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यूपी: पुलिस इंस्पेक्टर पर दुष्कर्म का आरोप, कैसे कायम रहेगा पुलिस पर लोगों का भरोसा?

कभी पुलिस पीड़ित को प्रताड़ित करती नज़र आती है तो कभी पुलिस खुद ही शोषण के आरोप में घिर जाती है। विपक्ष के निशाने पर सरकार आंकड़ों के जरिए एक अलग तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रही है।
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देश में अपराधों का लेखा जोखा रखने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने 'क्राइम इन इंडिया 2021' की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को महिला अपराधों के मामले में अव्वल पर रखा है। इसे लेकर सरकार और विपक्ष के दावे अलग-अलग है लेकिन सच्चाई आपको हर दिन अखबार की सुर्खियों में मिल जाएगी। प्रदेश में एक के बाद एक दुष्कर्म और उस पर पुलिस प्रशासन पर प्रताड़ना के लगते गंभीर आरोपों के बीच पुलिस पर लोगों का भरोसा डगमगा गया है। हाल ही में सामने आई कन्नौज की घटना ने लोगों को सवाल पूछने पर मज़बूर कर दिया है कि क्या ये पुलिस वाकई जनता की रक्षक है?

बता दें कि कन्नौज जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में अपनी बेटी के लिए इंसाफ की गुहार लगा रही एक महिला के साथ दरिंदगी ने सबको झकझोर दिया है। रेप पीड़िता बेटी के लिए इंसाफ मांगने आई एक महिला से हाजी शरीफ पुलिस चौकी इंचार्ज ने कथित तौर पर बलात्कार किया है। फिलहाल, इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी चौकी इंजार्च को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। लेकिन सवाल अभी भी बरकरार है कि आखिर ये सब कब तक चलेगा। कभी पुलिस पीड़ित को प्रताड़ित करती नजर आती है तो कभी पुलिस खुद ही शोषण के आरोप में घिर जाती है। विपक्ष इसे लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है, लेकिन सरकार इस मामले पर ध्यान देने के बजाय अपने आंकड़ों के जरिए एक अलग तस्वीर पेश करने की कोशिश कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मामला सदर कोतवाली की हाजी शरीफ चौकी का है। यहां तैनात निरीक्षक अनूप मौर्या को क्षेत्र के एक गांव निवासी नाबालिग किशोरी से गैंगरेप मामले की जांच सौंपी गई थी। आरोप है कि इस मामले में चौकी इंचार्ज द्वारा फाइनल रिपोर्ट लगा कर आरोपियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे थे। पीड़िता की मां को इस मामले की भनक लगी तो वह चार दिन पहले हाजी शरीफ चौकी पहुंची, जहां तैनात निरीक्षक अनूप मौर्या ने आरोपियों पर कार्रवाई करने के लिए महिला को पुलिस लाइन स्थित अपने आवास पर आने के लिए बोला।

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार केस के सिलसिले में महिला जब चौकी इंचार्ज के सरकारी आवास पर गई, तो वहां चौकी इंचार्ज ने महिला के सामने शराब पी। शराब पीने के बाद आरोपी चौकी इंचार्ज ने महिला से रेप करने का प्रयास किया। महिला चौकी इंचार्ज के चंगुल से छूटकर थाने पहुंची। थाना प्रभारी से पूरा घटनाक्रम बताया। थाना प्रभारी ने पूरा मामले की जानकारी एसपी को दी। एसपी ने आरोपी चौकी इंचार्ज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दे दिए। जिसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण करवा कर जिला जेल भेज दिया गया।

ज्ञात हो कि अभी हाल ही में संभल में एक रेप पीड़िता ने कथित तौर पर पुलिस के उदासीन रवैये के चलते आत्महत्या कर ली थी। परिवार का कहना था कि वो आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से परेशान थी। वो पुलिस के सर्कल ऑफिसर से लेकर डीआईजी तक सबसे गुहार लगा चुकी थी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ ऐक्शन नहीं लिया जा रहा था। इससे पहले 25 अगस्त को ही प्रयागराज के यमुनापार इलाके में एक नाबालिग लड़की का कथित तौर पर गैंगरेप होने की खबर सामने आई थी। जिसके बाद परिवारवालों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने इस मामले में हादसे का मुकदमा लिख केस को रफा दफा करने की कोशिश की है। वहीं इसी हफ्ते सामने आए जालौन बलातकार मामले में भी पीड़िता के पिता का आरोप था कि घटना पर तुरंत कोई एक्शन लेने की बजाय पुलिस ने उन पर समझौता करने का दबाव बनाया। घटना के एक दिन बाद तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

यूपी पुलिस की गिरती साख और अपराध का बढ़ता ग्राफ़

गौरतलब है कि आम लोगों की रक्षा का दायित्व संभालने वाली प्रदेश पुलिस यहां अक्सर अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती है। कभी गाड़ी पलटने के बाद एनकाउंटर हो, या पीड़ित को और प्रताड़ित करने का मामला। कभी पिस्तौल की जगह मुंह से ठांय-ठांय बोलकर हीरो बनते दारोगा हों या फिर कथित लव जिहाद के केस में सुपर एक्टिव अंदाज़ में प्रेमी जोड़ों को पकड़ कर केस करना हो, इन सब मामलों में यूपी पुलिस ‘सदैव तत्पर’ रहती है। अपराध, विवाद में कानून का सही ढ़ंग से पालन हो रहा है या नहीं इससे यूपी पुलिस को शायद कोई फर्क नहीं पड़ता। तभी तो इलाहाबाद हाईकोर्ट की कई बार फटकार के बाद दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से भी यूपी पुलिस को तगड़ी झाड़ लग चुकी है बावजूद इसके पुलिस के काम करने के तरीके में कोई बदलाव नज़र नहीं आता।

‘सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा' मोटो के साथ इनदिनों यूपी पुलिस आम लोगों की छोड़िए कानून की रक्षा भी नहीं कर पा रही। आए दिन इसकी साख गिरती ही जा रही है और यूपी पुलिस खुद अपनी छवि रोज बद से बदतर करवाती जा रही है। उन्नाव के माखी कांड से लेकर हाथरस तक बार-बार पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ चुके हैं। कई बार तो पीड़ित महिलाओं ने पुलिस की अनदेखी से परेशान होकर पुलिस चौकी, विधानसभा और सीएम आवास के सामने तक खुद को आग के हवाले करने की कोशिश की है।

वैसे अपराध की बात करें तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आांंकड़ों में साल 2021 में महिलाओं के ख़िलाफ़ सबसे ज़्यादा क्राइम उत्तर प्रदेश में हुए हैं। यहां महिला अपराध के कुल 56,083 मामले दर्ज हुए हैं, जो साल 2020 में 49,385 थे। बलात्कार के मामले में भी उत्तर प्रदेश पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं।

उधर, एनसीआरबी का डेटा सामने आने के बाद विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक ट्वीट में बीजेपी को सबसे झूठी पार्टी करार दिया है।

अखिलेश यादव ने लिखा है, “भाजपा से झूठी पार्टी कोई नहीं है। अगर कैबिनेट स्तर पर यह बात झूठ बोली जाए तो इसका मतलब अखबार झूठे हैं जो आज हम लोगों ने पढ़े. आज अखबार में जो छपा है वो यही छपा है कि पूरे देश में सबसे ज्यादा महिलाओं के खिलाफ अपराध अगर कहीं बढ़े हैं तो वह उत्तर प्रदेश है।"

अखिलेश यादव ने हिरासत में मौत का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें यूपी में हुई हैं। महिला अगर शिकायत लेकर थाने जाती है तो उसका सुरक्षित लौटना मुश्किल हो गया है। इसके बाद भी भाजपा सरकार सब दुरुस्त होने का दावा कर रही है।

जाहिर है सरकार एनसीआरबी के डेटा को जैसे भी भुनाने की कोशिस करे लेकिन इस सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ा है। साथ ही किडनैपिंग और बच्चों के साथ भी अपराध बढ़ा है। प्रदेश में हर दिन 153 महिलाएं छेड़खानी, रेप और पिटाई का सामना करती हैं। तो वहीं हर दिन 10 से अधिक हत्याएं हुई हैं। ये महज़ आंकड़े नहीं प्रदेश सरकार के शासन की कड़वी सच्चाई है।

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