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यूपी चुनाव: सियासत की पटरी पर आमने-सामने खड़ा हो गया बिहार का डबल इंजन!

बिहार के राजनीतिक दिग्गज अब यूपी में दम दिखाने के लिए तैयार हैं, एक ओर जहां जेडीयू ने बीजेपी से अलग बगावती तेवर अपना लिए हैं, वहीं मुकेश साहनी और चिराग पासवान ने भी ताल ठोक दी है।
यूपी चुनाव: सियासत की पटरी पर आमने-सामने खड़ा हो गया बिहार का डबल इंजन!

सियासत का खेल भी बड़ा ही अजीबो-गरीब है, जो सरकार बिहार के बड़े-बड़े मंचों से खुद में डबल इंजन का दम बताकर विकास की दुहाई देती है, सीमा पार करते ही वह डबल इंजन खुलकर एक ही पटरी पर आमने-सामने आ जाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासी हैं कि, इसने बिहार सरकार का तीसरा इंजन भी खोलकर रख दिया।

दरअसल हम बात कर रहे हैं बिहार सरकार के गठबंधन में शामिल बीजेपी, जेडीयू और वीआईपी की... क्योंकि उत्तर प्रदेश के चुनावों में जेडीयू ने अकेले ही ताल ठोक दी हैं। उधर, बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी यानी VIP के अध्यक्ष मुकेश साहनी पहले ही उत्तर प्रदेश की 160 सीटों पर दावेदारी पेश कर चुके हैं। यानि ये कहना ग़लत नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश में आते-आते बिहार सरकार के दो नहीं बल्कि तीन फाड़ हो चुके हैं।

यूं ही अकेले नहीं लड़ रही JDU

कहने को तो बीजेपी की ओर से गठबंधन के फैसले में देरी के बाद JDU ने अकेले लड़ने का फैसला किया है, लेकिन सियासत में यूं ही कोई फैसला नहीं किया जाता, दरअसल पूर्वांचल का सामाजिक समीकरण बहुत हद तक जेडीयू के पक्ष में जाता है। पटेल, मौर्य, चौहान, राजभर और निषाद जैसी पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों के प्रमुख चेहरे भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़कर सपा से जा मिले हैं। ऐसे में अब JDU की रणनीति इन जातियों में से ही नए चेहरों को सामने लाकर पूर्वांचल में अपनी अलग पैठ बनाने की है।

नीतीश कुमार की पार्टी की नजर पूर्वांचल के उन प्रमुख राजनीतिक चेहरों पर भी है जिन्हें टिकट से वंचित होना पड़ रहा है। दावा किया जा रहा है कि भाजपा या सपा से टिकट की दावेदारी में पिछड़ने वाले कई दिग्गज भी संपर्क में हैं।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, JDU पूर्वांचल के 11 जिलों की 51 सीटों पर प्रत्याशियों का चयन कर चुकी है, प्रत्याशियों के आवेदन भी जमा करा लिए गए हैं और इनकी सूची केंद्रीय कमेटी को भी सौंप दी गई है। इसमें वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, बहराइच, लखनऊ, कानपुर जिले के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र के संभावित प्रत्याशी के नाम हैं।  

‘हम नाराज़ नहीं निराश हैं’

इससे पहले जेडीयू के यूपी प्रभारी केसी त्यागी ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि जेडीयू नाराज़ नहीं बल्कि निराश होकर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है। इतना ही नहीं केसी त्यागी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही उन्नाव रेप पीड़िता की मां का समर्थन भी किया था, उन्होंने कहा कि वे नारी अस्मिता की लड़ाई लड़ रही हैं, उनको आगे बढ़ाना चाहिए और उनका निर्विरोध चुनाव करना चाहिए। अब केसी त्यागी कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में बोलकर क्या संदेश देना चाह रहे थे, ये तो आने वाला वक्त तय कर देगा। लेकिन बिहार में शराबबंदी को लेकर जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग राहें पकड़ी हैं, उसका असर यूपी में भी देखने को मिल जाए तो कोई बड़ी बात नहीं।

‘स्पेशल इकोनॉमिक राज्य घोषित हो पूर्वांचल’

इसके अलावा केसी त्यागी ने दो ऐसे मुद्दे भी छुए जिनको लेकर भारतीय जनता पार्टी अक्सर कटघरे में रहती हैं। त्यागी ने पूर्वांचल को स्पेशल इकोनॉमिक राज्य घोषित किए जाने की बात कही, उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में वाराणसी के सौंदर्यीकरण को छोड़ कर पूर्वांचल के दूसरे जिलों में कोई काम नहीं हुआ है, केसी त्यागी ने मांग की है कि पूर्वांचल को स्पेशल इकोनॉमिक राज्य घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हमारी पहली मांग है कि एमएसपी पर क़ानूनी गारंटी दी जाए। यह किसानों के लिए वरदान साबित होगा। केसी त्यागी ने जातीय जनगणना की मांग को भी को भी उठाया।

यूपी की 160 सीटों पर VIP की नज़र

बिहार सरकार के गठबंधन में शामिल एक और महत्वपूर्ण विकासशील इंसान पार्टी यानी VIP यूपी की 160 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी के प्रमुख व बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री मुकेश साहनी ने पूर्वांचल के कई जिलों में भी प्रत्याशी तय कर लिए हैं। इनकी नजर निषाद और उनकी अन्य उपजातियों पर है। इनका प्रभाव यूपी की 144 से ज्यादा विधानसभा की सीटों पर है। VIP की ओर से पहले 24 उम्मीदवारों की सूची भी जारी की जा चुकी है।

वैसे तो उत्तर प्रदेश की सियासत में बिहार के राजनीतिक दलों की पकड़ बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन पूर्वांचल, बिहार के बेहद करीब होने के कारण वहां की जनता बिहार की राजनीति से खूब परिचित है, यही कारण है कि बिहार के नेताओं का जनसंपर्क भी अक्सर पूर्वांचल से बना ही रहा है, और अब इस जनसंपर्क के जरिए अपनी ज़मीन तलाशने की कोशिश चल रही है, जिसके लिए जेडीयू और वीआईपी जैसी पार्टियां पहले ही एंट्री ले चुकी हैं।

100 सीटों पर प्रत्याशी उतार सकते हैं चिराग

नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हाशिये पर जा चुके चिराग पासवान भी यूपी के इस सियासी टूर्नामेंट में अपनी टीम उतारना चाहते हैं। लोकजनशक्ति पार्टी(रामविलास) यूपी चुनावों में 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है।

ग़ौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें सिर्फ एक प्रत्याशी को जीत मिली थी, बाद में वह भी जेडीयू में ही शामिल हो गया था, वहीं उनके चाचा पशुपति पारस ने पार्टी के पांच सांसदों को साथ लेकर बगावत कर दी और ख़ुद केंद्र में मंत्री बन गए। इसके बाद चिराग पासवान अपनी ही पार्टी में अकेले रह गए थे। इसके बाद बिहार विधानसभा उपचुनाव के दौरान, चुनाव आयोग ने चिराग पासवान गुट को लोकजनशक्ति पार्टी(रामविलास) नाम दिया था।

उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव हर दिन बेहद दिलचस्प होता जा रहा है, और फिर, अब तो बिहार के राजनीतिक दिग्गज भी पड़ोसी राज्य में डेरा जमा चुके हैं, साथ ही साथ बिहार के सारे इंजन भी खुलकर एक ही पटरी पर आ चुके हैं, ऐसे में भिड़ंत होना तो तय समझिए। लेकिन इस भिड़ंत का असर बिहार में भी देखने को मिलेगा या नहीं, ये कहना ज़रा जल्दबाजी होगी।
 

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