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इतवार की कविता: ...ये बेटियां हैं इन्हें बचाओ हुज़ूरेवाला

“वो माफ़िया हैं उन्हें पकड़ कर सज़ा दिलाओ/ ये बेटियां हैं इन्हें बचाओ हुज़ूरेवाला...” शायर ओम प्रकाश नदीम की यह ताज़ा ग़ज़ल न केवल पहलवानों के आंदोलन का समर्थन करती है, बल्कि पुरज़ोर आवाज़ में मोदी सरकार को आईना दिखा रही है।
wrestlers protest
फ़ोटो साभार: PTI

ग़ज़ल

 

1.

तुम अपने मन की बहुत किए हो हुज़ूरेवाला

हमारे मन की भी बात सुन लो हुज़ूरेवाला

 

वो माफ़िया हैं उन्हें पकड़ कर सज़ा दिलाओ

ये बेटियां हैं इन्हें बचाओ हुज़ूरेवाला

 

समझ गये हम सितमगरों को ज़बान दी है

जभी सितम के ख़िलाफ़ चुप हो हुज़ूरेवाला

 

किसी के ख़्वाबों से तुमने सीढ़ी बनाई कैसे

हमें भी थोड़ा सा ज्ञान दे दो हुज़ूरेवाला

 

ये चापलूसी तुम्हारी क़िस्मत सॅंवार देगी

बस इसकी थोड़ी चमक बढ़ा दो हुज़ूरेवाला

 

दबे हुए हैं तुम्हारी कुर्सी के नीचे वर्ना

कभी न कहते "नदीम" तुमको हुज़ूरेवाला

 

2.

जो तुमने कर दिया है वो भला कर पायेगा कोई

कि इससे और बदतर क्या बुरा कर पायेगा कोई

 

उसे  कोई  भी  बीमारी  नहीं  है सिर्फ़  झूठा  है

अब ऐसे आदमी की क्या दवा कर पायेगा कोई

 

बहारों में भी उम्मीदों के पत्ते ज़र्द हैं अब तक

चमन के सूखे पेड़ों को हरा कर पायेगा कोई

 

सियाही पोत दी है आपने तालीम के रुख़ पर

समझ का दायरा कैसे बड़ा कर पायेगा कोई

 

किताबें मत पढ़ाओ तुम हमें इतना बता दो बस

तुम्हारे धर्म से नफ़रत जुदा कर पायेगा कोई

 

वो  दीवाली  में  लड्डू  बांट  देता  है  ग़रीबों  में

मगर  ऐसी  नवाज़िश बारहा  कर  पायेगा  कोई

 

इशारों  से  ही  कोई  बात  बन जाए  तो बन जाए

अब इस गूंगी फ़िज़ा में और क्या कर पायेगा कोई

 

-    ओम प्रकाश नदीम

           लखनऊ

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