Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

यूपी विधानसभा: विधायकों के लिए नई नियमावली तैयार, मुहर का इंतज़ार

विधायकों के लिए नई नियमावली लाने के मामले में यूपी विधानसभा पहला स्थान हासिल कर लेगी, लेकिन नए नियमों को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है।
UP Legislative Assembly
फ़ोटो : PTI

उत्तर प्रदेश विधानसभा का मौजूदा सत्र बेहद खास रहा है, क्योंकि इस सत्र में 1958 में बनाई गईं सदन की नियमावली में बड़े बदलाव किए गए हैं। हालांकि इन बदलावों में विधायकों के लिए सहूलियत कम और सरकारी ताने-बाने में बुनी एक राजनीतिक चाल ज़्यादा लग रही है। यही कारण है कि विपक्ष के नेता और समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी इस पर ट्वीट कर तंज कसा है।

अखिलेश यादव ने कहा कि ‘‘लगता है यूपी विधानसभा में प्रतिबंध के लिए अब और कुछ नियम आयेंगे: – टमाटर खाकर आना मना- सांड पर बात नहीं- जनहित व सौहार्द के मुद्दे उठाना मना- स्मार्ट सिटी पर सवाल नहीं – बेरोज़गारी व महंगाई शब्द का प्रयोग मना- जातीय जनगणना की मामग और- पीडीए पर सांकेतिक भाषा में भी बात करना मना!”

दरअसल अखिलेश यादव के इस ट्वीट के पीछे नए नियमों का ज़खीरा है, जिसमें हंसने तक नियम बना दिए गए हैं।

नई नियमावली कहती है कि विधायक अब सदन में बैनर, पोस्टर और प्लेकार्ड नहीं ले जा सकेंगे। वे न तो हंगामा करने के लिए अध्यक्ष के आसन के पास जा पाएंगे और न ही कोई कागज फाड़कर विरोध जता पाएंगे। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि विपक्षी पार्टियों के विधायक इसी माध्यम से सदन में अपना विरोध जाहिर करते हैं।

नए नियम के तहत विधायकों को सदन में अपने बैठने के स्थान पर मोबाइल ले जाने पर रोक होगी, वे किसी भी तरह का कोई हथियार नहीं ले जा सकेंगे, विधायक विरोध करने या कोई बात कहने के लिए अध्यक्ष के आसन के पास नहीं जा सकेंगे, इसके अलावा विधायक अध्यक्ष के आसन की ओर पीठ करके न बैठ सकेंगे, न खड़े हो सकेंगे।

इस नियमावली के लिए विधायकों से 8 अगस्त को संशोधन प्रस्ताव मांगे गए थे, इसके बाद 9 अगस्त को चर्चा में इन प्रस्तावों को रखा गया। हालांकि अभी इस नई नियमावली पर मुहर नहीं लगी है।

इस नई नियमावली पर चर्चा के दौरान ये कहा गया कि अध्यक्ष की अनुमति से सदस्य प्रश्नाचीन विषयों संबंधी तथ्यों पर स्पष्टीकरण के लिए दो अनुपूरक प्रश्न पूछ सकेंगे। वहीं विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक लाल जी वर्मा ने सुझाव दिया कि दो अनुपूरक प्रश्नों के स्थान पर इसे तीन प्रश्न कर दिया जाए।

नयी नियमावली में कहा गया है कि निराधार शिकायत- ऐसी अवस्था में जब सदन को यह पता चले कि विशेषाधिकार भंग अथवा अवमानना का आरोप निराधार है, तो वह आदेश दे सकेगा कि शिकायत करने वाला, उस पक्ष को जिसके विरूद्ध शिकायत की गयी हो, खर्च के रूप में अधिकतम 50 हजार रुपये की धनराशि दे।

इस पर समाजवादी पार्टी के वर्मा ने सुझाव दिया कि धनराशि को 50 हजार रुपये के स्थान पर पांच हजार रुपये कर दिया जाए।

इस नियमावली के मुताबिक सदस्यों को कार्यवाही से संबंधित कोई भी साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तक या प्रेस टिप्पणियां अंदर ले जाने या पर्चियां वितरित करने की अनुमति नहीं होगी, विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से विधायकों को हर दिन के काम की सूची ऑनलाइन या ऑफलाइन उपलब्ध करानी होगी।

इस नई नियमावली में विधायकों के आचरण और सदन में व्यवहार को नियंत्रित करने के अलावा विधायकों को अधिकार भी दिए गए हैं, इसमें सबसे बड़ा प्रावधान ई-विधानसभा का होगा। विधानसभा में ई-विधान को पहले ही लागू किया गया है जिसके तहत सदन में टैब्लेट इंस्टॉल कर विधायकों से पेपरलेस काम और विधान सभा की कार्यवाही को डिजिटाइज्ड करने की पहल की गयी थी।

इस नई नियमावली में सबसे महत्वपूर्ण नियमावली तो उन विधायकों के लिए है, जो विधानसभा आने से कतराते हैं, यानी अब विधायक घर में, अपने दफ्तर में या कार में बैठकर भी सदन की कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे यानी कार्यवाही को ऑनलाइन किया जाएगा। विधायकों को सत्र की जानकारी भी ई-मेल या फोन से दी जा सकेगी। कार्यवाही में वर्चुअली शामिल होने का अधिकार विधायकों को देने वाली यूपी विधानसभा देश की पहली विधानसभा होगी। माना जा रहा है कि अगला सत्र नए नियमों के तहत संचालित किया जाएगा।

सदन के संचालन में भी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं, जैसे विषय में बदलाव के प्रावधान भी किए गए हैं, अभी सत्र बुलाने के लिए 15 दिन के नोटिस की व्यवस्था है लेकिन अब यह समय 7 दिन का होगा।

नयी नियमावली 1958 में बनी मौजूदा नियमावली की जगह लेगी। पिछले साल शीतकालीन सत्र के दौरान 6 दिसंबर को विधायक अतुल प्रधान ने सदन से सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया था, जिसके बाद इस बात को लेकर न सिर्फ विधानसभा अध्यक्ष ने आपत्ति की थी, बल्कि उनको सदन से बाहर जाने के लिए कहा गया था।

इस नई नियमावली पर चर्चा के बाद स्पीकर सतीश महाना ने इस पर विचार करने के लिए कहा है, और इस पर इसी सत्र में मुहर लगाए जाने की बात भी कही है। अगर ऐसा होता है कि तो उत्तर प्रदेश इतने बड़े स्तर पर नई नियमावली स्थापित करने वाला पहला राज्य हो जाएगा।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest