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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को मंज़ूरी दी

सरकार ने वर्तमान में नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत आने वाले 1.36 लाख कर्मचारियों के लिए इसे ‘‘लोहड़ी के उपहार’’ के रूप में बताया।
sukhwinder singh sukhu
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंत्रिमंडल की अपनी पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली को शुक्रवार को मंज़ूरी दे दी।

सरकार ने वर्तमान में नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत आने वाले 1.36 लाख कर्मचारियों के लिए इसे ‘‘लोहड़ी के उपहार’’ के रूप में बताया।

कांग्रेस पार्टी ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ओपीएस को बहाल करने का वादा किया था और वह इस पर क़ायम रही।

मंत्रिमंडल ने कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र को सरकार के नीति दस्तावेज़ के रूप में अपनाने का भी निर्णय लिया।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पत्रकारों से कहा, ‘‘अपने चुनावी दौरे के दौरान, एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने हमें ओपीएस की बहाली का वादा करने के लिए कहा था और हमने इसे ‘प्रतिज्ञा पत्र’ में शामिल किया और मंत्रिमंडल की पहली बैठक में वादा पूरा किया।’’

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना का लाभ आज (13 जनवरी, 2023) से दिया जाएगा और इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह प्रदान करने के वादे को लागू करने पर ज़ोर देते हुए कहा कि कृषि मंत्री चंद्र कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की एक उप समिति का गठन किया गया है जिसमें धनी राम शांडिल, अनिरुद्ध सिंह और जगत नेगी को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि यह समिति 1,500 रुपये प्रति माह के वितरण के लिए 30 दिनों में एक रूपरेखा तैयार करेगी।

उन्होंने कहा कि एक लाख नौकरियों की संभावना तलाशने के लिए समिति का भी गठन किया गया है।

पिछली सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार को न केवल 75,000 करोड़ रुपये की कर्ज देनदारी विरासत में मिली है, बल्कि कर्मचारियों और पेंशनधारियों से संबंधित 11,000 करोड़ रुपये की देनदारी भी है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पिछली सरकार ने कर्मचारियों को 4,430 करोड़ रुपये, पेंशनधारियों को 5,226 करोड़ रुपये और छठे वेतन आयोग के तहत 1,000 करोड़ रुपये के महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं किया है।

सुक्खू ने कहा कि एनपीएस के तहत, कर्मचारियों और सरकार ने क्रमशः दस प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया और 8,000 करोड़ रुपये की राशि केंद्र सरकार के पास पड़ी है, जो यह राशि नहीं देना चाहती है लेकिन सरकार ने इसके बिना ही यह फ़ैसला किया है और डीजल पर जीएसटी में तीन प्रतिशत की वृद्धि से अतिरिक्त धन का सृजन करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार ने ओपीएस को वोट के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा देने और हिमाचल के विकास का इतिहास लिखने वाले कर्मचारियों के स्वाभिमान की रक्षा के लिए बहाल किया है।

उन्होंने कहा कि मामले का गहराई से अध्ययन किया गया है और वित्त अधिकारियों द्वारा कुछ आपत्तियों के बावजूद, इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है और नई पेंशन योजना के तहत सभी कर्मचारियों को ओपीएस के दायरे में लाया जायेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा बजट का आवंटन किये बग़ैर खोले गए 900 से अधिक संस्थानों को गैर-अधिसूचित कर दिया क्योंकि उन्हें शुरू करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि कड़े फ़ैसले लेने होंगे क्योंकि सरकार भारी क़र्ज़ के तले नहीं चल सकती।

एक जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारी नई पेंशन नीति (एनपीएस) के अंतर्गत आते हैं।

नई पेंशन योजना कर्मचारी महासंघ हिमाचल के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा, ‘‘हमने सरकार को बताया था कि एनपीएस के तहत 2022-23 के लिए देनदारी 1,632 करोड़ रुपये है, जिसमें से कर्मचारी और सरकार क्रमशः 680 करोड़ रुपये और 952 करोड़ रुपये जमा करेंगे, जबकि ओपीएस के तहत देयता केवल 147 करोड़ रुपये होगी।’’

विभिन्न कर्मचारी संघों ने फ़ैसले की सराहना की है और सरकार को धन्यवाद दिया है।

इस बीच, भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई के प्रमुख सुरेश कश्यप ने सरकार पर ओपीएस के मुद्दे पर कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दस दिनों में अपने द्वारा दी गई गारंटियों को लागू करने में विफल रही है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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