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यूपी बोर्डः पेपर लीक मामले में योगी सरकार के निशाने पर चौथा खंभा, अफ़सरों ने पत्रकारों के सिर पर फोड़ा ठीकरा

"उत्तर प्रदेश में बार-बार पेपर लीक होने से ऐसा लगता है कि नकल माफ़िया सरकार की पकड़ और सख्ती से बाहर हैं। किन्तु इस प्रकार की गंभीर घटनाओं से प्रदेश की पूरे देश में होने वाली बदनामी के लिए असली कसूरवार और जवाबदेह कौन?"
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बलिया कोतवाली के बाहर चिलचिलाती धूप में धरना देते पत्रकार 

उत्तर प्रदेश बोर्ड की 12वीं की परीक्षा के अंग्रेजी पेपर लीक मामले में किरकिरी होने पर योगी सरकार ने सच उजागर करने वाले चौथे खंभे को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। पारदर्शी तरीके से परीक्षा कराने की जिम्मेदारी जिन अफसरों के ऊपर थी उन्होंने अपना ठीकरा पत्रकारों के माथे पर फोड़ दिया है। लीक और वायरल पेपर छापने पर यूपी के एक बड़े अखबार "अमर उजाला" के कई पत्रकार गिरफ्तार कर लिए गए हैं। इसे लेकर विपक्ष भी अब सरकार पर हमलावर हो गया है। 

नकल माफिया गिरोह ने बड़ा खेल करते हुए 12वीं का अंग्रेजी का पेपर एक दिन पहले ही लीक कर दिया, जिसकी परीक्षा 30 मार्च 2022 को होने वाली थी। राज्य के 24 जिलों में अंग्रेजी की परीक्षा रद्द हो चुकी है, जिसकी अगली तिथि 13 मार्च तय की गई है। पेपर लीक मामले में बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ब्रजेश कुमार मिश्र को निलंबित करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। "अमर उजाला" में लीक पेपर छापने वाले स्थानीय पत्रकार अजित कुमार ओझा और उनके तीन अन्य साथियों को भी हिरासत में ले लिया गया। आरोप है कि बलिया जिला प्रशासन सारा आरोप मीडिया के माथे पर मढ़कर अपना कलंक मिटा देना चाहता है। पुलिस के साथ मामले की जांच एसटीएफ कर रही है। डीआईओएस समेत करीब 17 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, बसपा सुप्रीमो मायावती और आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को लेकर योगी सरकार पर कड़ा प्रहार किया है।

यूपी बोर्ड परीक्षा में इंटरमीडिएट के अंग्रेजी विषय की परीक्षा 30 मार्च को दूसरी पाली में होनी थी। दैनिक अखबार "अमर उजाला" के बलिया संस्करण में वह लीक पेपर सुबह ही प्रकाशित कर दिया, जिसकी परीक्षा अपराह्न दो बजे से होनी थी। अंग्रेजी विषय के जो पर्चे लीक हुए थे उनका सीरियल 316 ईडी और 316 ईआई था। इन्हीं पर्चों से यूपी के 24 जिलों में परीक्षाएं होनी थी। "अमर उजाला" ने एक दिन पहले 29 मार्च 2022 को भी हाईस्कूल की संस्कृत की परीक्षा के प्रश्न-पत्र की सॉल्व कॉपी प्रकाशित की थी जो एक दिन पहले ही वायरल हो गई थी। आजमगढ़ मंडल के शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक ने जांच में संस्कृत के प्रश्न-पत्र के आउट होने की बात स्वीकार किया था।

यह मामला अभी निपटा भी नहीं कि इंटरमीडिएट की अंग्रेजी के पेपर की भी सॉल्व कॉपी वायरल होने लगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर परीक्षा का प्रश्न पत्र और हल किया गया पेपर एक दिन पहले ही वायरल हो गया था, जिसे बाजार में पांच-पांच सौ रुपये में बेचा जा रहा था।

"अमर उजाला" ने लगातार दो दिनों तक लीक पेपर प्रकाशित किया तो बलिया जिला प्रशासन इतना झुंझला गया कि अखबार के वरिष्ठ पत्रकार अजित कुमार ओझा को उनके दफ्तर से अपराधियों की तरह उठवा लिया। इस कार्रवाई से बलिया जिले के पत्रकार तमतमा गए और नारेबाजी करते हुए थाना कोतवाली पहुंचे। पत्रकार अजित कुमार ओझा को यहीं पुलिस हिरासत में रखा गया था। 30 मई की दोपहर में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने कोतवाली थाने में धरना शुरू कर दिया।

वरिष्ठ पत्रकार अजित ओझा को हिरासत में लेने के ख़िलाफ़ पत्रकारों का कोतवाली परिसर में धरना चल ही रहा है कि "अमर उजाला" के नगर प्रतिनिधि दिग्विजय सिंह और मनोज कुमार गुप्ता उर्फ झब्बू को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। शुरु में पुलिस पत्रकारों की गिरफ्तारी से इनकार करती रही, लेकिन बाद में अपना रंग दिखाते हुए अजित के खिलाफ संगीन धाराओं में रपट दर्ज कर ली। बाद में डीआईओएस ब्रजेश कुमार मिश्र और पत्रकार अजित को बलिया जिला अस्पताल ले जाया गया। मेडिकल परीक्षण के बाद एसटीएफ इन्हें पूछताछ के लिए किसी अज्ञात स्थान पर ले गई।

बलिया कोतवाली का घेराव करने वाले पत्रकारों ने कोतवाली थाने में कई घंटे तक धरना दिया। इस दौरान पत्रकारों ने प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए और रोष व्यक्त किया। पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध में धरना-प्रदर्शन करने वाले पत्रकार अखिलानंद तिवारी, मकसूदन सिंह, जुगनू सिंह, तिलक कुमार, इमरान खान, मुशीर जैदी, सदानंदन उपाध्याय, राणा प्रताप सिंह, अभिषेक मिश्र, दीपक तिवारी, एनडी राय, धर्मेंद्र तिवारी डुलडुल ने कहा, " योगी राज में सच उजागर करना अब बड़ा गुनाह हो गया है। बलिया जिला प्रशासन यूपी बोर्ड परीक्षा की शुचिता को बचाने में नाकाम हुआ तो ठीकरा पत्रकारों के माथे पर फोड़ना शुरू कर दिया। परीक्षा की शुचिता पर सवाल उठाने वाले पत्रकारों का दमन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। योगी सरकार को चाहिए कि वो पहले उन अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाएं जो अपना दामन पाक साफ दिखाने के लिए सच उजागर करने वाले चौथे खंभे का गला घोंटना चाहते हैं। इस मामले में पत्रकारों को मुल्जिम बनाया जाना न्यायसंगत नहीं है। पुलिस और प्रशासन की यह कार्रवाई यूपी बोर्ड की ढुलमुल व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। निर्दोष पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा फर्जी और गिरफ्तारी अवैध है। यह लोकतंत्र के चौथे खंभे को कुचलने का कुत्सित प्रयास है।"

पूरा घटनाक्रम

दरअसल,  "अमर उजाला" के 30 मार्च के बलिया संस्करण में अंग्रेजी का वह पेपर छापा गया था जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। पुलिस हिरासत में लिए गए पत्रकार अजित कुमार ओझा के मुताबिक— "बलिया के डीएम इंद्र विक्रम सिंह और डीआईओएस ब्रजेश कुमार मिश्र ने 30 मार्च की सुबह उनसे संपर्क किया। दोनों अफसरों ने प्रकाशित खबर के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी और लीक पेपर व्हाट्सएप पर पेपर भेजने के लिए आग्रह किया। हमने दोनों अफसरों को लीक पेपर सुबह ही भेज दिया था।

अचानक दोपहर में परीक्षा निरस्त होते ही पुलिस अमर उजाला के दफ्तर में पहुंची और हमें उठाकर कोतवाली ले आई। हमने पत्रकारीय धर्म को निभाया है। हमें और हमारे साथियों को सिर्फ झुझलाहट में निशाना बनाया जा रहा है, ताकि वो अफसर बेदाग साबित हो जाएं, जिनके ऊपर नकलविहीन परीक्षा कराने की जिम्मेदारी थी।" मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस हिरासत में पत्रकार अजित कुमार ओझा से वायरल पेपर के सिलसिले में करीब तीन घंटे तक पूछताछ की गई। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने अजित के साथ हाथापाई और धक्का-मुक्की की, जिसके बाद उनकी मेडिकल जांच कराई कराई गई।

पुलिस हिरासत में डीआईओएस ब्रजेश कुमार मिश्र

डीआईओएस की हालत बिगड़ी

कोतवाली थाना पुलिस मेडिकल परीक्षण के बाद पुलिस पत्रकार अजित कुमार ओझा के साथ जिला विद्यालय निरीक्षक ब्रजेश कुमार मिश्र को पूछताछ के लिए किसी अज्ञात स्थान पर ले जा रही थी तभी उनकी हालत बिगड़ने लगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पेपर लीक मामले में डीआईओएस और पत्रकार दोनों को देर रात जेल भेज दिया गया। बलिया के नगर मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार की तहरीर पर बलिया कोतवाली थाना पुलिस ने इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। सिकंदरपुर में पांच और नगरा थाना पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें "अमर उजाला" के चार पत्रकार शामिल हैं। सभी के खिलाफ धारा 420, 467, 471, एवं 66 डीआईटी एक्ट और सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम के साथ ही 4/5/10 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।  

इसी मामले में बलिया के गंगोत्री इंटर कालेज से तीन शिक्षकों समेत कई लोगों को पुलिस ने उठाया है और उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है। कोतवाली थाना प्रभारी निरीक्षक राजेश प्रसाद यादव के मुताबिक पेपर लीक मामले में तीन शिक्षकों समेत कई अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया है। दोष सिद्ध होने पर कठोर करवाई की जाएगी। इस बीच परीक्षा की शुचिता प्रभावित करने के आरोप में बलिया के उभांव थाने में भी अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया है। उभांव के थाना प्रभारी अविनाश सिंह खुद इस मामले की छानबीन कर रहे हैं। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद परीक्षा केंद्र के कक्ष निरीक्षक सहमे हुए हैं।

यूपी बोर्ड के जो भी प्रश्न-पत्र परीक्षा केंद्रों पर भेजे जाते हैं उसका लिफाफा सील रहता है। 30 मार्च को दूसरे पाली की परीक्षा शुरू होने से पहले ही यह परीक्षा निरस्त किए जाने के बारे में सभी केंद्र व्यवस्थापकों को सूचना दे दी गई थी। इसके चलते किसी भी केंद्र पर पर्चा का लिफाफा नहीं खोला गया। पुलिस अब सभी सीलबंद लिफाफों की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश में है कि गड़बड़ी किस केंद्र से हुई है?

माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने पेपर लीक मामले को गंभीरता से लेते हुए बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक ब्रजेश कुमार मिश्र को निलंबित करने का आदेश दिया है। साथ ही जिलाधिकारी बलिया और पुलिस अधीक्षक से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। परीक्षा की शुचिता को बचाने में नाकाम उन सभी अफसरों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के निर्देश दिए गए हैं जिन पर शक-शुबहा गहरा रहा है। 30 मार्च की देर रात तक बलिया के अलग-अलग क्षेत्रों से करीब 17 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर पिछले दो दिनों से परीक्षा केंद्रों की फुटेज खंगाल रहे हैं। पेपर लीक मामले की जांच-पड़ताल में रसड़ा और बेल्थरा के एसडीएम व पुलिस क्षेत्राधिकरी को भी लगाया गया है। पेपर लीक मामले की गहन छानबीन के लिए बुधवार की शाम एसटीएफ के अफसर बनारस पहुंच गए हैं। एसटीएफ के डिप्टी एसपी विनोद सिंह के मुताबिक बनारस से एक जांच टीम बलिया भेजी गई है।

रद्द पेपर अब 13 को

यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट की अंग्रेजी विषय का पेपर लीक होने के कारण 24 जिलों में दूसरी पाली की परीक्षा निरस्त कर दी गई है। वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई केंद्रों पर परीक्षा देने पहुंचे स्टूडेंट्स ने रोष व्यक्त किया। कुछ स्थानों पर पुलिस से तकरार भी हुई। शासन के निर्देश पर बलिया के साथ ही एटा, बागपत, बदायूं, आगरा, वाराणसी, मैनपुरी, मथुरा, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, सीतापुर, कानपुर देहात, ललितपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़, गोंडा, आजमगढ़, अलीगढ़, गाजियाबाद, शामली, शाहजहांपुर, उन्नाव, जालौन और महोबा में परीक्षाएं निरस्त की गई हैं। निरस्त परीक्षा अब 13 अप्रैल 2022 को आयोजित की जाएगी। यह परीक्षा पहली पाली में सुबह 8 बजे से 11 बजकर 15 मिनट तक होगी। यूपी बोर्ड ने स्टूडेंट्स से अपील की है कि संयम बनाए रखें। निरस्त की परीक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की जिज्ञासा हो तो विभाग द्वारा हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, जहां से वो समाधान पा सकते हैं। इस बाबत यूपी बोर्ड ने हेल्पलाइन नंबर 18001805310, 18001805312 (प्रयागराज), 18001806607, 18001806608 (लखनऊ) जारी किया है। फैक्स नंबर- 0522 2237607 और ई-मेल-  [email protected] पर शंका समाधान किया जा सकता है। यूपी बोर्ड के

ट्विटर- @upboardexam2022, फेसबुक- Upboard Exam और वाट्सएसप- 8840850347 के जरिए भी जानकारी हासिल की जा सकती है।

अभियुक्तों से कड़ी पूछताछ

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के मुताबिक, "प्रश्नपत्र लीक मामले में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। कुछ अभियुक्तों को जेल भेजा जा चुका है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि वही पेपर लीक हुआ था जिसकी परीक्षा अगले दिन होनी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रूख अपनाया है। उनके निर्देश पर बुधवार को ही एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी है। एसटीएफ और जिला पुलिस को निर्देशित किया है कि जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। अगर आवश्यक हुआ, तो रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी।"

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद बोर्ड सचिव दिव्य कांत शुक्ला ने बयान दिया है, "पेपर लीक मामले में उच्चस्तरीय जांच बैठा दी गई है। बलिया समेत अन्य जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों से रिपोर्ट तलब की गई है। सभी जिलों के डीएम, एसपी नकल माफिया पर नजर बनाए हुए हैं। सीएम के आदेश पर जांच की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपी गई है। उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा का पेपर लीक करने वालों के खिलाफ राज्य सरकार पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की चेतावनी दे चुकी है।"

यूपी बोर्ड की परीक्षा से पहले यूपीटीईटी पेपर लीक हुआ था। राज्य के 75 जिलों में 28 नवंबर 2021 को यूपीटीईटी की परीक्षा होनी थी। इसमें करीब 21 लाख अभ्यर्थियों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले पेपर लीक होने की घटना का खुलासा हो गया। इसके चलते सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी। इस मामले में झूंसी के दयानाथ मिश्रा स्मारक गर्ल्स इंटर कालेज से सत्य प्रकाश सिंह, अभिषेक सिंह और अनुराग को गिरफ्तार किया था और बाद में तमाम अभियुक्त पकड़ लिए गए। पेपर लीक की घटना के दो दिन बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा एक्शन लेते हुए सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी संजय कुमार उपाध्याय को निलंबित कर दिया था।

हमलावर हुआ विपक्ष

आदित्यनाथ सरकार की दूसरी पारी की शुरुआत में हुई घटना के बाद, विपक्ष ने यूपी की बुल्डोजर सरकार को आड़े हाथ लिया है। चुनाव के बाद बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक की घटना ने फिर से प्रशासन पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज करते हुए कहा है, "उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की दूसरी पारी में भी पेपर लीक करवाने का व्यवसाय बदस्तूर जारी है। युवा कह रहे हैं कि रोज़गार देने में नाकाम भाजपा सरकार जान-बूझकर किसी परीक्षा को पूर्ण नहीं होने देना चाहती है। भाजपा सरकार अपने इन पेपर माफ़ियाओं पर दिखाने के लिए सही मगर कागज का ही बुलडोजर चलवा दें।"

इसके कुछ घंटे बाद उन्होंने एक और ट्वीट कर सीएम योगी आदित्यनाथ पर तंज करते हुए लिखा, "शायद मुख्यमंत्री जी का आशय ये है कि 8-10 बार नहीं…उससे ज़्यादा बार पेपर लीक हुए हैं।" इस ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया गया है। उस वीडियो में पत्रकार सीएम योगी से सवाल पूछ रहा है कि प्रदेश में कितनी बार पेपर लीक हो चुका है। इसके जवाब में सीएम योगी ने पलटकर पूछा कितने बार?"

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर कहा, ''यूपी बोर्ड परीक्षाओं में पेपर लीक होने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आज दोपहर इंटर की अंग्रेजी विषय की परीक्षा होने से पहले पेपर लीक होने के बाद गोरखपुर और वाराणसी सहित प्रदेश के 24 जिलों में परीक्षा रद्द करनी पड़ी है। छात्रों के जीवन से बार-बार ऐसा खिलवाड़ क्या उचित?''

मायावती ने कहा, "उत्तर प्रदेश में बार-बार पेपर लीक होने से ऐसा लगता है कि नकल माफिया सरकार की पकड़ और सख्ती से बाहर हैं। किन्तु इस प्रकार की गंभीर घटनाओं से प्रदेश की पूरे देश में होने वाली बदनामी के लिए असली कसूरवार और जवाबदेह कौन? दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बीएसपी की मांग।"

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के अलावा आप नेता संजय सिंह ने भी भाजपा सरकार पर हमला बोला है। साथ ही एनएसयूआई ने एक ट्वीट में कहा है, "पेपर लीक, मुख्यमंत्री वीक, उत्तर प्रदेश में कुछ भी नहीं ठीक। साल बदला, तारीख बदली, लेकिन उत्तर प्रदेश में पेपर लीक की कहानी नहीं बदली। लीकेज सरकार 2.0 में भी छात्र-छात्राओं के भविष्य को फिर शिक्षा माफियाओं के हाथ में सौंपकर बर्बाद करने का कार्य जारी है।"

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