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पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने वाले राज्यों को नहीं मिलेगा NPS में जमा पैसा: सरकार

इस योजना के तहत राजस्थान का लगभग 40 हजार करोड़ , झारखंड का 17 हजार करोड़ और छतीसगढ़ का भी 30 हजार करोड़ से अधिक धन जमा है जिसे यह राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए वापस मांग रही हैं।
pension scheme
फाइल फ़ोटो।

दिल्ली: देश मे आब पुरानी और नई पेंशन स्कीम को लेकर राड़ बढ़ती जा रही है। एक तरफ कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की राज्य सरकार पुरानी पेंशन बहाल कर रही है या करने की योजना बना रही हैं, वहीं केंद्र मे शासित बीजेपी और उनकी राज्य सरकार इसे सिरे से खारिज़ कर रही है। हालांकी उनके सहयोगी दल भी पुरानी पेंशन के पक्ष में दिख रहे हैं। लेकिन बीजेपी जिद्द पर अड़ी है कि वो पुरानी पेंशन को बहाल नहीं करेगी। एक बार फिर इसकी पुष्टि करते हुए देश की संसद में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सोमवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

उन्होंने लोकसभा को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

इसके साथ ही उन्होंने जिन राज्यों मे पुरानी पेंशन बहाल हो गई है उनकी सरकारों के साथ ही कर्मचारियों को टेंशन देते हुए कहा है कि इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों के जवाब में पीएफआरडीए ने संबंधित राज्यों को सूचित किया है कि सरकार के और कर्मचारी के अंशदान के रूप में जमा राशि को राज्य सरकार को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है।

अभी तक देश में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से शुरू करने के अपने फैसले से केंद्र सरकार को और पेंशन निधि नियामक तथा विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को अवगत कराया है।

जबकि पंजाब सरकार से ऐसा कोई औपचारिक प्रस्ताव केंद्र को नहीं मिला है। लेकिन  उन्होंने भी इसकी घोषणा कर दी है। इसके साथ ही हिमाचल की नवनिर्वाचित कॉंग्रेस के मुख्यमंत्री सुखपाल सिंह सुखु ने भी अपनी पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन बहाल करने का निर्णय करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही बीजेपी के सहयोग से चल रही सिक्किम की सरकार ने भी पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर एक केमेटी का गठन कर दिया है।

केंद्र के इस रुख से पुरानी पेंशन को फिर से लागू करने की योजना बना रहे राज्यों को  झटका लगा है।  पीएफआरडीए ने कहा है कि नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) जिसे आम भाषा में नई पेंशन स्कीम भी कहा जाता है, उसके  तहत जमा कर्मचारियों के पैसों को राज्यों को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। राजस्थान और पंजाब जैसे राज्यों ने कर्मचारियों के एनपीएस डिपॉजिट को राज्यों को ट्रांसफर करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करके राज्य कर्मचारियों को पेंशन देंगे। लेकिन पीएफआरडीए का कहना है कि इस योजना में एम्प्लॉयी के फंड को एम्प्लॉयर को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।

नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों का अब  तक जो पैसा काटा गया वह पीएफआरडीए  में जमा होता था। राज्य सरकार एनपीएस को खत्म करके ओपीएस लागू कर चुकी है। इस के बाद राज्य सरकारों ने कर्मचारी और सरकार द्वारा जमा किए गए हजारों करोड़ वापस देने की मांग की जिसे इसके बाद सरकार की एजेंसी ने साफ इनकार कर दिया।  इस योजना के तहत राजस्थान का लगभग 40 हजार करोड़ , झारखंड का 17 हजार करोड़ और छतीसगढ़ के भी 30 हजार से अधिक धन जाम है जिसे राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को पेंशन देने के लिए वापस मांग रहे हैं।

1 जनवरी, 2004 से एनपीएस को केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अनिवार्य बनाया गया था। बाद में अधिकांश राज्यों ने भी इसे अपना लिया था। तब से ही कर्मचारी इस योजना का विरोध कर रहे थे।

देशभर में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर आंदोलन करने वाले सेंट्रल एंड स्टेट गवर्मेंट एम्प्लॉयीज कन्फेडरेशन दिल्ली और नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम, दिल्ली के अध्यक्ष मंजीत पटेल ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा अगर केंद्र सरकार चाहे तो वो पीएफआरडीए से सारे पैसे रिलीज करा सकती है।

पटेल ने कहा कि केंद्र सरकार को बस एक कानून में संशोधन करना है उसके बाद पीएफआरडीए से निकासी का रास्ता खुल सकता है। पुरानी पेंशन देश के 80 लाख सरकारी कर्मचारियों की मांग है। इसलिए केंद्र सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

इस समय दिल्ली और पुड्डुचेरी समेत 29 राज्यों में नेशनल पेंशन स्कीम लागू है। पश्चिम बंगाल ने एनपीएस स्कीम को लागू करने से इनकार किया। तमिलनाडु की अपनी स्कीम है।  

1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वायत्त इकाइयों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए गारंटीशुदा पेंशन प्रणाली की जगह एनपीएस प्रणाली की शुरुआत की गई थी।

इसमें गौर करने वाली बात यह है कि पुरानी पेंशन प्रणाली, कमर्चारियों की सर्विस के कुल वर्षों पर आधारित थी। उनकी पेंशन का निर्धारण उनके अंतिम मूल वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर तय की जाती थी। पुरानी व्यवस्था में समय-समय पर वेतन संशोधन के मुताबिक पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान था। उस पुरानी व्यवस्था में, यदि किसी कर्मचारी की सेवावधि 10 वर्षों से कम नहीं है तो उन्हें पिछले मूल वेतन का आधा और सेवानिवृत्ति के समय महंगाई भत्ते की कुल राशि को जोड़कर पेंशन दिए जाने का गारंटीशुदा हक था। और सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, परिवार-पेंशन का भी प्रावधान था, जो उनके अंतिम मूल वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) के योगफल का आधा हिस्सा होता था। साथ ही, सेवानिवृत्ति के समय और सेवा के दौरान मृत्यु के मामले में, एक कर्मचारी या उसके परिवार को आर्थिक सहायता दी जाती थी, जिसे 'डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी (DCRG) कहा जाता है।

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