तमिलनाडु चुनाव: सत्ता विरोधी भावना पर डीएमके की सवारी,विवादास्पद एआईएडीएमके नेताओं की भी जीत

रविवार को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) एक दशक बाद तमिलनाडु की सत्ता पर काबिज हो गयी। किसी करिश्माई नेतृत्व के अभाव में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) भी बड़े पैमाने पर परीक्षण में सफल रही। कुल 66 सीट पाने वाली एआईएडीएमके की यह सबसे बड़ी हार थी।
तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में दस मंत्री धूल चाटते दिखे। हालांकि, जिनके नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप थे,वे आराम से जीत गये।
दोनों प्रमुख द्रविड़ पार्टियों ने चुनावों में फिर से अपने प्रभुत्व को बनाये रखा,जबकि तीन अन्य मोर्चे- टी.टी.वी. दिनाकरन की अगुवाई वाली अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (AMMK), अभिनेता कमल हासन की मक्कल नीधि माइम (MNM) और तमिल राष्ट्रवादी पार्टी नाम तमिलर काची (NTK) ख़ाली हाथ रहे।
कांग्रेस ने जहां 18 सीटें जीतकर हैरान कर दिया,वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दो दशक बाद विधानसभा में वापसी की। वामपंथी दलों के पास आत्मनिरीक्षण के लिए बहुत कुछ है,क्योंकि दोनों पार्टियों ने कुल 12 सीटों पर चुनाव लड़े,लेकिन उनमें से उन्हें दो सीटों पर ही जीत मिल पायी।
डीएमके अपने गढ़ों में मज़बूत
डीएमके अपने पारंपरिक गढ़ों में ज़बरदस्त पकड़ बनाने में कामयाब रही। पार्टी ने दक्षिण और डेल्टा क्षेत्रों में अपनी स्थिति में सुधार करते हुए चेन्नई और उसके आसपास के ज़िलों में अच्छी-ख़ासी संख्या में सीटें हासिल की।
उत्तरी ज़िलों में डीएमके और उसके सहयोगी पार्टियों ने बाक़ियों का तक़रीबन सूपड़ा ही साफ़ कर दिया है। उत्तरी तमिलनाडु की 78 सीटों में सेक्युलर प्रोग्रेसिव एलायंस (SPA) को 64 सीटें मिली हैं,जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को महज़ 14 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा है। इस इलाक़े से आने वाले कई मंत्री डीएमके के उम्मीदवारों से चुनाव हार गये।
एआईडीएमके और एनडीए के लिए महज़ चार सीटें छोड़ते हुए डेल्टा क्षेत्र अपने सहयोगियों के साथ 41 सीटों में से 37 सीटें हासिल करके डीएमके के लिए उपयोगी साबित हुआ। तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ निरंतर संघर्ष और वाम दलों की ताक़त ने इस क्षेत्र में भारी जीत हासिल करने में मदद की। कृषि ऋण माफ़ी के साथ-साथ अन्नाद्रमुक की तरफ़ से बार-बार इस बात का दावा किया जाना कि इस क्षेत्र में किसानों के पक्ष में इन क़ानूनों को बेअसर किया जायेगा और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचने दिया जायेगा,उससे भी उसे फ़ायदा पहुंचा।
एआईएडीएमके को दक्षिणी ज़िलों का हमेशा मजबूत समर्थन मिलता रहा है,लेकिन यह चुनाव इस लिहाज़ से अलग साबित हुआ है। एसपीए ने 58 सीटों में से 39 जीती हैं,पिछले चुनावों के मुक़ाबले इस बार उसे 26 सीटें ज़्यादा मिली हैं। एनडीए को 19 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है, 2016 के चुनावों में एआईएडीएमके को मिली 32 सीटों के मुक़ाबले यह संख्या बहुत कम है। भाजपा ने इन दक्षिणी ज़िलों में 2 सीटें जीती हैं।
पश्चिमी तमिलनाडु एआईएडीएमके के साथ बना रहा
पश्चिमी क्षेत्र एआईएडीएमके के लिए लाज बचाने वाला इलाक़ा रहा,जहां कई आरोपों और विवादों के बावजूद एक बार फिर पार्टी के समर्थन में भारी मतदान हुआ। एआईएडीएमके और उसके सहयोगियों को 57 में से 40 सीटों पर जीत मिली,जो कि 2016 की संख्या से महज़ पांच सीटें कम हैं। अकेले कोयम्बटूर,सलेम और इरोड ज़िलों में एनडीए को 30 सीटें मिली हैं।
पट्टली मक्कल काची (PMK) के साथ गठबंधन ने भी आधार को बनाये रखने में एआईएडीएमके की मदद की। भाजपा ने यहां दो सीटों क्रमश: मोदकुरिची और कोयम्बटूर दक्षिण पर जीत हासिल की।
स्थानीय प्रशासन मंत्री एस.पी. वेलुमनी और बिजली मंत्री,पी.थंगमणि के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के बड़े पैमाने पर लगे आरोपों के बावजूद इन दोनों ने इस क्षेत्र से जीत हासिल की है।उस भ्रष्टाचार रोधी संस्था अरापोर इयक्कम ने राजमार्ग विभाग में निविदाओं के पीछे एक घोटाले का पर्दाफ़ाश किया था,जिसकी कमान ख़ुद मुख्यमंत्री एडप्पादी के.पलानीस्वामी के हाथों में थी।
निवर्तमान विधानसभा में डिप्टी स्पीकर,पोलाची वी.जयरामन ने भी पोलाची यौन शोषण मामले में अपने बेटे के शामिल होने के आरोपों के बावजूद आराम से जीत हासिल कर ली।
कांग्रेस ने हैरान किया,जबकि बीजेपी की विधानसभा में वापसी हुई
पिछले दो विधानसभा चुनावों में उम्मीद से कम कामयाब होती रही कांग्रेस ने इस चुनाव में 25 में से 18 सीटों पर जीत हासिल करते हुए अपनी लाज बचा ली है। पार्टी ने पांच सीटों पर भाजपा का सामना किया और उनमें से चार सीटों पर जीत हासिल की।
पार्टी ने कन्याकुमारी लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार विजय वसंत को मिली जीत के साथ उपचुनाव जीत लिया है,विजय वसंत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन को 1.37 लाख से ज़्यादा वोटों से हरा दिया है।
भाजपा ने दो दशक के लंबे अंतराल के बाद विधानसभा में फिर से प्रवेश किया है। पार्टी ने 20 निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ा था और उनमें से चार सीटें जीतने में कामयाब रही। 2001 में भाजपा के इतने ही विधायक थे,लेकिन तब भाजपा को वह जीत डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ मिली थी।
बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष,वनाथी श्रीनिवासन ने कोयम्बटूर दक्षिण से जीत दर्ज की,जबकि दिग्गज नेता एम.आर.गांधी ने नागरकोइल से जीत हासिल की। एआईएडीएमके के पूर्व मंत्री,नैनार नागेंद्रन तिरुनेलवेली से जीते और सी.आर.सरस्वती ने मोदकुरिची में पूर्व द्रमुक मंत्री सुब्बुलक्ष्मी जगदीसन को हराया।
बीजेपी के प्रांतीय अध्यक्ष,डॉ.एल.मुरुगन,पूर्व राष्ट्रीय सचिव एच.राजा,पूर्व-आईपीएस अधिकारी के.अन्नामलाई और अभिनेत्री, ख़ुशबू सुंदर सहित भाजपा के कई स्टार उम्मीदवार अपने चुनाव हार गये।
बीजेपी की चार सीटों पर मिली जीत ने पार्टी के मनोबल को इसके एक और सहयोगी,पीएमके के भी पांच सदस्यों की विधानसभा में वापसी के साथ बढ़ा दिया है।
‘वामपंथी पार्टियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक़ नहीं’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI-M) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI),दोनों वाम दलों ने बारह सीटों पर चुनाव लड़े और दो ही सीटों पर जीत हासिल कर सकी। दोनों पार्टियों को कम से कम 4 सीटें जीतने की उम्मीद थी, लेकिन जो नतीजे आये,उससे उनके खेमे को झटका मिला है।
सीपीएम निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री, डिंडुगल श्रीनिवासन के ख़िलाफ़ डिंडीगुल निर्वाचन क्षेत्र से जीत को लेकर आश्वस्त थी,लेकिन भारी अंतर से हार गयी। पार्टी उस थिरुपरनकुंडराम निर्वाचन क्षेत्र में भी जीत दर्ज नहीं कर पायी, जहां इसकी एकमात्र महिला उम्मीदवार,पूर्व सांसद और मदुरै के पूर्व मेयर वी.वी. राजन चेलप्पा से हार गयीं।
सीपीआई को वाल्परई और तिरुप्पूर उत्तर निर्वाचन क्षेत्रों पर जीत की उम्मीद बंधी थी, लेकिन उसे थल्ली और थिरुथुरइपोंडी के साथ संतोष करना पड़ा।
आम लोगों की बदहाली को सामने लाने के संघर्षों की अगुवाई करने को लेकर अपना समय देने के साथ-साथ अपने पीछे एक मज़बूत गठबंधन होने के बावजूद दोनों पार्टियां को झटका लगा है। मुमकिन है कि एआईएडीएमके की पैसों की ताक़त ने इस नुकसान में योगदान दिया हो,लेकिन इन वामपंथी पार्टियों के अपने जनाधार को वोट में बदलने की विफलता हमेशा से एक समस्या तो रही है।
अपने नेता कमल हासन के अलावा एमएनएम ने थोड़ा असर डाला है और उसे राज्य के 2.5% वोट हासिल हुए हैं। एएमएमके ने कुछ सीटों पर अन्नाद्रमुक की संभावनाओं को नाकाम कर दिया और महज़ 2.3% वोट हासिल किये। एनटीके ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छे-ख़ासे वोट बटोरने में कामयाब रहा, इस चुनाव में उसका वोट शेयर 6.6% तक बढ़ा है।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें
TN Elections: DMK Rides on Anti-Incumbency, Controversial AIADMK Leaders Win
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