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ट्यूनीशियाई सुरक्षा बलों ने बेरोज़गारी को लेकर हुए विरोध पर हिंसक कार्रवाई की

पूर्व तानाशाह ज़ीने एल आबिदीन बेन अली के खिलाफ 2011 की क्रांति के बाद से देश अपने नागरिकों के सामने खड़े विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को हल करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
ट्यूनीशियाई सुरक्षा बलों ने बेरोज़गारी को लेकर हुए विरोध पर हिंसक कार्रवाई की

विरोध प्रदर्शन करने वाले सैकड़ों ट्यूनीशियाई नागरिकों पर दक्षिणी ट्यूनीशिया में सुरक्षा बलों ने उस समय बलों का प्रयोग किया जब वे इस क्षेत्र में रोजगार की कमी और उन्हें नौकरी देने की सरकार की उदासिनता के खिलाफ प्रदर्शनों में भाग ले रहे थे।

ये प्रदर्शनकारी कथित तौर पर राज्यपाल के इस्तीफे की मांग को लेकर धरने पर बैठने के इरादे से शहर के एक सरकारी भवन में घुसने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, ट्यूनीशियाई पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दाग कर उन्हें रोक दिया और बाद में विरोध प्रदर्शनों को तितर बितर करने और दबाने के लिए उन पर कार्रवाई की।

रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर सरकार से 2017 से लंबित समझौते को लागू करने का मांग कर रहे थे। इस समझौते के अनुसार सरकार ने बेरोजगारी के मुद्दे से निपटने के लिए इस क्षेत्र में तेल और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने का वादा किया था।

साल 2017 में टाटाओइने और केबिली प्रांतों में तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन क्षेत्रों में नौकरियों की भारी कमी के मुद्दे पर इस क्षेत्र में व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद ये समझौता हुआ था। इस क्षेत्र पर फ्रांसीसी कंपनी पेरेनको और ऑस्ट्रियाई कंपनी ओएमवी का प्रभुत्व था। पिछले 4 वर्षों में सरकार कथित तौर पर इस समझौते को पूरा करने में विफल रही है और इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में बेरोजगारी की दर में तेजी से वृद्धि हुई है जो वर्तमान में 30% है। ये देश में उच्चतम स्तर पर है।

मंगलवार को हुआ विरोध जनता की नारजगी और हताशा की लंबी सूची में नवीनतम घटना थी जो देश को प्रभावित करने वाले कई व्यापक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों और इससे निपटने में 2012 के बाद की सरकारों की विफलताओं के चलते वर्षों से हो रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने सरकारी दमन और क्रूर हिंसक कार्रवाई का मुद्दा भी उठाया था जिसे ट्यूनीशियाई सुरक्षा बलों ने विरोध को दबाने के लिए अंजाम दिया था। इसमें हजारों प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और मुकदमा शामिल था साथ ही जनवरी महीने में एक प्रदर्शनकारी की हत्या का मामला भी शामिल था।

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