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थॉमस इसाक : COVID-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में पहली चिंता और प्रथामिकता केरल के नागरिक

किसी राज्य सरकार के नागरिक समाज और स्थानीय सरकारों के बीच तालमेल को लेकर प्रतिबद्धता और उसके वास्तविक नेतृत्व से जो नतीजे मिलते हैं, वह केरल सरकार का अभी तक का अनूठा सामाजिक हस्तक्षेप रहा है,जिसके लिए केरल जाना जाता है।
COVID-19
Image courtesy: The Straits Times

COVID-19 के ख़िलाफ़ लड़ी जा रही इस लड़ाई में केरल का नारा है-" फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग के बीच सोशल डिस्टेंसिंग”। इस नारे को तब गढ़ा गया, जब कुछ तत्व सोशल डिस्टेंसिंग का इस्तेमाल जातिगत प्रदूषण को सही ठहराने के लिए करने लगे। सीमित राजकोषीय गुंज़ाइश से पार पाने के लिए केरल अपनी उस प्रचुर सामाजिक पूंजी का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें राज्य सरकारें अर्ध-संघीय भारत में काम करने के लिए मजबूर हैं। किसी राज्य सरकार के नागरिक समाज और स्थानीय सरकारों के बीच तालमेल को लेकर प्रतिबद्धता और उसके वास्तविक नेतृत्व से जो नतीजे मिलते हैं, वह केरल सरकार का अभी तक का अनूठा सामाजिक हस्तक्षेप रहा है,जिसके लिए केरल जाना जाता है।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हमेशा से आगे बढ़कर पहल करते रहे हैं, अलग-अलग हर तरह की एजेंसियों से जानकारियां ले रहे हैं और हर रोज़ चुनौतियों का जवाब टीवी के ज़रिये देते हैं, शाम को प्रेस के साथ लाइव बातचीत करते हैं। इसलिए, किसी भी तरह का कोई भ्रम नहीं है और कार्रवाई की एक स्पष्ट दिशा भी है।

कोई शक नहीं कि सामने के मोर्चे पर केरल के स्वास्थ्य विभाग की रहनुमाई करतीं स्वास्थ्य मंत्री, के.के.शैलजा टीचर हैं। केरल में सबसे विशाल और सबसे कुशल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली है और कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ इस लड़ाई ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि इस तरह की चुनौती का सामना करने के लिए बीमा आधारित निजी स्वास्थ्य प्रणाली किस तरह नाकाफ़ी है।

केरल की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में 6,000 डॉक्टर, 9,000 नर्स और अन्य 15,000 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं। इसके बाद स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की एक दूसरी पंक्ति है,जिसमें आशा कार्यकर्ताओं, कुदुम्बश्री स्वास्थ्य स्वयंसेवक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, अस्पताल विकास समिति के सदस्य, उपचार करने वाले स्वयंसेवक और अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं। हाल के वर्षों में, अस्पताल की इमारतों (जिनमें से कई के निर्माण अब भी चल रहे हैं) और चिकित्सा उपकरणों के साथ-साथ बड़ी संख्या में कुछ और चिकित्सा कर्मियों को जोड़ने के लिए क़रीब 4,000 करोड़ का निवेश किया गया है। हाल ही में निपाह वायरस के प्रकोप से निपटने की कामयाबी के साथ यह प्रणाली और भी मज़बूत हुई है।

फ़रवरी में चीन से लौटने वालों के साथ कोरोना वायरस की आने वाली पहली लहर को असरदार तरीक़े से रोक दिया गया था। लेकिन मार्च में, उस समय चीज़ें हाथ से निकल गयीं, जब कोरोना यूरोप और खाड़ी देशों से आने वाले प्रवासियों के साथ केरल में दाखिल होने लगा। इनमें से कुछ प्रवासियों ने स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को चकमा दे दिया और इस कारण कुछ ज़िलों में कोरोना के कई क्लस्टर उभर आये। स्वास्थ्य विभाग ने सभी संक्रमित व्यक्तियों के लिए एक रूट मैप बनाते हुए और उन सभी के संपर्क में आये लोगों को निगरानी में रखते हुए एक शानदार काम किया। केरल में आज 1,01,402 लोग घर पर हैं, अन्य 601 लोग अस्पताल में हैं, 126 लोगों का इलाज चल रहा है और किसी की मौत नहीं हुई है। अभी तक 12 रोगियों, यहां तक कि एक 96 वर्षीय दंपत्ति को भी ठीक किया गया है (26 मार्च तक)। हालांकि, करोना से पीड़ितों की संख्या में होती रोज़-रोज़ की बढ़ोत्तरी या परीक्षण में पोजिटिव पाये जाने वालों पर नज़र रखी जा रही है, हम कम्युनिटी प्रसार का कोई मौका नहीं देना चाहते हैं।

राज्य ने राष्ट्रीय लॉकडाउन को पूरी तरह लागू किया है। लेकिन, इस लॉकडाउन को लागू करने को लेकर जो ख़ास बात केरल को बाक़ी राज्यों से अलग करती है, वह आम नागरिकों के लिए समानुभूति और चिंता है। इस लॉकडाउन के साथ, हमने 20,000  करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया है, जिसका उद्देश्य लोगों के हाथों में पैसा ट्रांसफर करना है। सबसे अहम उपाय जो किये गये हैं, वह 55 लाख लाभार्थियों के लिए 1,200 रुपये प्रति माह (जो अप्रैल से 1,300 रुपये तक बढ़ा दिये गये हैं) के अलग-अलग कल्याणकारी योजा में पेंशन का भुगतान हैं। हम चार महीने की बक़ाया पेशन और एक महीने की अग्रिम पेंशन दे रहे हैं। इस प्रकार, केरल के ज़्यादातर परिवारों को अप्रैल के मध्य से पहले 7,300 रुपये का आय हस्तांतरण प्राप्त हो चुका होगा।

इस पैकेज में जो दूसरी अहम बात है, वह लॉक-डाउन में रह रहे परिवारों को भोजन की आपूर्ति को लेकर है। पिछले दो हफ़्तों से, आंगनवाड़ियों से पका हुआ भोजन बच्चों और अन्य लाभार्थियों को उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा, केरल के सभी परिवारों को सामान्य राशन के अलावा, विशेष खाद्य किट भी दिये जाने वाले हैं। एक और नया कार्यक्रम स्थानीय सरकारों द्वारा आयोजित किया जा रहा है और वह है-सामुदायिक रसोई । इस रसोई से जुड़े होटलों में अलग से 20 रुपये में भोजन उपलब्ध होगा। होम डिलीवरी का भी इंतज़ाम होगा। स्थानीय सरकारें उन परिवारों की सूची तैयार करेंगी, जो इस राशि को भी वहन नहीं कर सकते, उनके लिए भोजन उनके घर पर मुफ़्त में दिया जायेगा। सड़कों और फुटपाथ पर सोने वालों को कल्याण मंडपम के अंतर्गत लाया जायेगा और उन्हें भी मुफ़्त भोजन दिया जायेगा। प्रवासी श्रमिकों को ठेकेदार के साथ साझेदारी में उनके आवास स्थान पर ही भोजन का इंतज़ाम किया जायेगा। उनके स्वास्थ्य और भोजन की ज़रूरतों को सुनिश्चित करना स्थानीय सरकार का फ़र्ज़ है।

अब सवाल उठता है कि होटलों और रसोई की इस श्रृंखला को कौन चलायेगा और प्रबंधित कौन करेगा? कुदुम्बश्री महिला पड़ोसी समूहों का एक नेटवर्क है,जिसकी सदस्यता 32 लाख परिवारों की है। कुदुम्बश्री पहले से ही अपने सूक्ष्म उद्यम कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 1,479 कुदुम्बश्री कैफ़े और 946 खानपान इकाइयों का प्रबंधन करता रहा है।  राज्य और स्थानीय सरकारें उसे इस बात के लिए धन उपलब्ध करायेंगी और इस कार्यक्रम के लिए सामग्री सहायता भी जायेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके उद्यमों को कोई नुकसान न हो।

कुदुम्बश्री का माइक्रो-फाइनेंस के क्षेत्र में दो दशकों से अधिक और 99 प्रतिशत की पुनर्भुगतान दर का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। सदस्य परिवारों को अतिरिक्त उपभोग ऋण प्रदान करने के लिए बैंकों से 2,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए उसकी इस साख का लाभ उठाया जायेगा। राज्य सरकार इन ऋणों के लिए ब्याज सहायता भी प्रदान करेगी। यह राज्य सरकार द्वारा घोषित 20,000 करोड़ रुपये के पैकेज का ही एक घटक है।

इस पैकेज में अप्रैल और मई के महीने में मनरेगा के तहत केरल को आवंटित पूरे 8 करोड़ रोज़गार दिवस के लिए पहले से चुकता राशि भी शामिल है। केरल में शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम भी चल रहे हैं, लेकिन वह बहुत छोटे पैमाने पर है। इसी तरह, कई ऐसी योजनायें भी चल रही हैं,जो सीधे ग़रीबों को पैसा उपलब्ध कराती हैं, उन्हें भी इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही सामने लाया जा रहा है। हमारा इरादा छात्रवृत्ति, सामाजिक न्याय भुगतान और सब्सिडी के सभी तरह के उन बकायों का भुगतान करने का है, जो राजकोषीय संकट के कारण बकाया हो गये थे। यह संकट केंद्र सरकार की तरफ़ से राज्य सरकार पर डाले गये वित्तीय दबाव के नतीजे थे। अब हमारे उधार में कटौती कर दी गयी है, मुआवज़े से इनकार कर दिया गया है और केंद्र की तरफ़ से पैसों का स्थानान्तरण कम हो गया है।

ऐसे में सवाल है कि ऊपर बताये गये हालात में केरल इस पैकेज के आख़िर किस तरह पैसे जुटाने जा रहा है ? अप्रैल के इस महीने में हमारे वार्षिक उधार को आधा करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। हम जीएसटी मुआवजा के तत्काल भुगतान और राज्य के बाज़ार उधार को जीएसडीपी के 4 प्रतिशत तक बढ़ाने की भी मांग करते रहे हैं। इस मंदी में राज्य सरकार के ख़र्च में कटौती को लागू करने की केंद्र सरकार की मौजूदा नीति को पागलपन से कम क्या कहा जा सकता है।

केरल, राज्य स्तर की बैंकर्स समिति की बैठक बुलाने और साल भर के सभी ऋण भुगतान के लिए स्थगन समझौते तक पहुंचने वाला पहला राज्य भी रहा है। हमने COVID-19 से गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक विशेष पैकेज की भी मांग की है। आरबीआई ने अभी तक इसका कोई जवाब नहीं दिया है। मुझे उम्मीद है कि आरबीआई देर-सबेर जागेगा और कम से कम COVID-19 के मद्देनज़र यूएस के फ़ेडरल रिज़र्व बोर्ड और यूके के फ़ाइनेंस कंट्रोल अथॉरिटी की तरफ़ से ऋणदाताओं को जारी किये गये दिशानिर्देशों को ध्यान में रखेगा।

COVID से प्रभावित होने वालों की इस तत्काल सहायता के अलावा, केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट फ़ंड बोर्ड द्वारा वित्त पोषित 50,000 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा निवेश कार्यक्रम को भी मज़बूत कर रहा है। इस फ़ंड को क़ानून बनाकर आधे मोटर वाहनों से कर के वार्षिक अनुदान और पेट्रोलियम उत्पादों पर एक विशेष उपकर के ज़रिये हासिल करना है। यह फ़ंड अपने सुनिश्चित भविष्य के राजस्व प्रवाह और वित्त बुनियादी ढांचे के प्रतिभूतीकरण के ज़रिये उधार लेता है। पिछले बजटों में लगभग 50,000 करोड़ रुपये की अनुमानित परियोजनाओं को घोषित किया गया है और अब वे लागू किये जाने के लिए तैयार हैं। क़रीब 20,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का टेंडर पहले ही निकाला जा चुका है। बाकी परियोजनाओं को लेकर जल्द ही आगे बढ़ा जायेगा। यह किसी भी मानक के लिहाज से भारत में किसी भी राज्य सरकार का सबसे बड़ा मंदी-विरोधी पैकेज होगा।

इसी तरह, संघीय राजनीति की सीमा के भीतर, केरल सरकार कोरोना महामारी के इन मुश्किल दिनों में अपनी जनता और अर्थव्यवस्था का बचाव करने की कोशिश कर रही है।

(डॉ. टी एम थॉमस इसाक केरल के वित्त मंत्री हैं। यह आलेख मूल रूप से अंग्रेजी में 27 मार्च को ndtv.com पर प्रकाशित हो चुका है। लेखक की स्वीकृति से इसे हिन्दी में अनूदित कर प्रकाशित किया जा रहा है।)

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