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उच्चतम न्यायालय ट्रांसजैंडर के लिए आरक्षण के अनुरोध करने वाली याचिका पर करेगा सुनवाई

शीर्ष अदालत वकील रीपक कंसल एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रांसजैंडर को रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराने और उनके साथ भेदभाव नहीं किए जाना सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।
उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई को लेकर सहमति जताई, जिसमें ट्रांसजैंडर को ‘‘सामाजिक एवं शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ा नागरिक मानने’’ और उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और सार्वजनिक नियुक्तियों में आरक्षण प्रदान करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने याचिकाकर्ता को ट्रांसजैंडर एसोसिएशन को भी इस मामले में दो सप्ताह के भीतर पक्षकार बनाने को कहा।

शीर्ष अदालत वकील रीपक कंसल एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ट्रांसजैंडर को रोजगार के समान अवसर उपलब्ध कराने और उनके साथ भेदभाव नहीं किए जाना सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में खुफिया ब्यूरो में सहायक केंद्रीय खुफिया अधिकारी के दो हजार पदों पर निकाली गई भर्ती की अधिसूचना को चुनौती दी गई है।

अधिसूचना के मुताबिक, भारतीय पुरुष एवं महिला नागरिकों से ही आवेदन मांगे गए हैं। इसमें कहा गया है कि यह ट्रांसजैंडर के मौलिक अधिकारों के साथ ही मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।

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