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यूपी: गन्‍ने का 4000 करोड़ बकाया किसानों का विरोध प्रदर्शन

राज्य सरकार ने अभी तक इस सीजन के लिए गन्ने का राज्य सलाहकार मूल्य घोषित नहीं किया है।
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प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर साभार: Flickr

लखनऊ: पिछले पेराई सत्र (2022-23) के लगभग 4,000 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान की मांग को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों गन्ना किसान पिछले सात दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विशेष रूप से, कई किसान और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के कार्यकर्ता पिछले दो महीनों से बुढ़ाना और मुजफ्फरनगर के भैसाना क्षेत्र में बजाज चीनी मिल (बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड) के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व 20 सदस्यीय समिति कर रही है जिसमें ज्यादातर बीकेयू (टिकैत) से जुड़े किसान हैं। हालांकि, बीकेयू (चारुनी), बीकेयू (अंबावत) और गन्ना संघर्ष समिति जैसे अन्य कृषि समूह भी प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन कर रहे हैं।

बीकेयू (टिकैत) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक बकाया भुगतान नहीं हो जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "सरकार लागत का भुगतान करने की बात करती है लेकिन अभी तक गन्ना मूल्य घोषित नहीं किया गया है। सीज़न शुरू होने से पहले गन्ना मूल्य घोषित करने की मांग की गई है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "कई गांवों में गन्ना सेंटरों को लेकर विवाद है। ऐसे में जिला प्रशासन को ग्रामीणों की मांग के अनुरूप गन्ना सेंटर बनाने पर काम करना चाहिए। जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसान यहां से जाने वाले नहीं हैं।"

किसानों ने कहा कि वे चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने का विरोध कर रहे हैं और आग्रह किया कि इसे आगामी पेराई सत्र में सभी चीनी मिलों को निर्देशित किया जाए। वे बकाया भुगतान की ब्याज सहित मांग कर रहे हैं।

बिजनोर के एक किसान नागेंद्र तोमर, जो किसी भी यूनियन से जुड़े नहीं हैं, ने न्यूज़क्लिक को बताया, “मिलों पर मेरा 7 लाख रुपये से अधिक का बकाया है। मिलों को पेराई शुरू हुए एक महीने से अधिक समय हो गया है लेकिन हमें अभी तक इस साल का भुगतान नहीं मिला है। हाल की बारिश ने मेरी गेहूं, आलू और गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाया है लेकिन सरकार से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है।'’

नया गन्ना पेराई सत्र (1 अक्टूबर, 2023- 30 सितंबर, 2024) शुरू हो चुका है लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों को अभी तक पिछले पेराई सत्र (2022-23) के गन्ने का पूरा भुगतान नहीं किया गया है। राज्य के गन्ना किसानों का एक दर्जन से अधिक चीनी मिलों पर करीब 4,000 करोड़ रुपये बकाया है। इनमें से कुछ मिलों ने दिसंबर 2022 तक ही भुगतान किया है।

इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने चालू सीजन के लिए गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) भी घोषित नहीं किया है जबकि इसकी घोषणा सीजन शुरू होने से पहले की जानी चाहिए। पिछले सीजन (2022-23) में गन्ने की पिछली किस्म का एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल था।

उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 29 सितंबर 2023 तक गन्ना किसानों को 33,826.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है जो कुल भुगतान का 88.90 फीसदी है। इस लिहाज से देखा जाए तो यूपी की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों की कुल देनदारी करीब 38,000 करोड़ रुपये है जबकि बकाया करीब 4,200 करोड़ रुपये है। शामली, ऊन (शामली), मलकपुर (बागपत), सिंभावली, मोदी शुगर मिल सहित एक दर्जन से अधिक मिलें हैं जिन पर किसानों का बकाया है।

शामली जिले के भैंसवाल गांव के गन्ना किसान सुमन सिंह का कहना है कि वह अपना गन्ना शामली चीनी मिल को बेचते हैं। वह सीमांत किसान हैं। सिंह का कहना है कि शामली मिल ने दिसंबर 2022 तक का ही भुगतान किया है जबकि अब नया पेराई सत्र शुरू हो चुका है। इतने लंबे समय तक भुगतान न होने के कारण उन्हें काफी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सिंह का कहना है कि पिछली फसल का कर्ज नहीं चुका पाए हैं जबकि मौजूदा फसल कटने के लिए तैयार है। शामली जिले के हजारों किसानों की दुर्दशा ऐसी ही है।

यूनियन के स्थानीय प्रतिनिधि, सुभाष चौधरी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि बीकेयू सदस्य अतीत में सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि के लिए उच्च मुआवजा हासिल करने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ग्रेटर नोएडा में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के जीरो पॉइंट पर आयोजित किसान-मज़दूर 'महापंचायत' में अपनी भागीदारी की तस्वीरें साझा करते हुए, टिकैत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "गौतम बुद्ध नगर के जीरो पॉइंट पर आयोजित किसान-मजदूर 'महापंचायत' में भाग लिया और सभा को संबोधित किया।”

उन्होंने कहा, "सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज करके किसानों की आवाज नहीं दबा सकती। देश के किसानों के लिए हमारा संघर्ष आखिरी सांस तक जारी रहेगा।"

अंग्रेजी में प्रकाशित इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

UP: Farmers Protest in West UP, Demand Around Rs 4,000 Cr Sugarcane Dues

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