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अयोध्या मामले पर टीवी चैनल तनाव पैदा करने वाली बहसों से दूर रहें: एनबीएसए

एनबीएसए समाचार चैनलों के लिए स्व नियामक संस्था है। उनसे यह सलाह भी दी है कि अयोध्या मामले पर किसी भी समाचार में वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़े़ कोई फुटेज नहीं दिखाए।
Ayodhya issue
Image courtesy: DailyO

नई दिल्ली: समाचार प्रसारण व मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) ने सभी टेलीविजन चैनलों को परामर्श जारी किया है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में खबर देते वक्त ‘सतर्कता’ बरतें और तनाव पैदा करने वाली ‘भड़काऊ बहसों’ से दूर रहें।

एनबीएसए समाचार चैनलों के लिए स्व नियामक संस्था है। उनसे यह सलाह भी दी है कि अयोध्या मामले पर किसी भी समाचार में वह बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़े कोई फुटेज नहीं दिखाए।

बुधवार को जारी दो पन्नों के परामर्श में कहा गया, ‘उच्चतम न्यायालय में जारी मौजूदा सुनवाई के मद्देनजर अटकलों पर आधारित कोई प्रसारण नहीं किया जाए, इसके अलावा फैसले से पहले उसके बारे में और उसके संभावित परिणामों के बारे में भी कोई प्रसारण नहीं किया जाए जो सनसनीखेज, भड़काऊ या उकसाने वाला हो।’

इसमें समाचार चैनलों से कहा गया है कि वह उच्चतम न्यायालय में लंबित सुनवाई के संबंध में तब तक कोई समाचार प्रसारित नहीं करें जब तक कि उनके संवाददाता या संपादक ने ठीक तरह से उसकी प्रामाणिकता और सत्यता की पुष्टि मुख्य रूप से अदालत के रिकॉर्डों से या सुनवाई के दौरान खुद उपस्थित होकर नहीं कर ली हो।

इसमें कहा गया है कि चैनल अयोध्या मामले में लोगों के जश्न या प्रदर्शन दिखाने वाले दृश्य प्रसारित नहीं करे।

परामर्श में कहा गया है कि, ‘किसी भी समाचार\कार्यक्रम के प्रसारण से ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि किसी भी समुदाय के प्रति पक्षपात किया गया है या किसी के प्रति पूर्वाग्रह रहा है।'
 
एनबीएसए ने सलाह दी है कि इस बात का खयाल रखा जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को कट्टरपंथी विचार रखने का मौका ना मिल सके, बहस के दौरान भी और दर्शक प्रभावित ना हो सकें। ऐसी बहसों से बचना चाहिए जो भड़काऊ हों और जनता के बीच तनाव पैदा कर सकती हों।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 40 दिन तक हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनवाई का समपान कर दिया था और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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