यूपी: “मौतें नहीं हत्याएं हैं”......श्रमिकों की क़ब्रगाह बनता इफको फूलपुर!
अभी एक कार्यक्रम से लौटी ही थी कि दोपहर के करीब साढ़े तीन बजे एक फोन आया। फोन रिसीव करते ही उधर से आवाज़ आई ....."नमस्ते मैडम, पहचाना मैं शिव भवन भुलई का पूर्वा फूलपुर इलाहाबाद से बोल रहा हूं" इसी जनवरी में एक स्टोरी के सिलसिले में शिव भवन से उनके गांव जाकर मिलना हुआ था तो पहचानने में देर न लगी। आवाज़ में एक घबराहट सी महसूस हुई, " मैडम इफको में एक बहुत बड़ी घटना हो गई है।" शिव भवन का इतना कहना था कि तुरन्त किसी अनहोनी का विचार दिमाग में कौंधने लगा। उन्होंने बताया कि बॉयलर फटने से कुछ मजदूरों की मौत हो गई है और बहुत मजदूर बुरी तरह घायल हो गए हैं। इतना सुनना था कि दिल धक से रह गया। एक बैचेनी से होने लगी, उफ्फ, और कितनी जाने लेगा इफको, मुंह से एकाएक निकला...
(इफको का वह स्थान जहां बॉयलर में विस्फोट हुआ)
शिव भवन उस समय इफको के बाहर ही थे और आंखों देखा हाल बता रहे थे और लगातार फोटोज और वीडियो भेज रहे थे। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था, गुस्साए ग्रामीणों की भीड़ बढ़ रही थी तो, चीख पुकार, रोने की आवाज़ें, घायल और मारे गए श्रमिकों की खून से लथपथ तस्वीरें, विचलित कर रही थीं। उन्होंने बताया कि अभी इफको प्रशासन मौतों को छुपाने की कोशिश कर रहा है लेकिन जितना उन लोगों को ख़बर मिल रही है उसके मुताबिक कई श्रमिक अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं और एक बहुत बड़ी संख्या घायलों की है। आगे का भी अपडेट देते रहने की बात कहकर हमने बातचीत समाप्त की लेकिन अब तक इस भयावह घटना और बेचैन करती तस्वीरों ने मेरे अंदर एक तूफ़ान मचा रखा है। लगा, सचमुच इफको मजदूरों की कब्रगाह बनता जा रहा है क्यूंकि इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
अभी तक इस घटना में दो लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। 16 श्रमिक घायल बताए गए हैं।
प्रयागराज जिले के फूलपुर स्थित इंडियंस फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) में इससे पहले भी ऐसे हादसों में वहां कार्यरत श्रमिक अपनी जान गंवा चुके हैं। अभी गए दिसम्बर में अमोनिया गैस रिसाव की भी घटना हुई थी जिसमें दो अधिकारी मारे गए थे और बीस से ज्यादा मजदूर बीमार हुए थे।
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(बॉयलर फटने की घटना में घायल श्रमिक)
मंगलवार 23 मार्च का घटनाक्रम कुछ इस तरह बताया गया है कि कामकाज निपटाने के बाद दोपहर को मजदूर खाना खाने के लिए पी वन प्लांट में इकट्ठा हुए थे। एक बजे के करीब अचानक बॉयलर में धमाका हो गया, इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता वहां मौजूद दो दर्जन से अधिक मजदूर धमाके की चपेट में आ गए। मजदूर खून से लथपथ हो गए और चारों तरफ चीख पुकार मच गई। धमाका होने के बाद इफको का बचाव दल मौके पर पहुंचा लेकिन तब तक फूलपुर के पाली गांव के निवासी प्रदीप यादव और मुंगारी गांव के विजय यादव की मौत हो चुकी थी। हादसा उस वक़्त हुआ जब शट डाउन किया जा रहा था।
गुस्साए लोगों ने शवों को लेकर घंटों मार्ग पर जाम लगाकर विरोध किया। ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों ने मदद का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया। वहीं इफको के वरिष्ठ महाप्रबंधक संजय कुदेसिया ने कहा है कि घटना की जांच कराई जाएगी और साथ ही मृतकों के परिवार को एक-एक लाख रुपये व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देना का भी आश्वासन दिया।
इफको में हुई घटना पर रोष व्यक्त करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमल उसरी ने कहा, “हम लोग आज सुबह से ही शहीदे आज़म भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू का शहादत दिवस मनाने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक दोपहर में भोजनावकाश के समय कारखाने में कार्यरत मजदूर साथियों द्वारा यह खबर आई की अंदर बॉयलर फट गया है। कई मजदूरों की मौत हो गई है और कई घायल हैं। हम सब इफको प्रशासन से यह जानकारी करते रहे कि वर्तमान स्थिति क्या है? प्रबधन किसी तरह की जानकारी देने से मुँह छुपाता रहा।”
डॉ. कमल उसरी ने कहा यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी अमोनिया गैस लीक हो चुकी है जिसमें कई मजदूरों अधिकारियों की मौत हो चुकी है, अभी कुछ महीने पहले एक मजदूर जो बीमार था उसे अस्पताल भेजने के बजाय काम पर भेज दिया गया और काम के दौरान उसकी मौत हो गई। बड़े संघर्ष के बाद पहली बार इफको प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। इफको प्रबधन के पास पुरस्कार बांटने के लिए, धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए चंदा देने, अधिकारियों के ऐशो आराम के लिए बजट है, लेकिन मजदूरों कर्मचारियों की जीवन रक्षा के लिए बजट नहीं है।
जिस कारखाने का निर्माण फूलपुर क्षेत्र को खुशहाल बनाने के लिए किया गया था अब वह स्थानीय लोगों के लिए प्रबंधन की बदनीयती के चलते अभिशाप बनता जा रहा है। आये दिन अमोनिया गैस लीक होती है। आस पास के क्षेत्र का भूमिजल स्तर लगातार नीचे जा है। इफको से निकलने वाले कचरे से प्रदूषण बढ़ रहा है। किसानों की खेती बर्बाद हो रही है।
डॉ. कमल उसरी ने कहा कि हम शासन प्रशासन से से मांग करते हैं इफको प्रबधन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हो। मृतक आश्रित को स्थाई नौकरी दी जाय, पचास लाख रुपए मुआवजा दिया जाय। उन्होंने कहा कि पुनः ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो इसकी गांरटी की जाय। उच्च स्तरीय जाँच समिति बनाकर मामले की जांच की जाए और दोषी अधिकारियों को बर्खास्त किया है तथा ठेकेदार का लाइसेंस निरस्त हो।
इफको ठेका मजदूर संघ के मंत्री देवानंद से जब हमने संपर्क किया तो उन्होंने इसे इफको प्रबंधन द्वारा मजदूरों की सीधे सीधे हत्या बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन ठेका मजदूरों में आपसी एकता नहीं बनने देता है, जिससे मजदूरों का शोषण होता है और दुर्घटना घटने पर प्रबंधन मनमानी कर पाने में सक्षम हो जाता है।
देवानंद जी के मुताबिक इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी चार पांच बार घटनाएं हो चुकी हैं। बावजूद इसके चाहे स्थानीय प्रशासन हो या इफको प्रशासन हो हमेशा मूक दर्शक बना रहा। उन्होंने कहा कि हमारे यूनियन ने हमेशा इस ओर इफको प्रबन्धन को आगाह किया कि बार बार हो रही घटनाओं के प्रति उनका नजरअंदाज रवैया एक दिन बड़ी घटना का कारण बन सकता है और आखिर वही हुआ। 22 दिसंबर 2020 की रात भी हुई अमोनिया रिसाव की घटना के चलते दो अधिकारियों की मौत और करीब बीस मजदूरों के बीमार पड़ने का जिम्मेवार उन्होंने पूरी तरीके से इफको प्रशासन को माना। उन्होंने कहा कि उस समय मौजूद लोगों द्वारा जल्दी ही गैस रिसाव में काबू पा लिया गया वरना एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी जैसे परिणाम भुगतने पड़ते। उनके मुताबिक सुरक्षा उपकरणों के अभाव में यहां का मजदूर हररोज अपनी जान हथेली पर रखकर काम करने को मजबूर है और जो मजदूर अपनी सुरक्षा की बात करता है, सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की मांग करता है तो इफको प्रशासन उसे काम से ही हटा देती है। उन्होने कहा कि हमारे यूनियन की हमेशा से प्रमुख मांग यही रही कि इफको प्लांट में जहां संवेदनशील काम करवाया जाता है वहां श्रमिकों, कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार सुरक्षा उपकरण मुहैया कराया जाएं और हर श्रमिक की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए। वे कहते हैं कि एक तरफ इफको प्रशासन हम मजदूरों की एकता तोड़ने की कोशिश में लगा रहता है तो दूसरी तरफ हम मजदूरों का संघर्ष है और हम लोग लगातार रातदिन एकता बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं, हमे पूरा यकीन है एक दिन हम एकता के बल पर प्रबंधन के शोषण को समाप्त करने में जरूर कामयाब होंगे। इफको ठेका मजदूरों ने मंगलवार शाम पांच बजे मृतक मजदूरों को दो मिनट का मौन रख कर श्रंद्धाजलि अर्पित की।
तीन महीने के भीतर ऐसी दो घटनाएं इतना बताने के लिए काफी हैं कि श्रमिकों की जिंदगी का पूंजीपतियों के लिए क्या मायने है। क्या मुनाफे के आगे किसी इंसान की जान की कोई कीमत नहीं, शायद बिलकुल नहीं। इफको की घटनाओं ने एक बार फिर इस सच को साबित कर दिया है। जब एक श्रमिक कहता है कि हमें सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराया जाएं, संवेदनशील जगह पर काम करने वाले हर मजदूर, कर्मचारी, की सुरक्षा की गारंटी की जाए तो प्रबन्धन सीधे सीधे नौकरी से हटाने की धमकी देता है।
पिछली घटना की आई जांच रिपोर्ट में इफको प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई थी। इस घटना की भी जांच की बात कही जा रही है। जांचें होती रहेंगी, एक बार फिर गलतियों और मानवीय भूलों की फाइल तैयार कर दी जाएंगी, लेकिन फिर भी यह सवाल तो बना ही रहेगा कि आखिर कब तक हमारा भ्रष्ट सिस्टम मेहनतकशों की जिंदगियों को निगलता रहेगा। क्या वे ऐसे ही मरते रहेंगे और उनकी जान की कीमत एक या दो लाख तय कर दी जाएगी। यह भ्रष्ट सिस्टम कभी यह समझ पाएगा कि जब एक मजदूर मरता है तो उसके साथ उसका पूरा परिवार मरता है। जब इस देश का मेहनतकश तबका किसान, मजदूर, छात्र नौजवान, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के शहादत दिवस पर संघर्षों के नए संकल्पों के साथ एक नए पथ निर्माण की ओर बढ़ रहा था ठीक उसी समय भगत सिंह के सपनों के भारत का मजदूर इस अमानवीय सिस्टम की भेंट चढ़ रहा था।
सभी फोटो सौजन्य: शिव भवन
(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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