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यूपीः धान ख़रीद को लेकर किसानों से घमासान के बाद हड़ताल पर गए क्रय केंद्र प्रभारी

चंदौली इलाक़े में धान ही इकोनॉमी का केंद्रबिंदु भी है। सरप्लस उपज के बावजूद इस पूरे इलाक़े में सरकार वैसी ख़रीद नहीं कर पा रही और न ही किसानों को एमएसपी का लाभ मिल पा रहा है।
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चंदौली में जाम लगा रहे किसान

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में धान की खरीद को लेकर किसानों और केंद्र प्रभारियों में घमासान छिड़ गया है। 29 दिसंबर को चंदौली के नवीन मंडी में केंद्र प्रभारी और किसानों के बीच तीखी झड़प हुई, जिसके बाद प्रदेश भर में धान की खरीद ठप कर दी गई। इस मामले ने इस कदर तूल पकड़ा कि आक्रोशित किसानों ने नेशनल हाईवे को जाम कर दिया। चक्काजाम के चलते यूपी और बिहार को जोड़ने वाली जीटी रोड के दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि कई घंटे तक नेशलन हाईवे पर आवागमन पूरी तरह ठप रहा। धान की खरीद न होने से नाराज चंदौली के किसानों ने 30 दिसंबर को जिले के सभी क्रय केंद्रों पर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। चंदौली में एसडीएम (सदर) अविनाश कुमार और सीओ अनिल राय ने किसानों को समझाकर उनके गुस्से को शांत कराया।

धान की खरीद न होने से धरने पर बैठे किसान

चंदौली के नवीन मंडी में केंद्र प्रभारी से झड़प के मामले में कोतवाली थाना पुलिस ने दो किसानों के खिलाफ संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर इस मामले को और हवा दे दी है। जिन किसानों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है, वो पेशे से अधिवक्ता हैं। आशंका जताई जा रही है कि अगर विवाद का उचित हल नहीं ढूंढा गया तो किसान आंदोलन के साथ समूचे यूपी में अधिवक्ताओं की नाराजगी बढ़ सकती है। चंदौली के जाने-माने अधिवक्ता अमित कुमार सिंह ने "न्यूजक्लिक" से कहा, "किसानों की आंखों के सामने धान भीगता रहा और वो आंसू बहाते रहे। अन्नदाता के खिलाफ फर्जी एफआईआर के मुद्दे पर चंदौली के वकील भी हड़ताल पर हैं। कुछ दिनों में यह हड़ताल समूचे यूपी भर में फैल जाएगी। चंदौली प्रशासन ने जान-बूझकर बितंडा खड़ा कराया है। सिर्फ दो वकीलों को निशाना बनाकर एफआईआर कराई गई, जबकि आंदोलन-प्रदर्शन में सैकड़ों किसान शामिल थे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि घटना के चौबीस घंटे बाद रपट क्यों दर्ज की गई?"

इकोनॉमी का केंद्रबिंदु है धान

उत्तर प्रदेश का चंदौली वही जिला है जिसने ब्लैक राइस की बंपर पैदावार करके देश भर में सुर्खियां बटोरी थी। इस इलाके को धान के कटोरे का रुतबा हासिल है। चंदौली इलाके के किसी भी हिस्से में चावल मुख्य खाद्य पदार्थ है। यहां करीब 1.25 लाख हेक्टयर में लगभग 4 लाख टन धान का उत्पादन होता है। लाख प्रयास के बावजूद 50 हजार टन से ज्यादा धान की खरीद सरकारी कांटे पर नहीं हो पाती है। चंदौली जिले में अधिसंख्य किसान नाटी मंसूरी (एमटीयू 7029) की खेती करते हैं। उनकी परेशानी की बड़ी वजह है नाटी मंसूरी की बंपर पैदावार, जिसे बेचने के लिए किसान मारे-मारे फिर रहे हैं। एमटीयू 7029 मोटे धान की ऐसी किस्म है जो बाढ़ भी झेल लेती है और सूखा भी।

चंदौली में धान की सरप्लस उपज के सवाल पर शहाबगंज इलाके के पत्रकार सद्दाम कहते हैं, "कर्मनाशा और चंद्रप्रभा नदी के जलग्रहण वाले इस पठारी इलाक़े की मुख्य उपज धान है। इस इलाक़े में धान वाक़ई सरप्लस में होता है। यहां की मिट्टी और आबोहवा भी इसकी उपज के लिहाज़ से काफी मुफ़ीद है। चंदौली इलाक़े में धान ही इकोनॉमी का केंद्रबिंदु भी है। सरप्लस उपज के बावजूद इस पूरे इलाक़े में सरकार वैसी ख़रीद नहीं कर पा रही और न ही किसानों को एमएसपी का लाभ मिल पा रहा है। हरियाणा और पंजाब की तरह चंदौली के किसान धान सिर्फ़ बेचने के लिए ही नहीं, खाने के लिए भी पैदा करते हैं। इस बार भी यहां धान की बंपर पैदावार हुई है, जिसके चलते किसान औने-पौने दाम पर सरप्लस धान बेचने के लिए मजबूर हैं। क्रय केंद्रों पर सही ढंग से धान की खरीद न होने के कारण अचानक हुई बारिश से हजारों किसानों की फसल खलिहानों में भीग गई है।

चंदौली जिले में धान खरीदने के लिए सात एजेंसियों के 112 क्रय केंद्र खोले गए हैं, जिसमें विपणन शाखा के 34, पीसीफ के 19, पीसीयू के 37, नेफेड व यूपीएसएस के नौ-नौ, एफसीआई और मंडी समिति के दो-दो क्रय केंद्र हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 30 दिसंबर 2021 तक करीब 70 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। चंदोली के नवीन मंडी में कुल सात खरीद केंद्र हैं, जिनमें से एक केंद्र को 28 दिसंबर को अचानक बंद कर दिया गया, जिसके चलते बड़ी संख्या में किसानों के धान भीग गए। चंदौली में हर साल लगभग दो लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद होती है। योगी सरकार ने जब धान क्रय केंद्रों को चालू किया तब खरीद का कोटा 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। बाद में इसे घटाकर 60 क्विंटल कर दिया गया। सरकार पर दबाव बढ़ा तो इसे बढ़ाकर 75 क्विंटतल प्रति हेक्टेयर कर दिया गया।

किसानों से रोजाना हो रही किचकिच

चंदौली में वास्तविक धान की खरीद नहीं के बराबर हो रही है। इस मुद्दे को लेकर क्रय केंद्र प्रभारियों और किसानों के बीच रोजाना किचकिच हो रही है। चंदौली में किसानों से विवाद तब बढ़ा जब मौसम बदरंग होने से चिंतित किसान अपनी उपज लेकर चंदौली के नवीन कृषि मंडी पर पहुंचे। धान खरीदने में हीलाहवाली की जाने लगी तो दोनों पक्षों में विवाद बढ़ गया। यह वाक्या 29 दिसंबर 2021 का है। शासन ने 24 दिसंबर को गाइडलाइन जारी की थी कि सिर्फ ऑनलाइन टोकन के आधार पर ही धान की खरीद की जाएगी। किसानों ने जब ऑनलाइन टोकन निकाला तो उन्हें 29 और 30 दिसंबर को धान बेचने का स्लॉट आवंटित किया गया। लगातार दो दिनों तक हुई बूंदाबांदी के बाद शासन ने अचानक 28 व 29 दिसंबर को ऑनलाइन की बजाए, ऑफलाइन खरीदारी करने का निर्देश जारी कर दिया।

ऑनलाइन टोकन निकालने वाले किसान 29 दिसंबर 2021 को अपनी उपज लेकर मंडी में पहुंचे तो केंद्र प्रभारियों ने खरीदने से इनकार कर दिया। किसानों को दो टूक जवाब दे दिया गया कि ऑनलाइन टोकन पूरी तरह रद कर दिए गए हैं, जिससे किसान आक्रोशित हो गए। इसी बात पर चंदौली स्थित नवीन कृषि मंडी के धान क्रय केंद्र पर मौजूद प्रभारी प्रेम किशन और सहायक खाद्य विपणन अधिकारी (डिप्टी आरएमओ) अनूप श्रीवास्तव के साथ किसानों की काफी बहस हुई। बाद में धान खरीद में लगे अफसरों और कर्मचारियों ने इस मामले को इतना तूल दे दिया कि प्रदेश भर के क्रय केंद्र प्रभारी हड़ताल पर चले गए। इससे पहले उन्होंने क्रय केंद्रों पर ताला लगा दिया और धान खरीद का काम पूरी तरह ठप कर दिया, जिसके विरोध में 30 दिसंबर 2021 को किसानों का एक बड़ा जत्था हाईवे पर पहुंचा और जाम लगा दिया। लामबंद किसानों ने जिले के अन्य क्रय केंद्रों पर भी नारेबाजी और प्रदर्शन किया।

चदौली मैं नवीन कृषि मंडी के सामने मुश्तैद पुलिस

घटना के विरोध में क्षेत्रीय विपणन अधिकारी भूपेंद्र प्रताप ने चंदौली के डीएम समेत पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को एक चिट्ठी भेजी, जिसमें कहा गया था कि आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से कर्मचारियों में भय की स्थिति बनी हुई है। क्रय केंद्र प्रभारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल के दबाव में चंदौली थाना पुलिस ने हिनौती के संजय और पड़यां के पवन के खिलाफ 30 दिसंबर की शाम 4 बजे धारा 427, 323, 504, 506 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली।

किसानों से बार्ता करते पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी

शोषण व उत्पीड़न के शिकार हैं किसान

चंदौली किसान विकास मंच के अध्यक्ष राम अवध सिंह ने क्रय केंद्र प्रभारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा "जिले भर में धान उत्पादक किसान शोषण और उत्पीड़न के शिकार हैं। धान खरीद केंद्रों के प्रभारी बिचौलियों और मिल मालिकों के साथ मिले हुए हैं। किसानों को धान की उपज के साथ कई दिनों से लगातार दौड़ाया जा रहा है। कभी ऑनलाइन टोकन निरस्त होने का बहाना बनाया जाता है तो कभी ऑफलाइन धान खरीदने की बात कही जाती है। किसान सिर्फ दौड़ लगा रहे हैं और धान की खरीद लगभग ठप है।"

चंदौली स्थित नवीन मंडी परिसर के सामने जुटे किसानों ने न्यूजक्लिक से कहा, "धान खरीद को लेकर जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। मंडी परिसर में किसानों का हजारों क्विंटल धान बारिश के पानी में भीग गया है, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारा भीगा हुआ धान खरीदे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वो आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।"

चंदौली में खाद्य एवं विपणन विभाग के डिप्टी आरएमओ अनूप श्रीवास्तव का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें धान खरीद न होने पर वह किसानों को सरकार से सवाल पूछने की नसीहत देते और उन्हें फटकार लगाते नजर आ रहे हैं। एक अन्य वीडियो में किसान क्रय केंद्र प्रभारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए काफी आक्रोशित नजर आ रहे हैं। इसी वीडियो के आधार पर पुलिस ने दो किसानों के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला दर्ज किया है।

बिचौलियों की पौ बारह

पूर्वांचल में अचानक मौसम का मिजाज बिगड़ने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसका फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। वो गांवों में किसानों के खलिहानों पर पहुंचे रहे हैं और 1100 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रहे हैं। शादी-विवाह और साहूकारों का कर्ज चुकाने के लिए किसानों को औने-पौने दाम में उपज बेचने को विवश हैं। धान खरीद में धांधली को रोकने के लिए ई-पाश मशीन के जरिए धान खरीद की व्यवस्था है। चंदौली के शहाबगंज, सिकंदरपुर, बाघी, राममाड़ो आदि क्रय केंद्रों पर खराब नेटवर्क के चलते धान खरीद प्रभावित हो रही है। किसानों का आरोप है कि कई केंद्रों पर तो अभी तक ताले लगे हुए हैं। वहां चोरी-छिपे सिर्फ बिचौलियों का धान खरीदा जा रहा है।

धान खरीद न होने से चंदौली में रोज खड़ी हो रही है इस तरह की समस्या

चंदौली जिले में धान खरीद में धांधली नई बात नहीं है। सैयदराजा में उत्तर प्रदेश सहकारी समिति के ज़िला प्रभारी पंकज सिंह को जमुडा स्थित धान ख़रीद केंद्र पर गड़बड़ी पाए जाने पर वहां के प्रभारी कैलाश यादव के ख़िलाफ़ सैयदराजा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराना पड़ा। इससे पहले विधायक सुशील सिंह ने सोगाई धान क्रय केंद्र प्रभारी शुभम पांडेय के ख़िलाफ़ रपट दर्ज कराई थी।

खुरुहुजा के शिवाजी और धरौली के आशुतोष तिवारी और खींची के सोनू सिंह ने कहा, "चंदौली में धान की खरीद की व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। चंदौली के नवीन मंडी में नेफेड और यूपीएस के क्रय केंद्रों पर दो दिनों से ताला लगा है। बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज लेकर क्रय केंद्र प्रभारियों की बाट जोह रहे हैं। 30 दिसंबर 2021 की शाम तक कोई प्रभारी धान खरीदने नहीं पहुंचा था। सुचारू ढंग से धान की खरीद कराने के लिए नोडल अधिकारी बनाए गए एडीएम उमेश मिश्रा स्थिति को संभाल नहीं पा रहे हैं, जिसके चलते चंदौली में रोजाना बवाल और बवंडर हो रहा है।"

खुरुहुजा के किसान अनुज कुमार सिंह कहते हैं, "आठ दिसंबर को धान खरीदने के लिए उन्हें टोकन मिला था। धान बेचने पहुंचे तो पता चला कि यूपीएसएस का क्रय केंद्र पिछले 24 घंटों से बंद है। मौसम खराब होने के कारण चिंता बढ़ गई है। धान भीगने का डर सता रहा है। किसानों की मुश्किलों को लेकर अफसर तनिक भी गंभीर नहीं हैं। नेफेड एजेंसी के क्रय केंद्र पर न तो खरीद हो रही है और न ही लापरवाह कर्मचारियों पर अफसर कोई एक्शन ले रहे हैं।"

डीएम दफ्तर पर प्रदर्शन

सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों में स्थापित क्रय केद्रों को बंद करने और जमुड़ा में बने क्रय केंद्र को घोसवां में शिफ्ट करने से नाराज सपा के राष्ट्रीय सचिव व पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ट्रैक्टर पर धान लेकर खुद कलेक्ट्रेट पहुंच गए। मनोज सिंह के साथ बड़ी संख्या में किसान भी थे। नारेबाजी और प्रदर्शन के चलते अफसरों के हाथ-पांव फूल गए। जिलाधिकारी संजीव सिंह ने पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू व डिप्टी आरएमओ को बुलाकर बातचीत की। डब्लू ने डीएम से क्रय केंद्रों को बहाल करने की मांग उठाई और बताया कि ककरहीं, रनियां, सुढ़ना के क्रय केंद्र अकारण बंद कर दिए गए हैं। जिला प्रशासन ने क्रय केंद्रों को पुनः खोलने में असमर्थता जाहिर की और बंद क्रय केंद्र पर नंबर लगाने वाले किसानों की समस्या के समाधान के लिए चौबीस घंटे का वक्त मांगा।

सपा के पूर्व सांसद रामकिशुन ने कहा, "चंदौली के किसानों के साथ सत्तारूढ़ दल और प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है। जिले भर में धान की खरीद ठप है। समितियों पर खाद भी नदारद है। प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बावजूद धान खरीद की मुकम्मल व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की जा सकी है। क्रय केंद्र प्रभारी सिर्फ गिने-चुने किसानों का ही धान खरीद रहे हैं। एक-दो दिन के अंदर संकट दूर नहीं हुआ तो समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कलेक्ट्रेट पर आंदोलन शुरू कर देंगे।"

धान खरीद न होने से चिंतित किसान

मजदूर किसान मंच के राज्य कमेटी सदस्य अजय राय ने "न्यूजक्लिक" से कहा, "भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजयपाल सिंह तोमर 29 दिसंबर को चकिया में आयोजित किसान सम्मेलन में सरकार उपलब्धियां गिनाते रहे, दूसरी ओर जिले भर के किसान कड़ाके की ठंड में क्रय केंद्र पर धान बेचने के लिए छटपटाते रहे। ऑफलाइन और ऑनलाइन के खेल में उलझे किसान बेहाल हैं। अधिकारी हर रोज नए नियम लागू कर रहे हैं। चंदौली जिले में धान में नमी बताकर किसानों से हर एक क्विंटल पर पांच किलो ग्राम अतिरिक्त धान जबरिया हड़पा जा रहा है। सैदूपुर, ढोड़ापुर, मुड़हुआ, रेवा और शहाबगंज क्रय केंद्रों पर बड़ी संख्या में किसान अपनी उपज लेकर पहुंच रहे हैं। प्राइवेट केंद्रों पर भ्रष्टाचार ज्यादा है। कहीं बोरियां नहीं हैं तो कहीं, धान रखने के लिए जगह ही नहीं है।"

पूर्वांचल में पहले चावल मिल मालिकों ने हड़ताल की और अब केंद्र प्रभारी हड़ताल पर चले गए हैं। सरकारी कांटे पर धान की खरीद ठप होने की वजह से चंदौली के किसान एमएसपी से काफी कम दाम पर अपनी उपज बिचौलियों के हाथों बेचने पर मजबूर हैं। कोई क्रय केंद्र ऐसा नहीं है जहां इन दिनों ट्रैक्टर-ट्रॉली पर लदे धान के ढेर न दिख रहे हों। सरकारी धान क्रय केंद्रों से बैरंग लौटाए जाने की वजह से किसानों की सूनी आंखें पथराने लगी हैं। हालात इतना भयावह हो गया है कि खेत-खलिहानों में धान के ढेर की रखवाली कर रहे किसानों की आंखों के आंसू भी अब सूखने लगे हैं। भाजपा सरकार के भरोसे चंदौली जिले के हजारों किसान कई सालों से ब्लैक राइस लेकर बैठे हैं और वो उसका एक दाना भी बेच नहीं पा रहे हैं।

हर बोरी पर घूस में पांच किलो ग्राम धान

चकिया तिलौरी गांव के प्रगतिशील किसान चौधरी राजेंद्र सिंह कहते हैं, "किसानों से धान ख़रीदने में सबसे बड़ी बाधा नमी की होती है। सूखे हुए धान में भी क्रय केंद्र प्रभारी 17 प्रतिशत से ज्यादा नमी बता देते हैं और बहाना बनाने लगते हैं कि नमी वाले धान के चावल की क्वालिटी में ख़राबी आ जाती है। धान की गुणवत्ता खराब बताकर हर बोरी पर पांच किलो ग्राम धान मुफ्त में ले लिया जाता है। किसानों के शोषण की यह कहानी पूर्वांचल के सभी सरकारी धान क्रय केंद्रों पर है। हमारा गुनाह सिर्फ इतना है कि हम धान की खेती कर रहे हैं। सरकारी कांटे पर बंटाई लेकर खेती करने वालों का अनाज नहीं बिक रहा है। फसल का पंजीकरण कराने वाले गिने-चुने किसानों का धान ही सरकारी कांटे पर पहुंचता है। चंदौली में धान की ख़रीद लगभग बंद है। ऐसे में किसान अपनी उपज किसको दें? प्राइवेट में धान बेचना मजबूरी है, चाहे 1100 में बिके या फिर 1200 में। कुछ जगह तो 800-900 रुपये में धान बिक रहा है। क़ानून कहता है कि किसानों के उपज का भुगतान 14 दिन में अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए। 14 दिन में पेमेंट करवाने वाले कानून का अनुपालन आखिर कौन कराएगा?"

योगी सरकार ने शुरू में ऐलान किया था कि 100 क्विंटल से कम उत्पादन वाले किसानों को सत्यापन यानी अपना वेरीफिकेशन नहीं करवाना पड़ेगा। लेकिन अभी सत्यापन का आदेश काग़ज़ पर नहीं आया है। सत्यापन में यह देखा जाता है कि किसान ने अपने रकबे के हिसाब से कितना धान बोया है? चंदौली में मुख्य फसल धान की है। जब किसान अपना सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी करता है तो उसका सत्यापन एसडीएम और लेखपाल करते हैं।

बरहनी प्रखंड़ के सिकठा गांव के किसान रतन कुमार सिंह कहते हैं, "विपक्ष के शोरग़ुल और दबाव से भले ही क्रय केंद्र खुल गए हों लेकिन सरकारी कांटे पर कहीं भी ईमानदारी से धान की ख़रीद नहीं हो पा रही है। बंटाई पर खेती करने वाले किसानों को एमएसपी पर भुगतान तो दूर की कौड़ी है। ये चाहकर भी अपनी उपज सरकारी कांटे पर नहीं बेच पाते। लाचारी में इन्हें अपना धान बनिया अथवा बिचौलियों के हवाले करना पड़ता है। लिखा-पढ़ी न होने के कारण बिचौलिए कई बार किसानों का पैसा हड़प लेते हैं। कई मर्तबा किसानों को पैसे के लिए महीनों इंतज़ार करना पड़ता है।"

रतन कहते हैं, "इस पूरे इलाक़े या फिर कहें कि पूरे राज्य के भीतर धान ख़रीद में व्याप्त भ्रष्टाचार बड़ा मसला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आढ़तिए ट्रक लेकर आते हैं और फर्जी अभिलेखों के सहारे चंदौली का धान तस्करी करके अपने यहां ले जाते हैं। जिन इलाकों में धान की खेती कम होती है, वहां की उपज दिखाकर सरकारी काटें पर बेच देते हैं। हमारी सरकार से मांग है कि चंदौली में धान ख़रीद का कुल 50 फ़ीसद हिस्सा अनिवार्य रूप से खरीदा जाए। धान खरीद का कोटा खेती के रकबे के आधार पर तय होना चाहिए। किसानों को समतुल्य लाभ देने के लिए सरकार को मुकम्मल नीति बनानी चाहिए। यह तभी संभव है जब पीडीएफ प्रणाली में सिर्फ अपने राज्य का चावल-गेहूं वितरित करने की पुख्ता रणनीति बनाई जाएगी।"

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