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तब नोटबंदी, अब नोट बदली

अब दो हजार के नोट प्रचलन से बाहर हो जायेंगे। जाओ, उन्हें बैंकों से बदलवाओ या फिर जमा करवाओ। लोगों को झक मारकर सहज समेट कर रखे दो हजार के नोट बैंकों में जमा कराने पड़ेंगे। और फिर अडानी, अंबानी...
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Image Courtesy : Wikimedia Commons

सरकार जी ने, सरकार जी की सरकार ने दो हजार का नोट बैन कर दिया है। मतलब बैन नहीं किया है, बंद कर दिया है। यह सरकार जी का मास्टर स्ट्रोक है। सरकार जी जो भी करते हैं, मास्टर स्ट्रोक ही होता है। मुझे तो लगता है कि सरकार जी अगर पब्लिकली खांस या छींक भी दें तो वह भी मास्टर स्ट्रोक ही होगा।

इस बार मास्टर स्ट्रोक सरकार जी ने खुद नहीं खेला है, रिजर्व बैंक से खिलवाया है। सरकार जी के शासन काल में खेले कोई भी, मास्टर स्ट्रोक सरकार जी का ही होता है। शायद पिछले नौ वर्षों में यह पहला मौका होगा कि सरकार जी के होते हुए मास्टर स्ट्रोक किसी और के बल्ले से निकला हो। सरकार जी तो सड़क और ट्रेन को हरी झंडी भी स्वयं ही दिखाते हैं, मंत्री आदि तो सिर्फ ताली बजाने के लिए ही रखे गए हैं। और वे लोग यह काम करते भी बखूबी हैं। आप बताओ, किसी भी मंत्री ने कोई काम किया हो, सिर्फ ताली बजाने के अलावा या फिर ट्विटर पर सरकार जी के कारनामे ट्वीट करने के अलावा। हां, बज़ट पेश करना वित्त मंत्री जी की मजबूरी है। नहीं तो सरकार जी ही बज़ट भी पेश कर दें। 

अब पता नहीं यह प्लानिंग से हुआ है कि जो दो हजार का नोट 2016 में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए, काले धन को खत्म करने के लिए लाया गया था, अब 2023 में भ्रष्टाचार और काले धन को खत्म करने के लिए वापस बुलाया जा रहा है। मुझे तो लगता है, सरकार जी जब 2016 में दो हज़ार का नोट लाये थे तभी इस प्लानिंग से लाये थे कि मई 2023 में इसे बंद किया जायेगा।  इसे कहते हैं मास्टर स्ट्रोक। इसे कहते हैं एक तीर से दो निशाने। कुछ लोग इसे थूक कर चाटना भी कहते हैं। पर वह गलत बात है। भला कोई छः सात साल बाद भी थूका हुआ चाटता है।

बात यह है कि सरकार जी के पास शिकायत आई थी कि अब बहुत समय हो गया, बैंकों का लोन ले कर कोई विदेश नहीं भागा है। सरकार जी को अचंभा हुआ, यह क्या हो रहा है? क्या मित्रों को बैंक से लोन नहीं मिल रहा है? या फिर उन्हें विदेश भागने में कोई दिक्कत आ रही है? पता करवाया गया तो पता चला कि आजकल बैंक लोन ही नहीं दे रहे हैं। बहाना बना देते हैं कि बैंक के पास पैसा नहीं है तो लोन कहां से दें। नोटबंदी के बाद बहुत पैसा बैंकों में आ गया था तो बहुत लोन बांटा था, बहुत सारे लोग विदेश भागे थे। लोन लेकर विदेश भागने के टारगेट आसानी से पूरे हो रहे थे। अब दो-तीन साल से ये टारगेट पूरे ही नहीं हो रहे हैं। सरकार जी ने कहा, बस इतनी सी बात है। सरकार जी आम जनता को फरमान जारी कर देते हैं, बैंकों में पैसा जमा करवाओ। अब दो हजार के नोट प्रचलन से बाहर हो जायेंगे। जाओ, उन्हें बैंकों से बदलवाओ या फिर जमा करवाओ। लोगों को झक मारकर सहज समेट कर रखे दो हजार के नोट बैंकों में जमा कराने पड़ेंगे। लाखों करोड़ रुपया बैंक में जमा हो जाएगा। फिर अडानी, अंबानी, और अन्य सभी को लोन मिलेगा। बैंकों से लोन लेकर भागने वालों का टोटा नहीं रहेगा।

वैसे लोग बाग इस नोटबंदी, सॉरी, नोटबंदी नहीं, नोट बदली का एक और कारण बता रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये जो दो हजार के नोट में चिप लगी थी ना, अरे वही जीपीएस की चिप, वह काम नहीं कर रही थी, उसकी डेट एक्सपायर हो गई थी, चार्जिंग ख़त्म हो गई थी। उसकी लाइफ बस छः सात साल ही थी। वैसे तो बड़े नोट की लाइफ ज्यादा होती है। कम चलता है तो कम घिसता है। पर यह जो दो हजार का नोट है ना, चिप की वजह से जल्दी ही घिस गया। छः सात वर्षों में ही घिस गया। सौ का नोट नहीं घिसा पर दो हजार का घिस गया। यह जरूर ही नैनो टेक्नोलॉजी का प्रताप होगा। 

वैसे भी यह नैनो टेक्नोलॉजी कारगार नहीं साबित हुई। कांग्रेस ने इतने पैसे इकट्ठे कर लिए कि पहले हिमाचल में जीत गई और अब कर्नाटक में भी। और सरकार जी को पता ही नहीं चला कि कांग्रेस के पास भी इतने पैसे इकट्ठे हो गए हैं कि चुनाव जीत सके। नैनो चिप का इससे बड़ा फेलियर और क्या हो सकता है। नैनो चिप का चार्ज ही खत्म हो गया होगा। अब इन सब नोटों को वापस बुला कर, रिचार्ज कर, दोबारा मार्केट में उतारा जाएगा। हो सकता है, यह जो दो हजार का नोट है ना, यही, यही वाला, चिप बदल कर, नैनो टेक्नोलॉजी वाली नई चिप लगा कर दुबारा लाया जाए।

सरकार जी से दो हजार के नोट को लेकर एक और शिकायत की गई थी। शिकायत थी कि अब महंगाई बढ़ गई है। बढ़ी है या नहीं ! भ्रष्टाचार बढ़ गया है। बढ़ा है या नहीं ! जब बढ़ा है तो यह दो हजार का नोट चीजें खरीदने के लिए, रिश्वत लेने देने के लिए, काला धन रखने के लिए छोटा पड़ने लगा है। अब इससे काम नहीं चल रहा है। सरकार जी ने कहा, ठीक है, इसे बंद कर देते हैं। थोड़े दिन इसके बिना काम करो। जल्दी ही नया नोट निकाल देंगे। पांच हजार का, दस हजार का नोट निकाल देंगे। सबका साथ, सबका विकास करने वाली सरकार भ्रष्टाचारियों का, काला धन रखने वालों के विकास के बारे में भी तो सोचेगी ही।

असल में बात कुछ और ही है। सरकार जी ने नोट बंद किया है उसके रंग के कारण। नोट गुलाबी रंग में जो छपवा लिया था। नोट का रंग गुलाबी होने के कारण लोगों को गुलाब की याद आती थी। और गुलाब से नेहरू की। बस यही बात सरकार जी तक पहुंची तो उन्हें अखर गई। उनके शासन काल में नेहरू की याद आए, ऐसा कैसे हो सकता है। तो उन्होंने सोचा कि नोट ही बंद कर दिया जाए। अगली बार जब कोई बड़ा नोट लाया जाए, जब पांच हजार या दस हजार का नोट लाया जाए तो संतरी या केसरिया रंग में लाया जाए जिससे उसे बंद करने की जरूरत ही न पड़े। 

तो चिंता मत करो। ब्लैक मनी रखने वालों, भ्रष्टाचार करने वालों, नकली नोट छापने वालों, चिंता मत करो। थोड़ा सब्र रखो। धीरज धरो। बड़ा नोट जरूर आएगा। अबकी बार और बड़ा आयेगा। पांच या दस हज़ार का आयेगा। बस जरा इंतजार करो। सरकार जी हैं तो सब मुमकिन है। 

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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