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हरियाणा: नगर निगम कर्मचारियों का प्रदर्शन, बड़े आंदोलन और हड़ताल की तैयारी

'नो वर्क नो पे’ के ख़िलाफ़ नगर निगम कर्मियों ने ज़ोरदार प्रदर्शन कर सरकारी आदेशों की प्रतियां जलाई। कर्मचारियों ने इसे लोकतंत्र में न्यायोचित क़रार देते हुए इसे सामाजिक न्याय विरोधी क़दम बताया।
Rohtak

हरियाणा में आए दिन सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का रोष सड़कों पर देखने को मिल रहा है। कभी प्रदर्शन तो कभी रैली और हड़ताल से लगातार कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार, 1 दिसंबर को नगर निगम कर्मियों ने जोरदार प्रदर्शन कर सरकारी आदेशों की प्रतियां जलाई। ये प्रतियां 'नो वर्क नो पे’ के आदेश से संबंधित थी, जिसे कर्मचारियों ने लोकतंत्र में न्यायोचित करार देते हुए इसे कर्मचारी, दलित एवं सामाजिक न्याय विरोधी कदम बताया। ये विरोध रोहतक, सोनीपत, नरनौल समेत कई शहरों में देखने को मिला।

दरअसल, बीते 20 नवंबर को हरियाणा सरकार ने नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में सरकार द्वारा काम नहीं तो वेतन नहीं का सिद्धांत लागू करने से संबंधित आदेश जारी किया था। इसके तहत ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले व हड़ताल करने वाले कर्मचारियों को उस अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा। अब नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के आह्वान पर सफाई कर्मचारी, अग्निशमन कर्मचारी तथा अन्य पदों के कर्मचारी भी इस आदेश का विरोध कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर निगम, नगर पालिका कर्मचारियों और सरकार के बीच मांगों को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। मांग पूरी न होने पर संघ के आह्वान पर सफाईकर्मी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इसके तहत पहले तीन दिन 21-21 कर्मचारी छुट्टी लेकर भूख हड़ताल करेंगे। इसके बाद पूरे प्रदेश में दो दिन की टूल व पेन डाउन हड़ताल की बात कर्मचारियों द्वारा कही जा रही है।

नगरपालिका कर्मचारी संघ ने अपना बयान जारी कर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि गुरुग्राम में नगर निगम में वर्ष 2018 से मैन पावर के ठेके में लगे हज़ारों कर्मचारियों को छटनी के नाम पर कार्य से मुक्त कर दिया। इसके विरोध में भी 50 दिनों की हड़ताल चली। सरकार ने मांग पूरी करने की जगह नो वर्क, नो पे का नोटिस जारी कर दिया है। इससे साफ है कि सरकार कर्मचारियों से टकराव के मूड में है। और इसलिए संघ ये नोटिस की प्रति जलाकर अपने बुलंद इरादे जाहिर कर रहा है।

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सफाई कर्मियों का टोटा, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही

रोहतक के अम्बेडकर चौक पहुंचे इन कर्मचारियों ने मनोहरलाल खट्टर सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की। इनका कहना था कि निगम में सफाई कर्मियों का टोटा है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। उल्टा पहले से तैनात कर्मचारियों को अधिकारी छटनी का डर दिखाकर चुप करवाना चाहते हैं। निगम कर्मचारियों को कोई सुविधा नहीं मिलती, शासन-प्रशासन केवल ग़रीब मज़दूरों का हितैषी होने का दिखावा करता है लेकिन वास्तव में उसे किसी की कोई चिंता नहीं है।

प्रदर्शन में शामिल कई कर्मचारियों ने न्यूज़क्लिक को बताया कि वो बीते लंबे समय से शांतिपूर्वक सरकार से अपनी मांगों को लेकर गुहार लगा रहे हैं लेकिन सरकार इस पर कोई गंभीरता नहीं दिखा रही है न ही कोई पदाधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने के लिए ही तैयार है। यहां तक की मनोहर लाल खट्टर सरकार अपने ही किए वादों को लागू नहीं कर पा रही, जिससे प्रदेश के नगर निगम, नगर पालिका कर्मचारियों के अलावा अन्य कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं।

सहमति के बावजूद मांगें नहीं पूरी कर रही सरकार

कुछ कर्मचारियों का कहना है कि गत कई सालों से नियमित और ठेका दोनों कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिलता, ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने की बातें होती हैं, लेकिन ये अभी भी बदस्तूर जारी है। आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से सफाई कर्मचारियों की भर्ती और पीने के पानी, शौचालय सहित अन्य सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस पर राज्य सरकार पहले सहमति भी जता चुकी है। और यही कारण है कि ये कर्मचारी लगातार संघर्ष को मजबूर हैं।

ध्यान रहे कि हरियाणा में मिड-डे मील वर्कर्स से लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और लिपिक सहित कई श्रमिक संगठन अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। सभी का आरोप है कि राज्य सरकार वादे तो बड़े-बड़े करती है लेकिन जब बात कर्मचारियों के हितों की आती है तो चुप्पी साध लेती है।

गौरतलब है कि सरकार ने इन कर्मचारियों की कई मांगों पर पूर्व में सहमति जताते हुए पत्र भी जारी किया है, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्रवाही नहीं हुई है। जिसे लेकर इन कर्मचारियों में आक्रोश है। कर्मचारियों का साफतौर पर कहना है कि शासन-प्रशासन केवल खोखले वादे कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है। फिलहाल हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है और ये बीते लंबे समय से प्रदेश में किसानों और कर्मचारी संगठनों का विरोध झेल रही है। ऐसे में अगले साल होने वाले चुनाव मौजूदा सीएम खट्टर के लिए आसान साबित होते दिखाई नहीं दे रहे।

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