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‘StopKillingUs’ : सफ़ाई कर्मचारियों ने ‘जीने के हक़’ की मांग की

“देश में 2,000 से अधिक नागरिक सीवर-सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए जान गवां चुके हैं। इनकी मौतों का ज़िम्मेदार कौन है?”
stop killing us
फाइल फ़ोटो।

सीवर-सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान हो रही मौतों के ख़िलाफ़ SKA यानी “सफाई कर्मचारी आंदोलन” ने बीते लंबे वक़्त से “StopKillingUs” नाम से एक अभियान चल रखा है। बता दें कि SKA के इस राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत 11 मई 2022 से हुई थी जिसके बाद से SKA लगातार सीवर-सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान हो रही मौत के मुद्दे को मुखरता से उठा रहा है। इस अभियान के 379 दिन पूरे होने पर SKA की तरफ से एक प्रेस रिलीज़ जारी की गई जिसके माध्यम से उन्होंने कई जानकारी सामने रखी और अपनी तमाम मांगें भी दोहराईं।

SKA द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में बताया गया कि "पिछले 379 दिनों में सीवर-सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान 100 नागरिकों की मौत हुई है।" SKA ने इसे ‘शर्मनाक’ बताते हुए ‘जीने के हक़ की गारंटी’ की मांग की।

प्रेस रिलीज़ में कहा गया, “हम देश के सफाई कर्मचारी सिर्फ़ इस एक मांग को लेकर सरकारों से जवाबदेही मांग रहे हैं लेकिन सत्ता की शर्मनाक-आपराधिक चुप्पी कायम है। गहरे दुख और आक्रोश की बात है कि गटर में हमारे समाज के लोगों की मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है और इस बारे में सरकारें कोई ठोस कदम व भरोसा तक देने को तैयार नहीं हैं। क्या हमारी ज़िंदगियों का सरकारों के लिए कोई मोल नहीं है?”

SKA ने बताया कि देश का संविधान हर नागरिक को गरिमामय जीवन जीने की गारंटी देता है और इसके साथ की आरोप लगाया कि देश के सफाई कर्मचारी समाज को इन गारंटियों से वंचित रखा जा रहा है।

प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, “सेनिटेशन का काम जाति आधारित है, गटर में जान गंवाने वाले सभी भारतीय नागरिक इसी समाज से आते हैं। हमारे समाज के साथ संस्थागत अन्याय हो रहा है, उससे क्षुब्द होकर हमने सड़कों पर उतरने का यह कष्टसाध्य रास्ता अपनाया। इसके ज़रिए हमने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आस्था जताई और अपने द्वारा चुनी गई सरकारों से जवाब मांगा, इस नाइंसाफी को खत्म करने की मांग को जय भीम के नारे के साथ पूरे समाज के साथ सामने रखा।”

SKA ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से ये बताया कि “देश में 2,000 से अधिक नागरिक सीवर-सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए जान गवां चुके हैं।" इसके साथ ही सवाल किया कि "इनकी मौतों का ज़िम्मेदार कौन है?”

“देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट 27 मार्च 2014 को हमारी जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट शब्दों में कह चुकी है कि किसी भी इंसान को आपातकालीन स्थिति में भी सीवर-सेप्टिक टैंक में नहीं उतारा जा सकता। फिर भी पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना क्यों हो रही है? देश की संसद मैला प्रथा निषेध के कानून को 2013 में लागू कर चुकी है, जिसमें इंसान द्वारा सीवर-मल की हाथों से सफाई पर प्रतिबंध है, फिर भी गटर में हमारा समाज क्यों मर रहा है? इन तमाम हत्याओं को रोकने के लिए सरकारें कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही हैं?”

SKA के मुताबिक़ सीवर-सेप्टिक टैंक में जान गंवाने वाले लोगों के परिजन व परिवार भीषण आपदा से गुज़रने पर मजबूर होते हैं और आर्थिक विषमता के दुष्चक्र में ये परिवार बुरी तरह से फंस जाते है। SKA ने आरोप लगाते हुए कहा कि “छुआछूत आधारित ये सिस्टम, हमारे समाज को और अधिक हाशिये पर ढकेल देता है। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति, बच्चों की परवरिश-भविष्य सब चौपट हो जाता है। लेकिन सरकारें इस समाज के लिए कुछ भी नहीं करतीं।”

SKA यानी सफाई कर्मचारी आंदोलन की प्रमुख मांगें:

1. सीवर-सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान हो रही तमाम मौतों के लिए देश के प्रधानमंत्री देश से माफी मांगें

2. देश की संसद में प्रधानमंत्री यह आंकड़ा पेश करें कि 1993 के मैला प्रथा खात्मे के कानून लागू होने के बाद से अब तक कितने भारतीय नागरिक सीवर-सेप्टिक टैंक सफाई में जान गंवा चुके हैं।

3. इन मौतों के लिए सरकारी तंत्र की जवाबदेही व ज़िम्मेदारी तय की जाए। जहां भी ऐसी मौतें हों, वहां के जिलाधिकारी को इसका ज़िम्मेदार माना जाए।

4. इन मौतों का सीधा संबंध समाज में चल रही छुआछूत की प्रथा, जातिगत उत्पीड़न से है। जिसकी वजह से ये समाज लगातार आर्थिक विषमता के गर्त में ढकेला जा रहा है। इस दुष्चक्र को तोड़ने के लिए सरकार एक वृहद स्पेशल पैकेज की घोषणा करे। जिसमें पीड़ित परिजनों के विकास के लिए समुचित प्रक्रिया की गारंटी हो जैसे गैर-सफाई वाले गरिमामय सरकारी रोज़गार की गारंटी, सभी बच्चों-आश्रितों की उच्च शिक्षा की गारंटी (प्राइवेट स्कूल कॉलेजों में भी), आवास व चिकित्सा गारंटी कार्ड आदि।

5. सीवर-सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान हुई ये 2000 से अधिक मौतें, मैला प्रथा उन्मूलन के लिए कराएं गए सरकारी सर्वेक्षणों की कमी का पर्दाफाश करते हैं। SKA के पास जितनी भी मौतों का आंकड़ा-ब्योरा है, उनमें से कोई भी व्यक्ति इस सर्वे के तहत कवर नहीं किया गया। इसलिए दोबारा से सर्वे कराने की घोषणा हो और सभी सफाई कर्मियों के बारे में इसमें ब्यौरा दर्ज कराया जाए।

6. सरकार, सीवर-सेप्टिक टैंक सफाई के दौरान हो रही इन मौतों को कब तक पूरी तरह से रोकेगी, इसके बारे में एक तारीख की घोषणा की जाए। हमारे जीने के हक़ की गारंटी करना सरकार का पहला दायित्व होना चाहिए।

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