Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप : सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

विज्ञान और कविता कैसे एकरूप हो जाते हैं यह हमें पिछले दिनों देखने को मिला जब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने हमें अंतरिक्ष की अरबों साल पुरानी रौशनी दिखाई। आज इतवार की कविता में इसी नायाब घटना को कविता के तौर पर पढ़ते और समझते हैं।
JWST
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खींचा गया पांच गैलेक्सियों के एक समूह का चित्र, जो आकाश में एक साथ नज़र आती हैं। फोटोः नासा

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के रूप में हमें एक और टाइम मशीन मिल गई है— सबसे ताकतवर और भरोसेमंद। इसे पढ़ें—  अंतरिक्ष की यात्रा: अतीत... गहरे और गहरे अतीत में जाने की कोशिश

इस टेलीस्कोप के द्वारा धरती पर भेजी गई पांच शुरुआती और कई मायनों में हैरतअंगेज तस्वीरें मंगलवार को नासा ने जारी कीं। दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे ताकतवर यह टेलीस्कोप पिछले दिसंबर में दक्षिण अमेरिका में फ्रेंच गुयाना से अंतरिक्ष में भेजा गया था। टेलीस्कोप के तस्वीरें भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है और अब यह चलता रहेगा। विज्ञानियों को कई गुत्थियां सुलझाने में मदद मिलेंगी। इसी सिलसिले में पढ़ते हैं अल्लामा इक़बाल की मशहूर नज़्म—

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ

यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं

क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर

चमन और भी आशियाँ और भी हैं

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म

मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ और भी हैं

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं

इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा

कि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में

यहाँ अब मिरे राज़-दाँ और भी हैं

-    अल्लामा इक़बाल

इसे भी पढ़ें : विशेष: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और विज्ञान की कविता

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest