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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में निरीक्षण करने के लिए वादी को परिसर में प्रवेश की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया गया है।
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फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

मथुरा : उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में चल रहे श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में सोमवार को दो अलग—अलग याचिकाएं दाखिल की गयीं। इन दोनों पर ही अन्य अर्जियों के साथ एक जुलाई को सुनवाई की जाएगी।

पेश की गईं याचिकाओं में विवादित परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को समाप्त करने के लिए अदालत द्वारा कमिश्नर नियुक्त किए जाने तथा जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में निरीक्षण करने के लिए वादी को परिसर में प्रवेश की अनुमति दिए जाने का आग्रह किया गया है।

जिला शासकीय अधिवक्ता (दीवानी) संजय गौड़ ने बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ज्योति सिंह की अदालत में सोमवार को दो याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग प्रार्थना पत्र पेश किये। इनमें से धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष सौरभ गौड़ के अधिवक्ता राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा कि चूंकि अदालत में जल्द ही गर्मियों की छुट्टियां घोषित हो जाएंगी, ऐसे में सम्भव है कि ईदगाह पक्ष के लोग वहां मौजूद साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर दें।

उन्होंने मांग रखी है कि ऐसे में इस विशेष प्रकरण में ग्रीष्मावकाश के दौरान ही अदालत कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर प्रश्नगत इमारत का सर्वे करा ले, जिससे मौके की वास्तविक स्थिति अदालत के सामने भी स्पष्ट हो जाए।

गौड़ ने बताया, इस संबंध में विगत 23 मई को भी एक याचिका इसी आशय के साथ दाखिल की गई थी, मगर सुनवाई न किए जाने के कारण याचिका को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय चौधरी की अदालत में पेश किया गया था, जहां से न्यायालय ने इस आदेश के साथ यह मामला सिविल जज की ही अदालत में भेज दिया गया कि इस मामले की सुनवाई बिना किसी व्यवधान के प्रतिदिन की जाये।

दूसरी ओर, अखिल भारत हिन्दू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने भी एक याचिका दाखिल कर अदालत से आग्रह किया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले उन्हें जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में ईदगाह स्थल पर रोजाना प्रवेश करने की अनुमति दी जाए, जिससे यह पता लग सके कि दूसरे पक्ष द्वारा परिसर के अंदर किसी तरह का भौतिक बदलाव तो नहीं किया गया है, क्योंकि आशंका है कि प्रतिवादी पक्ष गर्मी की छुट्टियों के दौरान परिसर में मौजूद कथित साक्ष्यों को मिटा सकता है।

अदालत ने इन दोनों ही याचिकाओं पर अन्य अर्जियों के साथ आगामी एक जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है।

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