए ट्रक-माउंटेड लॉन्चर की अमेरिकी आपूर्ति यूक्रेन पहुंचेगी,यह स्थिति बदल सकती है। हार्पून की मारक क्षमता 150 किमी या इससे ज़्यादा है। हाई-मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) M30 रॉकेट को 70 किमी,यानी स्नेक आइलैंड तक पहुंचने के लिए पर्याप्त से कहीं ज़्यादा की दूरी तक फ़ायर कर सकता है।

इसमें कोई शक नहीं कि आगे एक लंबा युद्ध चलने की संभावना है और हक़ीक़त तो यही है कि यूक्रेन की सरकार के पतन और नितांत आत्मसमर्पण के बिना यह युद्ध ख़त्म नहीं हो सकता। इस बात की संभावना सबसे ज़्यादा है कि यूक्रेन स्नेक आइलैंड पर अपने हमले को फिर से नया रंग-रूप दे। यह एकदम साफ़ है कि पूर्वी क्षेत्र के उलट दक्षिणी यूक्रेन नाटो योजना की प्राथमिकता में है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Southern Ukraine is the Priority in NATO’s Planning

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