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तिरछी नज़र: आख़िर बजरंगबली ने अपने को क्यों हरवाया

मेरे भक्त, बेचारे पहलवान जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे हैं और ये मुझे यहां कर्नाटक में चुनाव प्रचार में घसीट लाए हैं। बजरंगबली ने सोचा, इन्हें सबक सिखाने के लिए मुझे इससे अच्छा मौका कब मिलेगा।
bajrang bali
प्रतीकात्मक तस्वीर। PTI

कर्नाटक में चुनाव के नतीजे आ गए हैं। अब तो नतीजे आए एक हफ्ता भी गुजर गया है। एक हफ्ते तक विश्वास ही नहीं हुआ था कि सरकार जी हार भी सकते हैं और वह भी इतनी बुरी तरह से हार सकते हैं। अब जब कांग्रेस का मुख्यमंत्री बन गया है तब यकीन आ रहा है कि सरकार जी सचमुच में ही हार गए हैं। नहीं तो अभी तक डर लग रहा था कि नए बने एमएलए कहीं किडनैप ना हो जाएं। उन्हें कहीं हवाई जहाज में भर कर असम न भेज दिया जाए।‌‌ कहीं नतीजे ही पलट न दिए जाएं। 

कर्नाटक के चुनाव में, भाजपा अपने पक्ष में इस बार बजरंगबली को भी ले लाई थी पर फिर भी हार गई। भगवान श्री राम इंतजार करते रह गए, कि कर्नाटक में चुनाव हैं, मुझे अप्रोच करेंगे ही, मुझे ही स्टार प्रचारक बनाएंगे। सरकार जी और भाजपा वाले अन्य नेता बुलाने आएंगे और खींच कर ले जाएंगे, कि प्रभु चलो, कर्नाटक में चुनाव हैं, वहां अब आपकी ही जरूरत है। भगवान राम चाहे या न चाहें, जबरदस्ती ले ही जाएंगे कि प्रभु, अब आप ही बचाओ। प्रभु, पिछले पांच वर्षों में कुछ किया धरा नहीं है, जनता को परेशान ही किया है, तो प्रभु आपका ही सहारा है, आप ही पालनहार हैं। जनता त्रस्त है, वोट देगी नहीं, आप ही नैया पार लगा सकते हैं। और भगवान श्री राम को मजबूरन जाना ही पड़ेगा।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ भगवान जी को भी डर है, सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स का डर है। क्या पता, भगवान जी भी सरकार जी के मन मुताबिक काम न करें, सरकार जी के मन की बात न सुनें, तो उन पर भी ईडी, सीबीआई का छापा पड़ जाए। 

पर इस बार सरकार जी ने भगवान श्री राम की बजाय रामभक्त हनुमान जी से काम चलाने की सोची। प्लान किया कि भगवान राम को थोड़ा आराम दे देते हैं, उनसे अभी बहुत से काम लेने हैं। अभी बहुत से चुनाव हैं, वहां भगवान श्री राम को बुला लेंगे, इस बार बजरंगबली जी से ही काम चला लेते हैं। जरूरत हुई तो भगवान राम को मध्य प्रदेश में, राजस्थान में, छत्तीसगढ़ में बुला लेंगे। और साल भर भी तो नहीं बचा है लोकसभा चुनाव में, तब तो भगवान राम के बिना काम ही नहीं चलेगा। तब तो उन्हें बुलाना ही पड़ेगा। और तब तक तो उन पर मंदिर बनने का अहसान भी चढ़ जाएगा। तो इस चुनाव में बजरंगबली जी से काम चला लेते हैं, रामभक्त हनुमान से काम चला लेते हैं। इसलिए सरकार जी ने बजरंगबली का बहुत जिक्र किया, हर सभा में किया, बार बार किया, पर फिर भी हार गए। 

सच्ची बात तो यह है कि बजरंगबली हारे नहीं, उन्होंने स्वयं ही अपने आप को हराया है। बजरंगबली अपने आप को स्वयं ही न हरवाएं तो किसकी मजाल है कि बजरंगबली को हरा दे। बजरंगबली तो बहुत बलवान हैं, महावीर हैं और ज्ञानी भी हैं। उन्हें अपने आप को हरवाने में भी बहुत मेहनत करनी पड़ी होगी। और उन्होंने अपने आप को ऐसे ही नहीं हरवाया है, बहुत सोच समझकर हरवाया है।

बजरंगबली ने देखा कि यह कैसी पार्टी है। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जो मर्जी प्रपंच शुरू कर देती है। उधर कांग्रेस ने पीएफआई और बजरंग दल पर लगाम लगाने की बात की तो इन भाजपा वालों ने, और तो और सरकार जी ने भी मुझे लपेट लिया। 'उस' बजरंग दल के साथ बजरंगबली को मिला दिया। ठीक है मेरी भी वानर सेना थी। थोड़ी बहुत उत्पाती भी रही होगी पर कोई दृष्टांत नहीं है कि उन्होंने किसी महिला को छेड़ा हो, शांति काल में किसी विरोधी को मारा हो, किसी पर झूठे आरोप लगा कर भरे बाजार पीट डाला हो, श्री राम न बोलने पर जान से मार डाला हो। पर यहां तो बजरंग दल की करतूतें हर रोज अखबार में पढ़ लो। ऐसे बजरंग दल को और मुझ बजरंगबली को एक बराबर कर दिया। बजरंगबली को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने सोचा, इन्हें सबक सिखाना है तो खुद को ही हरवाना ही पड़ेगा।

बजरंगबली बली को पता था, उन्होंने स्वयं ही देखा था कि उनके मंदिर देश भर में फैले हुए हैं। अखाड़ा तो शायद ही कोई ऐसा हो जहां उनका मंदिर न हो, उनकी मूरत न हो। कोई भी पहलवान, महिला हो या पुरुष, उनके सामने शीश नवाए बिना अखाड़े में पैर भी नहीं रखता है। मन ही मन बजरंगबली का स्मरण किए बिना कुश्ती नहीं लड़ता है। मेरे भक्त, बेचारे पहलवान जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे हैं और ये मुझे यहां कर्नाटक में चुनाव प्रचार में घसीट लाए हैं। ये भाजपा वाले उधर मेरे भक्तों के साथ होने की बजाय उनका शोषण करने वाले के साथ खड़े हैं और इधर कर्नाटक में मेरा भक्त होने का नाटक कर रहे हैं। बजरंगबली ने सोचा, इन्हें सबक सिखाने के लिए मुझे इससे अच्छा मौका कब मिलेगा। तो इसीलिए बजरंगबली ने स्वयं को कर्नाटक में हरवाया।

तो बजरंगबली ने अपने को हरवाया और जनता ने कांग्रेस को जिताया है। अब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बन चुकी है। वहां मुख्यमंत्री ने कल, 20 मई को ही शपथ ग्रहण की है। पर यह सरकार कब तक है, यह न बजरंगबली को पता है न ही भगवान श्री राम को। सिर्फ सरकार जी को पता है। उनकी ईडी और सीबीआई को पता है। सूरत के रिजोर्ट को पता है और गोहाटी के होटल को पता है।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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