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स्वाति बनेंगी 'आप' की पहली महिला सांसद, आगामी चुनाव के लिए क्या है समीकरण?

पार्टी द्वारा स्वाति को लोकसभा चुनाव से पहले उच्च सदन भेजने का फैसला एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। क्या इससे पार्टी लोकसभा चुनावों की तैयारी और समीकरण साध रही है जिसमें वह महिला के मुद्दों को साध सके।
Chairperson
Photo: PTI

दिल्ली के तीनों राज्यसभा सीटों के लिए नाम तय हो गए हैं। इसमें संजय सिंह, एनडी गुप्ता और महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल हैं। इन तीनों नामों में एक नाम स्वाति मालीवाल का नाम चौंकाने वाला है। क्योंकि किसी भी सदन में स्वाति आम आदमी पार्टी की पहली महिला सांसद होंगी। इससे पहले आज तक जि‍तने भी सांसदों को पार्टी ने सदन में भेजा, सभी पुरुष रहे हैं। इसको लेकर पार्टी की आलोचना भी होती रही है।

पार्टी द्वारा स्वाति को लोकसभा चुनाव से पहले उच्च सदन भेजने का फैसला एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। क्या इससे पार्टी लोकसभा चुनावों की तैयारी और समीकरण साध रही है जिसमें वो महिलाओं के मुद्दों को साध सके और अपने पुराने कार्यकर्ताओं को भी भरोसा दे कि सभी को समय पर मौका मिलेगा।

आप की राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) ने 19 जनवरी को दिल्ली में होने वाले आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए शुक्रवार, 5 जनवरी को अपने नामांकन को अंतिम रूप दिया। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में, समिति ने दो मौजूदा सदस्यों, संजय सिंह और एनडी गुप्ता को एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि सुशील गुप्ता का टिकट काट कर महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति पर भरोसा जताया है।

आप नेताओं ने सुशील गुप्ता को राज्यसभा न भेजे जाने पर कहा, "सुशील कुमार गुप्ता ने हरियाणा के चुनाव में सक्रिय रूप से शामिल होने की अपनी आकांक्षा व्यक्त की है और हम इस रास्ते पर आगे बढ़ने के उनके फैसले का सम्मान करते हैं।"

सुशील गुप्ता को लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर ही हरियाणा की जिम्मेदारी दी है। वो काफी लंबे समय से अपना अधिकतर समय हरियाणा में ही लगा रहे हैं। इससे पता चलता है कि पार्टी चाहती है कि वो पूरी तरीके से हरियाणा पर ध्यान दे। हालांकि फिर सवाल उठता है स्वाति ही क्यों?

क्योंकि वो वर्तमान में महिला आयोग जैसे संवैधनिक संस्था की अध्यक्ष हैं और वो बेहतर भी काम करती दिखी हैं।

स्वाति ने राज्यसभा जाने से पहले अपने काम काज का लेखा जोखा भी रखा और बताया कि उन्होंने बीते आठ सालों में पहले के अध्यक्षों से 700% अधिक मामलों को सुना है। उन्होंने बताया कि इस दौरान 1.7 लाख मामलों को सुना।

जानकारों का कहना है कि उन्हें इसी काम का उपहार मिला है। उनका ये कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा था। जैसा कि सब जानते हैं अब नया सेवा कानून लागू होने के बाद सभी आयोग, बोर्ड, निगम आदि में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल को है। ऐसे में बहुत मुश्किल था कि महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में स्वाति को दोबारा चुना जाए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें राज्यसभा में भेजकर पार्टी ने स्वाति को भी उनके अच्छे काम का ईनाम दिया है। इससे मेहनती कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच एक अच्छा संदेश भेजने का एक प्रयास है।

हमने स्वाति को महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक मुद्दों के लिए सड़कों पर लड़ते हुए देखा है। कई बार उन्हें पुलिस प्रशासन से भी महिला अधिकारों के लिए सड़कों पर भिड़ते देखा। स्वाति महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने, सख्त कानूनों की वकालत करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न अभियानों और आंदोलनों से जुड़ी हैं। उनके कार्यकाल में कोई भी आंदोलन जो महिला अधिकारों को लेकर हुए कमोबेश वो सभी का समर्थन करती रही हैं।

पार्टी ने भी कहा कि स्वाति मालीवाल को साल 2015 में डीसीडब्ल्यू के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। जहां उन्होंने एसिड हमलों, यौन उत्पीड़न और दिल्ली में महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों के समाधान के लिए पहल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन सबके आलवा स्वाति दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की एक भरोसेमंद सिपाही रही हैं। वो पार्टी बनने से पहले केजरीवाल के विश्वसनीय सहयोगी के रूप में काम करती रही हैं। इंडिया अगैन्स्ट करप्शन मुहिम में वो सबसे कम उम्र की कोर कमेटी सदस्य थीं। जहां वो प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, किरण बेदी और केजरीवाल के साथ काम करती रहीं। इसके आलवा अन्ना आंदोलन से पहले भी केजरीवाल के एनजीओ 'परिवर्तन' का हिस्सा रहीं जहां उन्होंने लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सूचना के अधिकार को लेकर जागरूक किया। ऐसे में केजरीवाल का उनको राज्यसभा भेजना दिखाता है कि वो उन पर कितना विश्वास करते हैं।

हालांकि सरकार बनने के बाद से वो सक्रिय राजनीति में कम रही हैं। लेकिन इसके बाजूद उन्हें मुद्दों की गहरी समझ है। पार्टी चुनाव से पहले एक मुखर महिला को उच्च सदन में भेजकर महिलाओं के मुद्दों को बुलंदी से उठाने का प्रयास किया है। क्योंकि स्वाति भले सक्रिय राजनीति में न हों लेकिन बीते सालों में महिला अधिकारों को लेकर एक मुखर आवाज हैं। उनके जरिए पार्टी ने सदन में संजय सिंह की गौर मौजूदगी में अपनी एक बुलंद आवाज रखने का प्रयास किया है। इसके अलावा महिला वोटरों और युवाओं को साधने की भी कोशिश है। जैसाकि सब जानते हैं बीजेपी ने महिला आरक्षण बिल पास कर दिया है। हालांकि वो कब लागू होगा ये नहीं पता। लेकिन सभी दल महिलाओं के मुद्दों पर काम कर रहे हैं। ऐसे पार्टी का संसद में किसी भी महिला का न होना एक बड़ा सवाल था। क्योंकि पार्टी ने पंजाब से भी सात नेताओं को राज्यसभा भेजा था जो सभी पुरूष हैं। जबकि पहले दिल्ली के भी तीनों राज्यसभा पुरुष ही थे। पार्टी का वर्तमान में लोकसभा में भी एक पुरुष सांसद ही है।

स्वाति ने दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और साथ ही उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि "पल दो पल मेरी कहानी है… आज नम आंखों से दिल्ली महिला आयोग को अलविदा कहा। 8 साल कब बीत गये पता नहीं चला। यहां रहते हुए बहुत उतार चढ़ाव देखे। अपना हर दिन दिल्ली और देश की भलाई को समर्पित किया। लड़ाई खत्म नहीं हुई है, अभी बस शुरुआत है…।"

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