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हरियाणा: एकबार फिर किसान आंदोलन के आगे झुकी खट्टर सरकार, सभी मांगें मानी

सरकार के प्रतिनिधि के तौर डिप्टी कमिश्नर ने ऐलान किया है कि किसानों की सूरजमुखी की फसल MSP पर ही ली जाएगी। एसपी सुरेन्द्र भदौरिया ने भी आश्वासन दिया कि जेल मे बंद किसानों को ज़रूरी कार्रवाई के बाद रिहा कर दिया जाएगा।
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फ़ोटो साभार: ट्विटर

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आंदोलन कर रहे किसान एक और जीत के साथ अपना पक्का मोर्चा हटा रहे हैं। नेशनल हाइवे जाम करने के दूसरे दिन किसानों और सरकार के बीच सहमति बन गई है। किसानों ने इसे अपने संघर्षों की जीत कहा है। सरकार के प्रतिनिधि के तौर डिप्टी कमिश्नर ने किसानों को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि उनकी सूरजमुखी की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (प्रति क्विंटल 6400 रुपये) की दर पर ही ली जाएगी। इसके लिए सरकार मंडियों मे रेट बढ़ाने के साथ भावांतर की राशि को भी बढ़ाएगी। इसके साथ ही ज़िले के एसपी सुरेन्द्र भदौरिया भी धरनास्थल पर पहुंचे और कहा कि जेल मे बंद किसानों को ज़रूरी कार्रवाई के बाद रिहा कर दिया जाएगा।  

एक बार फिर किसानों की जीत हुई है और सरकार को झुकना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो हाल के कुछ सालों मे ऐसा दिखाने का प्रयास करती है जैसे उसका फैसला अटल है उसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन देश का किसान बार बार उसे टक्कर दे रहा है।

सरकार के आश्वासन के बाद बीते दो दिनों से भीषण गर्मी में सड़क पर बैठे किसानों मे खुशी की लहर दौड़ गई। किसान इसे एक और मोर्चा फतेह की तरह देख रहे हैं। जैसे ही डिप्टी कमिश्नर ने किसानों से अपील की और कहा कि आप अपना धरना खत्म कीजिए। इसके बाद किसान नेताओं ने स्पष्ट तरीके से बताया की उनकी क्या बात हुई है। जिसके बाद ये मोर्चा उठा और किसान डीजे की धुन पर नाचते हुए अपना मोर्चा उठाने लगे।

डिप्टी कमिश्नर कुरुक्षेत्र खुद किसानों के पक्के मोर्चे जी टी रोड पीपली (pipli) पहुंचे और किसानों की दोनों बड़ी मांग कि किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी और उनके साथियों को रिहा किया जाएगा और सूरजमुखी की खरीद MSP पर होगी। इसके बाद मोर्चा हटा है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा हमारा ये आंदोलन था की MSP पर खरीद शुरू हो। हमने वो रेट मांगा जिसकी देश के प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी। ये लड़ाई देश के प्रधानमंत्री बनाम राज्य के मुख्यमंत्री की थी। हम आगे भी MSP पर लड़ाई लड़ेंगे और देश में पीएम की घोषणा क अनुसार MSP किसान लेकर रहेगा। अन्य फसलों की MSP गारंटी के लिए देश में बड़ा आंदोलन करना होगा ।

राकेश टिकैत ने साफ कहा कि सूरजमुखी के किसानों को MSP का रेट मिलेगा और अगर नहीं मिला तो किसान यहीं हैं ये कोई किराये के लोग नहीं हैं।

पंजाब के किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने मोर्चे पर कहा कि कल से 50 डिग्री तापमान में तपती सड़क पर बैठकर जो आपने ये आंदोलन जीता है ये बड़ी बात है लेकिन ये फाइनल जीत नहीं फाइनल जीत तब होगी जब देशभर मे MSP गारंटी कानून लागू होगा।

imageसुरजीत सिंह फूल

सुरजीत फूल ने आगे कहा कि ये जो सूरजमुखी के किसानों की फसल का MSP का दाम देने का वादा अधिकारी को यहां आकार करना पड़ा ये बड़ी बात है। ये देशभर में MSP की लड़ाई का सेमीफाइनल मैच था जिसे किसानों ने जीत है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य संगठन जो इस संघर्ष मे शामिल थे, जिन्होंने एक सप्ताह से अधिक चले इस सांझे संघर्ष को पूरी ताकत से लड़ा उन सभी को इस जीत पर किसान सभा बधाई देती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये जीत देशभर मे चल रहे किसानों के आंदोलन को नया मोड़ देगी।   

किसान नेता तेजवीर सिंह ने किसानों की जीत पर खुशी तो जताई लेकिन उन्होंने राज्य की बीजेपी सरकार और उसके मुखिया खट्टर की मंशा पर सवाल उठाए और कहा जब उन्हें किसानों की मांग माननी ही थी तो उन्होंने किसानों को प्रताड़ित क्यों किया? किसानों को भीषण गर्मी मे खुली सड़क पर क्यों बैठाया? आम लोगों को क्यों परेशान किया गया? आखिर ये चल क्या रहा है? सरकार कन्फ्यूज है या किसानों को परेशान करना था।

आगे उन्होंने कहा कि इस सबके बाद भी किसानों ने अपने धैर्य और दृढ़ निश्चय से ये मोर्चा जीता है और आगे भी अपना संघर्ष जीतेंगे। लेकिन सरकारों को किसानों को उनका हक पहले ही दे देना चाहिए, आज भी तो दिया ही। वो किसी भी तरह किसानों को उनकी फसल का मूल्य दे सकते हैं तो उन्हें देना चाहिए, वो चाहे MSP से हो या भावांतर करके। किसानों को बार बार इस तरह सड़क पर लाना ठीक नहीं है।

किसानों की इस जीत पर पहलवानों ने भी ट्वीट किया और ख़ुशी जताई।

आपको बता दें कि हरियाणा में किसान चढूनी के नेतृत्व में सूरजमुखी के बीज की खरीद सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर करने की मांग कर रहे थे। जिसके लिए उन्होंने सरकार को पांच जून तक का समय दिया था। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो छह जून को किसान सड़क पर उतर गए जिसके बाद पुलिस ने शाहबाद में आंदोलन कर रहे किसानो पर बर्बर लाठीचार्ज किया और गुरुनाम सिंह चढूनी सहित कई नेताओं को गिरफ्तार कर 14 दिन की हिरासत में ले लिया। इस घटना ने देश भर के किसानों में गुस्सा भर दिया और इसके बाद राज्य भर में किसानों ने सड़क जाम करनी शुरू कर दी थे। इसके बाद 12 जून को एक संयुक्त महापंचायत बुलाई गई। 

आंदोलन की स्थानीय कमेटी ने महापंचायत के अंत में यह घोषणा की कि मुख्य मार्ग पर किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू होगा। और एक बहुत बड़ा काफिला मंडी से चल पड़ा और हाईवे पर धरना शुरू हो गया। इसके उपरांत स्थानीय प्रशासन ने सरकार की ओर से बातचीत शुरू कर दी।

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