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धरती जैसे-जैसे गर्म होती चली जायेगी, उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात ताकतवर होते जायेंगे

हालिया अध्ययन से पता चला है कि उष्ण-कटिबंधीय तूफानों (tropical storm) के वैश्विक स्तर पर उत्तरोत्तर ताकतवर होते जाने की हर दशक में करीब 8% मौके बढ़ रहे हैं, यहाँ तक कि यह लेवल 3 या उससे भी उपर की ओर जा सकता है।
चक्रवात

भारत और बांग्लादेश के काफी बड़े हिस्सों में भारी तबाही मचाते हुए सुपर साइक्लोन अम्फान अभी-अभी गुजरा है। भारत को इसके गुस्से का सामना पश्चिम बंगाल के अच्छे-खासे हिस्से को भुगतना पड़ा है, जिसमें राजधानी कोलकता भी अछूता नहीं रहा है। अभी साल भर पहले ही फोनी चक्रवात ने भारत के पूर्वी तट अपना कहर बरपा किया था। पहले से व्यापक और बेहद तीव्र तूफानों से दो-चार होना वर्तमान में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अब करीब-करीब एक वार्षिक परिघटना बन चुकी है। उष्णकटिबंधीय इलाकों में हर साल यह सुपर साइक्लोन आकर अब मनुष्यों की जिंदगियों और संपत्तियों को बुरी तरह से तहस-नहस कर रहा है।

चक्रवात और समुद्री तूफ़ान के अनुसंधान के क्षेत्र में कम से कम पिछले दो दशकों से एक बेहद महत्वपूर्ण सवाल उभर कर यह निकला है कि क्या पहले से ही ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ उत्तरोत्तर मज़बूत हवाओं के थपेड़ों की एक सुस्पष्ट प्रवृत्ति देखने को मिलती है या यह मान कर चला जाए कि ऐसा सिर्फ भविष्य में देखने को मिलेगा। वैज्ञानिकों का मत है कि चूंकि धरती के उत्तरोत्तर गर्म होते जाने के पीछे मानव निर्मित परिस्थितियां जिम्मेदार हैं, इसलिए समुद्र का तापमान भी उसी अनुपात में बढ़ता जा रहा है। जैसे-जैसे समुद्र गर्म होते जाते हैं, उष्णकटिबंधीय तूफानों को गर्म समुद्री जल से और अधिक ईंधन मिलना शुरू हो जाता है और साथ में हवा के साथ जल वाष्प भी। हालांकि अभी भी वैज्ञानिकों के बीच ग्लोबल वार्मिंग और तेज होते जा रहे तूफानों के बीच के संबंधों को लेकर सांख्यिकीय समाधान पूरे तौर पर नहीं निकाले जा सके हैं।

लेकिन तथ्यों के आधार पर एक नया अध्ययन सामने आया है जिसमें संकेत मिलते हैं कि वैश्विक स्तर पर तूफानों की बढ़ती संख्या का सीधा सम्बंध मानव-निर्मित ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा है। यह शोध 18 मई को पीएनएएस (प्रोसीडिंग ऑफ द नेचुरल एकेडमी ऑफ साइंसेज) में प्रकाशित हुआ था, और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन में एक समूह द्वारा इसे आयोजित किया गया था। इस अध्ययन में जो रुझान देखे गए वे ग्लोबल वार्मिंग के साथ मजबूत तूफानों के कंप्यूटर मॉडल अनुकरण के अनुमानों से मेल खाते हैं।

इस अध्ययन में पाया गया कि वैश्विक स्तर पर हर दस वर्षों में उष्णकटिबंधीय तूफानों के 8% की वृद्धि होने और इसके  केटेगरी 3 या उससे भी अधिक तक तीव्र होने की संभावना बनी हुई है।

इस क्षेत्र में अनुसंधान के सम्बंध में पर्यवेक्षणीय साक्ष्य इकट्ठा करने में आने वाली मुश्किलों में से बाधा के तौर पर खुद एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के डेटा को इकट्ठा करने का रहा है। चक्रवाती डेटा को इकट्ठा करने के लिए दुनिया भर में विभिन्न तरीकों को इस्तेमाल में लाया जाता है, नतीजे के तौर पर अधिकतर डेटा विषम प्रकृति के होते है। जिसका अर्थ है कि प्रत्यक्ष तौर पर वस्तुगत तौर पर इकट्ठा किये गए डेटा से इसकी वैश्विक प्रवृत्ति का पता लगा पाना काफी मुश्किल हो जाता है। इसे देखते हुए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर से एकत्रित विषम डेटा से एक समरूप डेटा फॉर्म तैयार किया है।

इस शोध के प्रमुख लेखक जेम्स कोसिन को उद्धृत करते हुए बताया गया कि उनके मतानुसार “यहाँ पर ट्रेंड का पता लगाने में हमारे सामने जो मुख्य समस्या पेश हो रही है वह यह है कि हर बार पहले से बेहतर तकनीक को उपयोग में लाकर डेटा एकत्र किया जा रहा है। हर साल डेटा पिछले साल की तुलना में थोड़ा अलग होता है क्योंकि प्रत्येक नए उपग्रह में नए उपकरणों की मदद से अलग-अलग तरीकों से डेटा इकट्ठे किये जा रहे हैं। इसलिए आखिर में हमारे पास इन सभी उपग्रहों से प्राप्त डेटा किसी चिथड़े-चिथड़े हो चुकी रजाई के समान होते हैं, जिन्हें आपस में जोड़कर सिलाई करनी होती है।"

यह शोध अपने 39 साल की अवधि के (1979-2017) वैश्विक आंकड़ों के विश्लेषण के जरिये इस समस्या से उबर पाने में कामयाब रहा है। यह डेटा दुनिया भर से उपग्रह आधारित तूफ़ानों की तीव्रता के आकलन पर निर्भर है। यह नया अध्ययन भी उसी समूह की ओर से किये गए पिछले अध्ययन का ही एक विस्तारित गणना का काम है जिसे उन्होंने 2013 में प्रकाशित किया था। उस दौरान उन्होंने 28 साल (1982-2009) की समयावधि को ध्यान में रखकर डेटा पर काम किया था। उस शोध में भी उन्हें तूफ़ान की तीव्रता और ग्लोबल वार्मिंग के बीच एक सकारात्मक रुझान देखने को मिला था। लेकिन सांख्यिकीय महत्व के लिहाज से इसका महत्व अपेक्षाकृत कम था।

कोसिन के अनुसार "आज हमारे पास सबूतों की एक महत्वपूर्ण इमारत है, वह यह कि पूर्व की तुलना में ये तूफ़ान पहले से बेहद महत्वपूर्ण तौर पर बदल चुके हैं, और ये सभी ख़तरनाक भी हैं।”

पहले से कहीं अधिक ताकतवर और बरसाती तूफानों के साथ एक छिपी हुई वैश्विक प्रवृत्ति भी है, और वह यह कि उष्णकटिबंधीय तूफ़ान अचानक से तीव्र हो उठते हैं। काफी संभव है कि अपनी शुरुआत में जैसा कि अनुमान लगाया गया था, कोई तूफ़ान अपनी अनुमानित तीव्रता के साथ समुद्र के ऊपर शुरू हो, लेकिन कुछ घंटों के भीतर ही यह और ताकतवर होता चला जाए और कहीं अधिक भयानक तूफ़ान के बतौर साबित हो सकता है। ‘अम्फान’ भी इसका अपवाद नहीं रहा, रिकॉर्ड 18 घंटों के भीतर ही यह श्रेणी 5 वाले चक्रवात के बतौर विकसित हो गया था।

इसके अलावा धरती जैसे-जैसे गर्म होती जा रही है, उष्णकटिबंधीय तूफ़ान भी उसी अनुपात में गीले होते जा रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि भारी बारिश से नहीं बच सकते और इसलिए किसी भी तूफ़ान के बाद नतीजे के तौर पर व्यापकतम स्तर पर बाढ़ का अतिरिक्त प्रकोप बना रहेगा।

अंग्रेज़ी में यह लेख पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Tropical Cyclones Become Stronger as Earth Warms

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