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यूपी: रेप मामले में दोषी बीजेपी विधायक विधानसभा से अयोग्य घोषित

जनप्रतिनिधित्व क़ानून के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि को दो या उससे अधिक साल की क़ैद होने पर ‘दोषसिद्धि’ की तारीख़ से सदन की सदस्यता से अयोग्य माना जाएगा।
Ramdular Gond
फाइल फ़ोटो।

सोनभद्र जिले के दुद्धी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक रामदुलार गोंड को बलात्कार के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार, 23 दिसंबर को यह जानकारी दी।

गोंड को नौ साल पहले एक लड़की से बलात्कार के मामले में हाल में 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार, किसी भी जनप्रतिनिधि को दो या उससे अधिक साल की कैद होने पर ‘दोषसिद्धि’ की तारीख से सदन की सदस्यता से अयोग्य माना जाएगा। इतना ही नहीं सजा पूरी होने के बाद अगले छह साल के लिए वह सदन की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होगा।

15 दिसंबर को सोनभद्र में सांसद/विधायक (एमपी/एमएलए) अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) एहसान उल्लाह खान ने अभियुक्त पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो पीड़िता के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

बलात्कार पीड़िता अब शादीशुदा है और आठ साल की बच्ची की मां है।

विशेष लोक अभियोजक सत्य प्रकाश त्रिपाठी ने बताया था कि अदालत ने 12 दिसंबर को विधायक को दोषी करार दिया था और सजा सुनाने के लिए 15 दिसंबर की तारीख तय की थी।

त्रिपाठी ने बताया था कि घटना चार नवंबर 2014 की है, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं - 376 (दुष्कर्म), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत विधायक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। घटना के समय विधायक की पत्नी ग्राम प्रधान थीं।

पीड़ित लड़की के भाई की शिकायत पर म्योरपुर थाने में रामदुलार गोंड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। गोंड उस समय विधायक नहीं थे और मामले की सुनवाई पॉक्सो अदालत में हो रही थी।

गोंड से विधायक निर्वाचित होने के बाद मामले की सुनवाई एमपी/एमएलए के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दी गई थी। उत्तर प्रदेश में इसके पहले भी कई जनप्रतिनिधियों को अदालत से सजा सुनाये जाने के बाद अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है।

नफरत भरे भाषण मामले में अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद अक्टूबर 2022 में रामपुर के समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आजम खान और फरवरी 2023 में सरकारी काम में रुकावट पैदा करने एवं धरना-प्रदर्शन मामले में सजा सुनाये जाने के बाद स्वार के उनके विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था।

इसके अलावा, 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा से जुड़े एक मामले में दो साल की कैद की सजा सुनाये जाने के बाद मुजफ्फरनगर के खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी को अक्टूबर 2022 से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

वहीं, बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्नाव के बांगरमऊ निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। सेंगर को पहले ही भाजपा ने निष्कासित कर दिया था।

इस साल मई की शुरुआत में उत्तर प्रदेश की एक अदालत द्वारा अपहरण और हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने और चार साल कैद की सजा सुनाये जाने के बाद गाजीपुर के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद अफजाल अंसारी को लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

वर्ष 2009 में फैजाबाद (अयोध्या) से सपा के सांसद मित्रसेन यादव को अदालत ने धोखाधड़ी के एक मामले में सात वर्ष की सजा सुनाई जिसके बाद उन्हें संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था।

फर्जी अंक पत्र मामले में एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाये जाने के बाद अयोध्या जिले के गोसाईगंज के भाजपा विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को भी पिछले सत्र में अयोग्य घोषित किया गया था। 19 अप्रैल 2019 को हमीरपुर के भाजपा विधायक अशोक चंदेल को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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