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यादों में मुनव्वर: मोहब्बत में तुम्हें आंसू बहाना नहीं आया, बनारस में रहे और पान खाना नहीं आया...

बनारस में साझा संस्कृति मंच और मधुबन गोष्ठी के संयुक्त तत्वावधानव में श्रद्धांजलि सभा। छात्रों, बुद्धिजीवियों और सिविल सोसाइटी ने किया मुनव्वर राना को याद।
Munawwar Rana
शायर मुनव्वर राना को श्रद्धांजलि अर्पित करते छात्र

उर्दू के शायर मुनव्वर राना को बनारस के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित मधुबन वाटिका में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर वक्ताओं ने राना के परिजनों के लिए भी संवेदनाएं व्यक्त की और कहा कि मुनव्वर हमेशा यादों में जिंदा रहेंगे। उनकी कमी देश को  सालों साल सालती रहेगी। उनके निधन से सिर्फ शायरी को ही नहीं, उर्दू और हिंदुस्तान की तहजीब को बहुत नुकसान हुआ है।

दिल का दौरा पड़ने से बीते रविवार, 14 जनवरी को 71 साल की उम्र में शायर मुनव्वर राना का इंतकाल हो गया था। वह कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे। साझा संस्कृति मंच और मधुबन गोष्ठी के संयुक्त तत्वावधानव में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में छात्रों, बुद्धिजीवियों और सिविल सोसाइटी के लोगों ने उन्हें याद किया। दिवंगत शायर को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा मुनव्वर राना बनारस की यादों में बसे हैं। बनारस के बेनियाबाग में आयोजित होने वाले इंडो-पाक मुशायरे में मुनव्वर राना कई बार आए। उन्होंने बनारस की रवायत और रवानी पर कई नज़्में पेश की थी।

मोहब्बत में तुम्हें आंसू बहाना नहीं आया

बनारस में रहे और पान खाना नहीं आया

 

न जाने लोग कैसे है मोम कर देते है पत्थर को

हमें तो आप को भी गुदगुदाना नहीं आया...

श्रद्धांजलि सभा में उर्दू शोधकर्ता ने कहा, "रिवायती मुशायरों का बादशाह शायर हमारे बीच से चला गया। 26 नवम्बर 1952 को रायबरेली में पैदा हुए, तो सारी ज़िन्दगी रायबरेली का कलमा पढ़ते रहे। कलकत्ता में अब्बा के साथ ट्रक के पहियों संग ज़िन्दगी शुरू की और धीरे धीरे अपना ख़ुद का ट्रांसपोर्ट खड़ा कर दिया। एक शायर दिल इंसान एक कामयाब बिज़नेसमैन बन गया। ट्रक के पहिए जितना चलते,उससे ज़्यादा मुनव्वर साहब की किताबें चलती।"

शायर मुनव्वर राना की कलम हमेशा हुक्मरानों को परेशान करती थी। वो बेखौफ होकर लिखते और सुनाते। किसान आन्दोलन के समय शायर के अंदर बैठे सजग हिन्दोस्तानी ने लिखा, "संसद को गिराकर खेत बना दो, इस मुल्क के कुछ लोगों को रोटी तो मिलेगी। अब ऐसे ही बदलेगा किसानों का मुकद्दर, सेठों के बनाए हुए गोदाम जला दो।"

वक्ताओं ने यह भी कहा, "कई दफा लेखकों की कलम ने सत्ता की कमर तोड़ी है। मुंशी प्रेमचंद, दिनकर, पाश धूमिल और भी बहुत बड़े लेखक हुए है जिनकी कलम से क्रांति की मशाल जली। इस शेर को इसी धारा के अंतर्गत देखा पढ़ा जाना चाहिए। मुनव्वर भी कभी मायूस नहीं करते थे। जो दिल में आया कह डाला। उसका असर जब होगा, तब होगा। मुनव्वर राना का उर्दू अदब में बड़ा काम रहा।"

"मुशायरों के मंच पर घर, भाई, गांव और मां पर जब वो शेर पढ़ना शुरू करते थे उनमें दीवानगी और बंदगी दिखती थी। मां का सिंबल ग़ज़ल में पहले कभी नहीं होता था। ये एक ऐसे शायर थे जिन्होंने इसे इस तरह इस्तेमाल किया और उसे ग़ज़ल का हिस्सा बना दिया। बड़े खूबसूरत शेर उन्होंने इस रिश्ते पर और इस जज्बे पर कहे हैं, जो पहले नहीं होते थे। उनकी जो शायरी है वो हमेशा रहेगी और हमेशा लोग उन्हें एक शायर की ही नजर से जानेंगे।"

श्रद्धांजलि सभा में यह भी कहा गया कि मुनव्वर साहब की शायरी में हर लाइन मां से शुरू होती और मां पर ही खत्म होती थी। यह भी अजब इत्तेफाक है कि ये जनवरी आई, दुनिया से एक अजीम शख्सियत के चले जाने का दुख दे दिया, पर मुनव्वर की उस ख्वाहिश को पूरा कर दिया, जो उन्होंने अपनी मां की मौत पर कहीं थीं कि

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता

मैं जब तक घर न लौटूं मेरी मां सज्दे में रहती है

 

एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है

तुम ने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना

वक्ताओं ने यह भी कहा, "कई बार लोग यह समझते थे कि मुनव्वर राना डर गए हैं या बिक गए हैं।  अगर उन्हें बिकना होता तो सालों पहले बिक गए होते। उन्होंने अपना अवार्ड नहीं लौटाया होता। वह कहा करते थे कि मैंने शायद ग़लती से ये अवॉर्ड ले लिया था, मैं वादा करता हूं कि अब ज़िंदगी में कभी कोई अवॉर्ड नहीं लूंगा। मुल्क का माहौल ख़राब करने के लिए मोदी नहीं, बल्कि देश के लोग ज़िम्मेदार हैं। नफ़रत के इस माहौल को दूर करने की ज़िम्मेदारी सभी नागरिकों पर है।"

मुनव्वर की शायरी की तारीफ करते हुए वक्ताओं ने कहा, मुनव्वर साहब का अपना एक रंग था और उनके शेर पर उनकी अपनी छाप होती थी। श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से रोशन, सोनाली, राणा रोहित, नीरज, धनंजय त्रिपाठी, विवेक, शाश्वत, इन्दु, जागृति राही, साक्षी, प्रज्ञा, वंदना, समर, शांतनु, आनंद, अभिनव, संगम,  अर्पित समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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