यूपी: ‘प्रेम-प्रसंग’ के चलते यूपी के बस्ती में किशोर-उम्र के दलित जोड़े का मुंडन कर दिया गया, 15 गिरफ्तार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक झकझोर देने वाली घटना में एक किशोर दलित लड़के और लड़की को कुछ साथी ग्रामीणों द्वारा सार्वजनिक रूप से बेइज्जती की गई है। ग्रामीणों ने एक कथित ‘प्रेम-प्रसंग’ को लेकर उनके चेहरों पर कालिख पोत दी और उन्हें पूरे गाँव घुमाया। पुलिस के अनुसार, इस सिलसिले में करीब 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस ने बताया कि गाँव की भीड़ द्वारा युगल का मुंडन भी किया गया और उन्हें गले में जूतों की माला भी धारण करने के लिए मजबूर किया गया।
पुलिस के मुताबिक, यह भयानक घटना बुधवार को जिले के गौर पुलिस थाना क्षेत्र के तहत आने वाले सिंघी गाँव में हुई थी। कथित तौर पर कुछ ग्रामीणों द्वारा जोड़े को जूतों से पीटे जाने की भी सूचना है।
इस जोड़े पर किये गए अत्याचार की वजह किशोर वय होने के बावजूद एक-दूसरे से शादी करने के अपराध के लिए ग्राम पंचायत द्वारा मुकर्रर की गई “सजा” थी। एक ग्रामीण का दावा था कि गाँव में किसी ने भी पंचायत के फैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज नहीं की थी।
मंगलवार को जब इस घटना का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा तब जाकर स्थनीय पुलिस हरकत में आई और जिसके बाद 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
वीडियो का संज्ञान लेंते हुए, बस्ती के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने कहा है कि लड़के की माँ की शिकायत पर 15 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर ली गई है।
एसपी ने कहा कि “पुलिस अधिकारी मामले की जाँच कर रहे हैं और जो भी इस कृत्य में शामिल हैं उन्हें जल्द ही दंडित किया जायेगा।” इसके साथ ही उनका कहना था कि लड़का और लड़की दोनों एक ही बिरादरी से संबंध रखते हैं।
इस बीच, पुलिस का कहना है कि लड़के और लड़की के परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है और गाँव में किसी भी तरह के उपद्रव को रोकने के लिए पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया गया है।
कुछ ग्रामीणों के अनुसार, युगल एक ही बस्ती में रहते थे और कुछ समय से एक दूसरे के प्रेम में थे। वे शादी करना चाहते थे और उनके परिवार के सदस्यों को इस पर कोई एतराज भी नहीं था। लेकिन कुछ “असामाजिक तत्वों” को उनके इस रिश्ते पर एतराज था। जब लड़का लडकी से मिलने के लिए पहुंचा तो गाँव के एक ‘दबंग’ ने उन दोनों को पकड़ लिया और एक कमरे में बंद कर दिया। बाद में, युगल को टोका गया और उन्हें गाँव की पंचायत के सामने पेश किया गया, जिसने फैसला सुनाया कि उन्हें गाँव में घुमाया जाएगा और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जायेगा।
परिवार के एक सदस्य ने आरोप लगाया कि पंचायत द्वारा “जोड़े को सबक सिखाने के लिए” एक “खाप-जैसा” फरमान जारी किया गया क्योंकि वे “नाबालिग” होने के बावजूद रिश्ते में थे। परिवार के सदस्यों का कहना है कि जब यह घटना घटित हो रही थी तो उनके पास मूक दर्शक बने रहने के सिवाय कोई चारा नहीं था।
पिछले सितंबर में भी एक पुरुष और महिला को कथित प्रेम प्रसंग के नाम पर एक गाँव में जूतों की माला पहनने के लिए विवश किया गया था और गाँव भर में उनकी परेड कराई गई थी। यह घटना कुशीनगर जिले के हाटा पुलिस थाना क्षेत्र की है। तब उस सिलसिले में बारह लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
एक दलित मजदूर को पीट-पीटकर मार डाला गया है
दलितों के खिलाफ अत्याचार के एक अन्य मामले में कानपुर देहात के रूरा पुलिस थाने के अंतर्गत पड़ने वाले गहोबा गाँव में इस समुदाय के एक प्रवासी मजदूर की पिछले शनिवार की रात को ऊँची जाति के लोगों द्वारा पीट-पीटकर जान से मार देने की घटना प्रकाश में आई है। यह घटना उक्त मजदूर द्वारा चार लोगों के खिलाफ अपनी पत्नी के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ करने का आरोप दर्ज करने के बाद घटित हुआ है।
कानपुर देहात पुलिस का इस घटना पर कहना था कि एक पूर्व ग्राम प्रधान सहित तकरीबन एक दर्जन लोगों के समूह ने उक्त दलित व्यक्ति पर तब कथित रूप से लाठियों से हमला किया था, जब वह रात में अपने घर से बाहर निकला था। पुलिस के अनुसार, अस्पताल ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई।
गाँव में मौजूद सूत्रों के अनुसार, रूरा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले गहोबा गाँव के निवासी मृतक मुनेश का गाँव के कुछ “शक्तिशाली” लोगों से विवाद चल रहा था। उसके परिवार का आरोप है कि पिछले दो-तीन वर्षों से आरोपी ऊँची जाति के लोगों द्वारा उस पर और उसके समुदाय के खिलाफ जाति सूचक गालियाँ दी जा रही थीं। यहाँ तक कि उन्होंने कई बार मुनेश के साथ हाथापाई भी की थी।
मृतक के पिता ने बताया “पिछले कुछ वर्षों से, इसी गाँव के वासिंदे शक्तिशाली सवर्ण समुदाय के 10 से 13 लोगों के एक समूह द्वारा हमें प्रताड़ित किया जा रहा था और अक्सर गैर-जरुरी विवादों को खड़ा किया जाता था, जिसका मेरे बेटे ने विरोध किया था। हमने पुलिस में भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। मुनेश को इन ‘दबंगों’ के आगे नतमस्तक होने के लिए भी मजबूर किया गया था।” उनका कहना था कि यदि पुलिस ने सही समय पर कार्यवाई की होती तो उनका बेटा आज जिंदा होता। उनका आगे कहना था “अगर मेरे बेटे को उनके द्वारा पीटे जाने पर भी उचित इलाज मिल गया होता तो उसे बचाया जा सकता था।”
राज्य में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रहे उत्पीड़न के मामलों ने एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ सरकार के राज्य में कानून और व्यवस्था में सुधार के दावों पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
इस प्रकार के अत्याचारों के मामलों पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर सुशील गौतम ने कहा है कि जब दलितों पर अत्याचारों की बात आती है तो कोशिश इस बात की जाती है कि हिंसा की गंभीरता को धुंधला कर दिया जाए और आरोपियों को बचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाती है। उनका कहना था कि यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है कि संवैधानिक एवं विधायी सुरक्षा उपायों की मौजूदगी के बावजूद दलितों के खिलाफ अत्याचारों का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।
राज्य में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामलों ने एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ सरकार के राज्य में कानून और व्यवस्था में सुधार के दावों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड्स ब्यूरो द्वारा जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इन दोनों समुदायों के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले यूपी और मध्य प्रदेश में दर्ज किये गए हैं।
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UP: Teenage Dalit Couple Tonsured, Paraded in UP’s Basti for ‘Affair’, 15 Arrested
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