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यूपीः कानपुर के कुछ स्‍कूलों में 6 महीने से अपनी जेब से एमडीएम पर ख़र्च कर रहे शिक्षक

सरकारी स्‍कूलों में दोपहर के भोजन का बच्‍चों को इंतज़ार रहता है लेकिन कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक पिछले छह महीनों से जेब से मिड डे मील खिला रहे हैं। अब प्रधान भी साथ नहीं दे रहे हैं।
mid day meal
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : सबरंग

योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक छह महीने से अपनी जेब से बच्चों को एमडीएम का खाना खिला रहे हैं। यही हाल उन एजेंसियों का भी है जिनकी ज़िम्मेदारी एमडीएम परोसना है। छह महीने से फल के लिए भी धनराशि नहीं दी गई है। शिक्षकों ने खंड शिक्षा अधिकारियों से कह दिया है कि इन परिस्थितियों में वे एमडीएम खिलाने में अत्याधिक परेशानियों का सामना करने को मजबूर हैं। अब प्रधान भी साथ नहीं दे रहे हैं।

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों को सात महीने से कन्वर्जन कॉस्ट और रसोइयों को मानदेय नहीं मिलने का मामला गरमाया तो 2.18 करोड़ की राशि मिल पाई। अहम बात है कि मध्याह्न भोजन प्राधिकरण से बीएसए कार्यालय ने 28 करोड़ रुपये की मांग की थी लेकिन मिला ऊंट के मुंह में ज़ीरा। कन्वर्जन कॉस्ट के 1.44 करोड़ और रसोइयों का एक माह का मानदेय 74 लाख 66 हजार रुपये ही मिल सके।

बीएसए ने एमडीएम प्राधिकरण को पत्र भेजकर सत्र 2022-23 के प्रथम और द्वितीय त्रैमास के लिए परिवर्तन लागत, रसोइया मानदेय और फल वितरण की धनराशि मांगी थी। परिवर्तन लागत के रूप में 2144.71 लाख और रसोइया के मानदेय के रूप में 753.14 लाख (कुल 28 करोड़ 97 लाख 85 हजार रुपये) बकाया की डिमांड की गई थी। दोनों मदों में कुल दो करोड़ 18 लाख 66 हजार रुपये ही मिल सके हैं। शहर में 3733 रसोइये हैं।

फल के मद में शहर को एक रुपया नहीं दिया गया है। पिछले छह माह से शिक्षक अपनी जेब से बच्चों को फल खिला रहे हैं। प्रति बच्चा इस मद में चार रुपया प्रति छात्र दिया जाता है। महीने में पांच बार फल बांटे जाते हैं।

क्यों नहीं मिल पा रहा बजट

विभागीय सूत्रों के अनुसार एमडीएम की योजना केंद्र और राज्य के सहयोग से चलती है। केंद्र से एमडीएम के बजट में मिलने वाली धनराशि न आने से राज्य को ही अपने स्तर से धन देना पड़ रहा है।

कानपुर बीएसए के अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने हिंदुस्तान से कहा कि,एमडीएम की परिवर्तन कॉस्ट की जो भी डिमांड थी उसे प्राधिकरण को भेज दिया गया है। अब धनराशि आनी शुरू हुई है। एक माह की कन्वर्जन कॉस्ट और एक माह का रसोइयों का मानदेय आ गया है। इसे स्कूलों को दिया जा रहा है। बाक़ी जल्द ही आने की संभावना है।

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