Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

देश की बदनामी चालू आहे!

और नड्डा जी ने एकदम सही कहा, यह एंटीनेशनल टूलकिट का हिस्सा है। टूलकिट ये है कि माफी के इंतजार में संसद जब तक रुकी रहेगी, तब तक...।
kiran
किरण जे पटेल : फोटो साभार : twitter

मोदी जी के विरोधियों के एंटी-नेशनल होने का अब और क्या सबूत चाहिए! मोदी जी को विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिलते-मिलते रह गया। अब मोदी जी नोबेल सम्मानित हो जातेतो क्या सिर्फ मोदी जी की ही शान बढ़तीभारत की भी तो शान में चार-चांद लग जाते। पर नहीं लग पाए। वर्ना नोबेल कमेटी वाले एस्ले तोजो साहब तो बाकायदा चल कर यहां तक आए थेमोदी जी की प्रजा को इसकी खुशखबरी देने के लिए। बेचारे ने कुछ गोदी मीडिया भाइयों के कान में तो कूक कर बता भी दिया था। अमृतकाल में नये इंडिया को पुरस्कार पर पुरस्कार उठाने थे। उधरऑस्कर। इधर नोबेल। साल भर जी-20। नये इंडिया के डंके ही डंके बल्कि मंदिर वाले घंटे ही घंटे। सब अच्छा ही अच्छा होना था। नोबेल वालों का भी गांधी जी को पुरस्कार न दे पाने का कलंक मिट जाता। भारत के इतिहास की तरहनोबेल पुरस्कारों का भी इतिहास दुरुस्त हो जाता। एक गुजराती को  न सहीदूसरे  गुजराती को सहीपर किसी गुजराती को तो शांति का नोबेल मिल जाता।

पर ये हो ना सका। विरोधियों ने भांजी मार दी। पता नहीं इन एंटी-नेशनलों ने बेचारे नोबेल कमेटी के डिप्टी के कान में क्या मंतर फूंका कि पट्ठा भारत से पलटते-पलटतेमोदी जी के नोबेल के आइडिया से ही पलट गया। उल्टे मोदी के नोबेल सम्मान की खुशखबरी देशवासियों को सुनाने वाले गोदी मीडिया भाइयों को ही झूठा बना दिया। कह दिया - ये तो बिल्कुल ही फेक न्यूज है। किसी नोबेल-वोबेल का जिक्र मैंने तो कभी नहीं किया। वैसे भी विश्व शांति के लिए नोबेलभला इसकी बात ही कहां से आ गयी। बाकी छोड़ भी दें तोदो-चार घंटे के लिए यूक्रेन-रूस युद्ध रुकवाने की बात तक आखिर में फेक न्यूज निकली। खुद जयशंकर जी के विदेश मंत्रालय तक ने लिखा-पढ़ी में इसे फेक न्यूज बताया था। फिर भी नोबेल की आस!

पर मोदी जी के नोबेल में भांजी मारने तक ही बात रहतीतब तो मोदी जी फिर भी माफ कर देते। पर ये एंटी-नेशनल तो मोदी जी का विरोध करते-करतेउनके गुजरात को भी बदनाम करने तक चले गए हैं। हिंडनबर्ग के बहाने से अडानी घोटाला-अडानी घोटाला तो पहले ही कर रहे थे। अब किरण पटेल के मामले को खामखां में तूल देकरग से गुजरात और घ से घोटाला ही पढ़ाने पर तुले हैं। माना कि किरण जे पटेल ने गलती की है। किरण जे पटेल नेगुजराती होकर भी एक और गुजराती के राज में गलती की है। किरण जे पटेल ने एक गुजराती पीएम के पीएमओ का विशेष दूत होने का स्वांग भरने की गलती की है। किरण जे पटेल ने पीएमओ का विशेष दूत होने का स्वांगऐन कश्मीर में भरने की गलती की है। लेकिनउसने की सिर्फ गलती हैएक बचकानी सी गलती।

अब यह बचपना नहीं तो और क्या था कि कश्मीर की सैर का अपना शौक पूरा करने के लिएबंदे ने जैड प्लस सुरक्षा का बंदोबस्त करा लिया। बंदा घुटने-घुटने बर्फ में टहलने निकलेतो आजू-बाजू गनमैन। बंदा श्रीनगर के लाल चौक पर फोटो खिंचाएतो आजू-बाजू गनमैन।

बंदा कहीं भी आए-जाएतो सरकारी बख्तरबंद गाड़ी में। ठहरे तो सरकारी मेहमान बनकर पांच सितारा होटल में। और कश्मीर की सैर का शौक इतना जबर्दस्त कि बंदा एक-दो बार से संतुष्ट नहीं हुआबार-बार कश्मीर की सैर के लिए जाता रहा। तब तक जाता रहाजब तक कि सरकार ने ताड़ नहीं लिया कि बंदा न तो जैड प्लस सुरक्षा का हकदार है और न उसे जैड प्लस सुरक्षा देने का कोई फायदा है। एक्स्ट्रा नरमी दिखाना तो दूरइस शाकाहारी सी गलती के लिए सरकार ने उसे गिरफ्तार भी करा दिया। तब मोदी विरोधी नाहक इसे तिल का ताड़ बनाने की कोशिश क्यों कर रहे हैंन किसी ने कोई फर्जीवाड़ा किया है और न पीएमओ से इसका कोई कनैक्शन है। सब कुछ के बावजूदथा यह एक मामूली प्रैंक यानी फिरकी लेने का ही मामला। पुलवामा मामले की तरहएक बार फिर सुरक्षा चूक या सुरक्षा खतरे का विपक्ष वालों का शोर एकदम फालतू बात है। कश्मीर में सुरक्षा चूकें होती थींनेहरू-गांधी सरनेम वालों के जमाने में। यह मोदी जी का जमाना है। जब कश्मीर में धारा-370 तक नहीं रहीफिर कोई सुरक्षा खतरासुरक्षा चूक कैसे बची रह सकती है।

वैसे भी जब बंदा पक्की देशभक्त पार्टी का बाकायदा मेंबर होवह फर्जीवाड़ा चाहे लाख कर लेलाख ठगी कर लेउससे देश की सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं हो सकता है। उल्टे पटेल तो इतना पक्का देशभक्त निकला कि सैर-सपाटे के बीच से टैम निकालकरहर बार सरकारी अधिकारियों के साथ मीटिंगें कर केसुरक्षा इंतजामात को चाक-चौबंद भी कराता था और अग्रिम चौकियों का दौरा करसुरक्षा बंदोबस्तों को ठोक-बजाकर खुद परखकर भी आता था। और सब मुफ्त तथा स्वत:प्रेरणा से। हम तो कह रहे हैं कि उसकी जो रिपोर्टें पीएमओ तक नहीं पहुंचींउन्हें असली पीएमओ अगर मंगवा ले और उनका गंभीरता से अध्ययन करवा लेतो जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा और पुख्ता करने मेंऐसी रिपोर्टों से काफी मदद भी मिल सकती है। असामान्य समस्याओं के उपायबहुत बार लीक से हटकर चलने से ही मिलते हैं! फिर भी किरण भाई ने भी नहीं सोचा होगा कि उसके नटवारलाल बनने के किस्से पढ़-सुनकरबाहर वाले उसके मोदी जी के इंडिया पर हंसेंगे। सच पूछिए तो पकड़े जाने की मिस्टेक तो वह भी मानता है और इसके लिए सजा भुगतने के लिए भी तैयार है। आखिर वह पटेल हैनेहरू-गांधी नहींजो माफी तक मांगने के लिए तैयार हैंभले ही इनके चक्कर में बेचारी संसद हफ्ते भर से जहां की तहां रुकी खड़ी है। इन विरोधियों से डैमोक्रेसी की चिंता से बातें इतनी बड़ी-बड़ी करा लोपर करने के नाम पर एक माफी मांगकरसंसद की रुकी हुई गाड़ी चलवा कर देने तक को तैयार नहीं होंगे।

और नड्डा जी ने एकदम सही कहायह एंटीनेशनल टूलकिट का हिस्सा है। टूलकिट ये है कि माफी के इंतजार में संसद जब तक रुकी रहेगीपरदेस में देश की बदनामी चालू रहेगी। माफी की मांग करने वालेमाफी शब्द के बिना और कुछ नहीं सुनेंगेतो संसद में सिर्फ शोर सुनाई देगा और देश की बदनामी चालू रहेगी। रुकी हुई संसद बाहर वालों को शोर भी ज्यादा देर क्यों सुनने देगी और म्यूट हो जाएगी और परदेस में देश की बदनामी चालू रहेगी। और नोबेल समिति भी बार-बार यूं ही रास्ता बदलती रहेगी।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest