सीरिया में असद सरकार के पतन की दास्तां
एचटीएस नेता मोहम्मद अल-जुलानी। फोटो: स्क्रीनशॉट
7 दिसंबर, 2024 को जब हयात तहरीर अल-शाम (सीरिया मुक्ति समिति) के नेतृत्व में विद्रोही बलों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया, तो सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद मॉस्को, यानी रूस के लिए उड़ान भर रहे थे। यह असद परिवार के शासन का अंत था, जो 1971 में हाफ़िज़ अल-असद (1930-2000) के राष्ट्रपति बनने के बाद शुरू हुआ था, और 2000 से उनके बेटे बशर के तहत चल रहा था-यानी यह शासन 53 साल तक चला। हयात तहरीर अल-शाम (HTS), जिसने दमिश्क पर कब्ज़ा किया, का गठन 2017 में सीरिया में अल-कायदा से जुड़े जबात अल-नुसरा (सीरिया की विजय का मोर्चा) के बचे अवशेषों से हुआ था, और इसका नेतृत्व इसके अमीर अबू जाबेर शेख और इसके सैन्य कमांडर अबू मोहम्मद अल-जोलानी के हाथ में था।
पिछले सात सालों से, सीरिया के उत्तर में इदलिब शहर में एचटीएस को नियंत्रित कर लिया गया था। 2014 में, अल-कायदा के दिग्गजों के एक समूह ने खुरासान नेटवर्क (धार्मिक नेता सामी अल-उरयदी के नेतृत्व में) बनाया, जिसका उद्देश्य शहर और इस्लामवादी आंदोलनों को नियंत्रित करना था। अगले साल, अल-नुसरा ने खास तौर पर शहर में शासन चलाने के लिए अहरार अल-शाम जैसी अन्य इस्लामवादी ताकतों के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश की थी। 2015 में रूसी सेना ने इन समूहों की इदलिब से आगे बढ़ने की क्षमता को नुकसान पहुंचाया था, जिसके कारण 2016 में कई इस्लामवादियों ने अल-कायदा से औपचारिक रूप से नाता तोड़ लिया और नतीजतन जनवरी 2017 में एचटीएस का निर्माण हुआ। जो लोग अल-कायदा से जुड़े रहे, उन्होंने हुर्रास अल-दीन (या धार्मिक संगठन के संरक्षक) का गठन किया। वर्ष के अंत तक, एचटीएस ने विस्तार करते हुए इदलिब पर कब्ज़ा कर लिया और इसके अंदर प्रमुख ताक़त बन गए, शहर भर में स्थानीय परिषदों पर कब्जा कर लिया और घोषणा की कि यह सीरियाई मुक्ति सरकार का घर है। जब सीरियाई अरब सेना, सरकार का सैन्य बल, 2020 की शुरुआत में इदलिब की ओर बढ़ा, तो तुर्की ने इस्लामवादियों की रक्षा के लिए सीरिया के उत्तर पर आक्रमण किया। इस आक्रमण के परिणामस्वरूप मार्च 2020 में रूसी-तुर्की युद्धविराम हुआ, जिसने एचटीएस और अन्य को इदलिब में बिना किसी नुकसान के रहने की अनुमति दी। एचटीएस ने तुर्की समर्थित सशस्त्र बलों और पूरे मध्य एशिया के लड़ाकों (तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी के कई उइगर लड़ाकों सहित) के साथ गठबंधन के ज़रिए अपने रैंकों का पुनर्निर्माण किया।
नवंबर 2024 में तुर्की और इजरायल के समर्थन से एचटीएस द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन डिटरेंस ऑफ एग्रेशन ने लगभग चौदह दिनों में अलेप्पो से दमिश्क तक राजमार्ग एम5 को ध्वस्त कर दिया था। सीरियाई अरब सेना उनके सामने ही समाप्त हो गई और दमिश्क के द्वार बिना किसी बड़े रक्तपात के खुल गए थे।
जिहादी हमलों का तांडव
नवंबर में ईरानी अधिकारियों ने एचटीएस की आश्चर्यजनक जीत की भविष्यवाणी की थी, जिन्होंने सीरियाई सेना के ठिकानों पर लगातार इजरायली हमलों, लेबनान पर इजरायली आक्रमण और यूक्रेन में युद्ध के कारण देश की सुरक्षा में आई कमज़ोरी के बारे में असद को सूचित किया था। जब अलेप्पो विद्रोहियों के हाथों में चला गया तो उसके बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने दमिश्क में असद से मुलाकात की, तो असद ने अराघची से कहा कि यह हार नहीं बल्कि एक "रणनीतिक वापसी" है। यह स्पष्ट रूप से भ्रामक था। यह जानते हुए भी अराघची ने असद से कहा कि ईरान के पास दमिश्क की रक्षा के लिए नए सैनिकों को भेजने की क्षमता नहीं है। असद सरकार को यह भी साफ बता दिया गया था कि रूस के पास सरकार की रक्षा करने के लिए अतिरिक्त क्षमता नहीं है, यहाँ तक कि टार्टस में रूसी नौसैनिक अड्डे की भी ऐसी स्थिति नहीं है। सीरियाई सेना के खिलाफ एचटीएस सैनिक अभियान के दौरान, सीरिया के लिए रूसी राष्ट्रपति के दूत अलेक्जेंडर लावरेंटयेव ने कहा कि वह सीरियाई संघर्ष पर "सभी पक्षों" के बीच एक समझौते पर चर्चा करने के लिए आने वाले ट्रम्प प्रशासन के संपर्क में हैं। न तो रूस और न ही ईरान को विश्वास था कि असद सरकार विभिन्न विद्रोहियों को एकतरफा हराने और पूर्वी तेल क्षेत्रों पर से अमेरिका के कब्जे को हटाने में सक्षम होगी। समझौता ही एकमात्र रास्ता था, जिसका मतलब था कि न तो ईरान और न ही रूस असद सरकार की रक्षा के लिए अधिक सैनिकों को भेजने के लिए तैयार था।
2011 से, इजरायल की वायु सेना ने कई सीरियाई सैन्य ठिकानों पर हमला किया है, जिसमें ईरानी सैनिकों की मेजबानी करने वाले ठिकाने भी शामिल हैं। इन हमलों ने आयुध और सामग्री को नष्ट करके सीरियाई सैन्य क्षमता को कम कर दिया था। अक्टूबर 2023 से, इजरायल ने सीरिया के भीतर अपने हमलों को बढ़ा दिया था, जिसमें ईरानी सेना, सीरियाई वायु रक्षा और सीरियाई हथियार उत्पादन सुविधाओं पर हमला करना शामिल है। 4 दिसंबर को, ईरान (चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी), इराक (मेजर जनरल याह्या रसूल), रूस (रक्षा मंत्री एंड्री बेलौसोव) और सीरिया (जनरल अब्दुल करीम महमूद इब्राहिम) के सैन्य प्रमुखों ने सीरिया की स्थिति का आकलन करने के लिए मुलाकात की। उन्होंने अलेप्पो से एचटीएस की आवाजाही पर चर्चा की और इस बात पर सहमत हुए कि लेबनान में नाजुक युद्धविराम और सीरियाई सरकार की सेना के कमजोर पड़ने से यह एक "खतरनाक परिदृश्य" बन गया था। जबकि उन्होंने कहा कि वे दमिश्क में सरकार का समर्थन करेंगे, फिर भी उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस बीच, सीरिया के अंदर इजरायली हमलों ने सीरियाई सेना के मनोबल को बढ़ा दिया है, जिसे 2017 में इदलिब में विद्रोहियों के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद से ठीक से पुनर्गठित नहीं किया गया है।
जब रूस ने 2015 में सीरिया में युद्ध में प्रवेश किया, तो रूसी सैन्य कमान ने जोर देकर कहा था कि सीरियाई सरकार अब सरकार समर्थक मिलिशिया समूहों (जैसे कि कटैब अल-बाथ और शब्बीहा) को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति नहीं देगी। इसके बजाय, इन समूहों को रूसी कमान के तहत चौथी और पाँचवीं कोर में एकीकृत किया गया। इस बीच, ईरानी अधिकारियों ने सीरियाई सैनिकों की अपनी बटालियनों का निर्माण किया। सैनिकों के गिरते आर्थिक मानकों और विदेशी कमान ने मनोबल को और गिरा दिया। यहाँ तक कि रिपब्लिकन गार्ड, जिसे दमिश्क और विशेष रूप से राष्ट्रपति महल की रक्षा करने का काम सौंपा गया था, ने अपनी ऐतिहासिक शक्ति खो दी थी।
2011 के बाद से सीरियाई सरकार देश के क्षेत्र पर कभी भी नियंत्रण नहीं कर पाई। 1973 से ही इजरायल का गोलान हाइट्स पर कब्ज़ा था। फिर, 2011 के दौरान, तुर्की ने उत्तरी सीरिया की सीमा पर कब्ज़ा कर लिया था, जबकि कुर्द प्रतिरोध बलों (वायपीजी और पीकेएक) ने सीरिया-तुर्की सीमा पर अपना एक क्षेत्र बना लिया था। उत्तर-पश्चिमी सीरिया पर विद्रोहियों ने कब्ज़ा कर लिया था, जिसमें न केवल एचटीएस बल्कि तुर्की समर्थित मिलिशिया समूह भी शामिल थे। उत्तर-पूर्वी सीरिया पर संयुक्त राज्य अमेरिका का कब्ज़ा था, जिसने तेल क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया था। इस क्षेत्र में, अमेरिकी सेना ने इस्लामिक स्टेट का मुकाबला किया, जिसे उत्तरी इराक और उत्तर-पूर्वी सीरिया दोनों से खदेड़ दिया गया था, लेकिन जो झगड़ा लगातार उभरता रहा। इस बीच, दक्षिणी सीरिया में, सरकार ने शांति का दिखावा करने के लिए विद्रोहियों के साथ जल्दबाजी में कई समझौते किए। बुसरा अल-शाम, दारा, होरान और तफ़स जैसे शहरों में, सरकार अपने किसी भी अधिकारी को नहीं भेज सकती थी; इदलिब की तरह ये भी विद्रोहियों के नियंत्रण में आ गए थे। जब एचटीएस ने दमिश्क पर हमला किया, तो दक्षिण में विद्रोही उठ खड़े हुए, साथ ही इराक की सीमा पर देश के पूर्वी छोर पर भी विद्रोही उठ खड़े हुए। असद की कमज़ोरी की हक़ीक़त सामने आ गई।
इजरायल को फायदा
जैसे कि एक समन्वित तरीके से, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कब्जे वाले गोलान हाइट्स पर गए, जिसे इजरायल ने 1973 में सीरिया से जब्त किया था, और घोषणा की, "यह मध्य पूर्व के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है।" फिर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने, इजरायली सेना को गोलान के इजरायली कब्जे और 1974 के युद्धविराम के दौरान स्थापित सीरियाई सेना चौकियों के बीच संयुक्त राष्ट्र बफर जोन पर आक्रमण करने का आदेश दिया था। इजरायली टैंक कुनेत्रा गवर्नरेट के ग्रामीण इलाकों में चले गए और मुख्य शहर पर कब्जा कर लिया। इस आक्रमण ने अब इजरायल और सीरिया के बीच की सीमा को आकार दे दिया है, क्योंकि इजरायल अब सीमा की लगभग पूरी लंबाई को जब्त करने के लिए सीरिया में कई किलोमीटर आगे बढ़ गया है।
दमिश्क की ओर एचटीएस के आगे बढ़ने के अंतिम दिनों में, इजरायली वायु सेना ने विद्रोहियों को हवाई सहायता प्रदान की। उन्होंने दमिश्क के केंद्र में सैन्य ठिकानों और सीरियाई खुफिया मुख्यालय पर बमबारी की। इस बहाने से कि वे विद्रोहियों द्वारा कब्जा किए जाने से पहले हथियारों के डिपो को नष्ट करना चाहते थे, इजरायलियों ने उन ठिकानों पर हमला किया, जहाँ सीरियाई सैनिक और हथियारों के भंडार थे, जिनका इस्तेमाल सीरियाई सेना दमिश्क की रक्षा के लिए कर सकती थी (इसमें मेज़ाह एयर बेस भी शामिल था)। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि वे ये हवाई हमले जारी रखेंगे, लेकिन उन्होंने यह संकेत नहीं दिया है कि वे किसे निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं।
2011 में विरोध आंदोलन के दौरान सीरिया पर इजरायली हमला और तेज हो गया था। जब विद्रोहियों और सीरियाई सरकार के बीच लड़ाई दक्षिणी सीरिया में इजरायली सीमा के पास फैल गई, तो इजरायल ने सीरियाई बलों पर सीमा पार से गोलीबारी शुरू कर दी। उदाहरण के लिए, मार्च 2013 में, इजरायलियों ने सीरियाई सैन्य चौकियों पर मिसाइलें दागीं, जिससे वे कमज़ोर हो गए और विद्रोही मज़बूत हो गए। 2013 के अंत में, इजरायल ने इजरायल-सीरियाई युद्धविराम सीमा पर मुठभेड़ शुरू करने के लिए एक विशेष सैन्य कमान, डिवीजन 210 का गठन किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब एचटीएस पूर्ववर्ती और अल-कायदा से जुड़े जबात अल-नुसरा ने इजरायली नियंत्रण रेखा पर बढ़त हासिल करना शुरू किया, तो इजरायल ने उन पर हमला नहीं किया। इसके बजाय, इजरायल ने सीरियाई वायु सेना के जेट विमानों को मार गिराने और वरिष्ठ सीरियाई सहयोगियों (जैसे कि जनवरी 2015 में एक ईरानी जनरल जनरल मोहम्मद अली अल्लाहदादी और 2015 के अंत में एक फतह नेता समीर कुंतार) की हत्या करके सीरियाई सरकार पर हमला किया। दमिश्क में एक पूर्व प्रेस अधिकारी ने मुझे बताया कि इजरायल ने राजधानी पर एचटीएस हमले के लिए प्रभावी रूप से हवाई समर्थन प्रदान किया था।
सीरिया का भविष्य
असद ने बिना कोई घोषणा किए सीरिया छोड़ दिया है। दमिश्क में पूर्व सरकारी अधिकारियों का कहना है कि कुछ वरिष्ठ नेता दमिश्क के पतन से पहले उसके साथ चले गए या इराकी सीमा पर चले गए। असद की चुप्पी ने कई सीरियाई लोगों को हैरान कर दिया है, जो मूल रूप से मानते थे कि राज्य उन्हें एचटीएस जैसे समूहों के हमले से बचाएगा। यह असद सरकार के पतन का संकेत है कि उनके रिपब्लिकन गार्ड ने शहर की रक्षा करने की कोशिश नहीं की और वह अपने लोगों का हौंसला बढ़ाने के लिए बिना कोई शब्द कहे ही चले गए।
देश में नई सरकार को लेकर ध्रुवीकृत समझ है। आबादी के वे हिस्से जिन्होंने युद्ध और प्रतिबंधों के कारण अपनी जीवन शैली को खराब होते देखा था, वे इस नई सरकार के आने का स्वागत कर रहे हैं और वे नई स्थिति का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। मध्य पूर्व के लिए बड़ा संदर्भ उनकी तत्काल चिंता का विषय नहीं है, हालांकि इजरायल की कार्रवाइयों के आधार पर, यह बदल सकता है। एक बड़ा हिस्सा इस्लामवादियों के व्यवहार को लेकर चिंतित है, जो गैर-सुन्नी मुसलमानों के खिलाफ़ नुसरिया (अलावियों के लिए, अल-असद परिवार का समुदाय) और रवाफ़िद (जैसे कि सीरिया में बड़ी शिया आबादी) जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। गैर-सुन्नी मुसलमानों को अहल अल-बतिल या "खोए हुए लोग" कहना और धर्मत्याग और उसकी सज़ा के बारे में कठोर सलाफ़ी भाषा का इस्तेमाल करना उन लोगों के बीच डर पैदा करता है जो हमलों का लक्ष्य बन सकते हैं। क्या नई सरकार इस सांप्रदायिक विचारधारा से प्रेरित अपनी ताकतों को नियंत्रित करने में सक्षम होगी, यह देखना अभी बाकी है।
इस तरह का संकुचितवाद केवल विरोधाभासों को उजागर करता है जो लगभग तुरंत ही सामने आ जाएगा। नई सरकार सीरियाई क्षेत्र में इजरायल, तुर्की और अमेरिकी घुसपैठ से कैसे निपटेगी? क्या वह उस भूमि को वापस जीतने की कोशिश करेगी? सीरियाई सरकार और उसके पड़ोसियों, विशेष रूप से लेबनान के बीच क्या संबंध होंगे? क्या लाखों सीरियाई शरणार्थी अब अपने घर लौटेंगे, क्योंकि उनके प्रवास का कारण मिटा दिया गया है, और अगर वे लौटते हैं, तो सीरिया के अंदर उनका क्या होगा? और मुख्य रूप से, इजरायलियों द्वारा फिलिस्तीनियों के चल रहे नरसंहार के लिए यह सब क्या मायने रखता है?
विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वे ग्लोबट्रॉटर में राइटिंग फेलो और मुख्य संवाददाता हैं। वे लेफ्टवर्ड बुक्स के संपादक और ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक हैं। उन्होंने 20 से ज़्यादा किताबें लिखी हैं, जिनमें द डार्कर नेशंस और द पुअरर नेशंस शामिल हैं। उनकी नवीनतम किताबें हैं ऑन क्यूबा: रिफ़्लेक्शन ऑन 70 इयर्स ऑफ़ रेवोल्यूशन एंड स्ट्रगल (नोम चोम्स्की के साथ), स्ट्रगल मेक्स अस ह्यूमन: लर्निंग फ़्रॉम मूवमेंट्स फ़ॉर सोशलिज़्म, और (नोम चोम्स्की के साथ) द विदड्रॉल: इराक, लीबिया, अफ़गानिस्तान, एंड द फ़्रैगिलिटी ऑफ़ यू.एस. पावर।
इस लेख को ग्लोबट्रॉटर ने प्राकाशित किया था।
सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच
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