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ख़ास ख़बर: यूपी में ख़राब गुणवत्ता वाले पीपीई किट की सप्लाई!, इस्तेमाल पर लगी रोक  

यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन ने जो पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट मेडिकल कॉलेजों में भेजी है वह मानक पर खरी नहीं उतरी है।
पीपीई किट
Image courtesy: Outlook India

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों को दी जा रही पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल यूपी मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से कई मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पीपीई किट की सप्लाई की गई थी। लेकिन कॉरपोरेशन ने जो पीपीई किट मेडिकल कॉलेजों में भेजी है वह मानक पर खरी नहीं उतरी है। इसके चलते उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने करीब 24 मेडिकल कॉलेजों को निर्देशित किया है कि ऐसी अधोमानक (खराब गुणवत्ता वाली) किट का प्रयोग नहीं करें।

उत्तर प्रदेश चिकित्सा विभाग को मेरठ और नोएडा के मेडिकल कॉलेज से शिकायत मिली कि उनको खराब गुणवत्ता वाले पीपीई किट की सप्लाई  हो रही है। शिकायत मिलते ही उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग तुरंत सक्रिय हो गया और उसने राज्य के 24 अन्य मेडिकल कॉलेज को पत्र लिख कर बताया कि सप्लाई किए जा रहे पीपीई किट खराब गुणवत्ता वाले हैं और उनको तुरंत वापस किया जाये।

जिन मेडिकल कॉलेज को पीपीई किट वापिस करने के लिए पत्र भेजा गया है उनमें राजधानी लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (सैफई इटावा), जीएमआईसी गौतमबुद्धनगर ग्रेटर नोएडा, और  एसएससीएच पीजीटीआई नोएडा शामिल हैं। इसके संस्थानो के कुलसचिव और निदेशकों को पत्र भेजा गया है। वहीं, कानपुर,आगरा प्रयागराज, मेरठ, झाँसी, गोरखपुर, कन्नौज, जालौन, बाँदा,बदायूँ, अंबेडकरनगर, सहारनपुर और आज़मगढ़ के मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को भी PPE किट को लेकर पत्र भेजा गया है। इसके अलावा स्वशासी राज्य चिकित्सा कॉलेज (बस्ती, बहराइच,फ़िरोज़ाबाद, शाहजहाँपुर और अयोध्या) के प्रधानाचार्य को भी पत्र द्वारा किट गुणवत्ता की कमी के बारे में अवगत कराया गया है।

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उत्तर प्रदेश चिकित्सा विभाग के निदेशक ने अपने पत्र में इस सभी मेडिकल संस्थानों से कहा है कि उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई व ड्रग कॉर्परेशन द्वारा भेजे गए पीपीई किट को गुणवक्ता के आधार पर अधोमानक पाया गया है। इसलिए उनको तुरंत वापिस किया जाए और इनका प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाए। इसके अलावा नए किट भारत सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शन के अनुसार गुणवक्ता युक्त और दूसरी सामग्री का प्रबंध किया जाए। सभी संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि ऐसा करने के बाद उत्तर प्रदेश चिकित्सा विभाग को अवगत भी किया जाए।

निदेशक उत्तर प्रदेश चिकित्सा विभाग डॉ केके गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई व ड्रग कॉरपोरेशन द्वारा भेजे गए पीपीई किट मानक के अनुसार नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके विरोध में बाद कई मेडिकल संस्थानो ने अवमानक पीपीई  किट बदल दी है। डॉ केके गुप्ता के अनुसार इस संकट के समय में यह बहुत ग़लती है कि मेडिकल संस्थानों को खराब गुणवत्ता वाले पीपीई किट भेजे गए।

यह पूछे जाने पर की इस समस्या को हल कैसे किया जाएगा? उन्होंने कहा की दूसरी जगहों से किट ख़रीदे जायेंगे, लेकिन कहां से ख़रीदना है इसका फ़ैसला मेडिकल कॉलेज का प्रबंधन, कुलसचिव, निदेशक और प्रधानाचार्य को लेना होगा।

हालाँकि उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई व ड्रग कॉर्परेशन ने कहा है कि भेजी गई किट में कोई समस्या नहीं है। कॉर्परेशन की निदेशक श्रुति सिंह से सम्पर्क किया तो उन्होंने कहा कि सभी किट मानक के अनुसार बनी है और आईएसओ के और विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित हैं। हालाँकि उन्होंने माना की भेजी गई किट को स्वाइन फ्लू के मानकों पर बनाया गया है। क्योंकि कोरोना की किट के लिए सरकार द्वारा कोई मार्गदर्शन उस समय तक नहीं आया था जब यह किट तैयार की जा रही थी।

जब निदेशक श्रुति सिंह से पूछा गया कि कुछ मेडिकल कॉलेज आप द्वारा भेजी गई किट की गुणवक्ता और नाप पर प्रश्न उठा रहे हैं। तब उन्होंने कहाकि नाप सही है और शू-कवर के साथ आती है।जबकि गुणवक्ता की शिकायत पर उन्होंने कहा की इसका परीक्षण किया जा रहा है।

दूसरी ओर प्रांतीय चिकित्सक सेवा संघ (पीएमएसएच) ने कहा है अवमानक किट की ख़बर से भय बना हुआ है। पीएमएसएच के अध्यक्ष डॉक्टर सचिन वैश ने मांग की है कि इसकी जाँच होनी चाहिए है कि कोरोना का इलाज कर रहे डॉक्टरों को स्वाइन फ्लू की किट कैसे भेजी गई।

(असद रिज़वी स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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