यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ रही महिला विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़, महिला संगठन लामबंद होकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। महिला अधिकारों के लिये सक्रिय रहने वाले संगठन मानते हैं कि महिला विरोधी हिंसा के लिये पुलिस का बढ़ता ग़ैर-ज़िम्मेदारना व अपराधी प्रवृत्ति वाला रवैया ज़िम्मेदार है।
महिला संगठनों का आरोप है कि थानों पर महिओं के मुक़दमे नहीं लिखे जा रहे हैं। पुलिस के पास शिकायत करने जाने वाली महिलाओं के साथ थानों में अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। पुलिस पर नागरिक समाज का आरोप है कि वह अपराधियों से अधिक, पीड़ित और उसके परिवार पर खामोश रहने के लिए दबाव बना रही है। “धमकाना , वसूली, झूठे मुकदमों में फंसा देने की धमकी जैसे अब आम बात हो गई है।”
पुलिस क्यों स्वयं अपराध में लिप्त है?
आक्रोशित महिला संगठन सवाल करते हैं कि “अपराध रोकने के लिए जवाबदेह पुलिस क्यों स्वयं अपराध में लिप्त है?” ललितपुर के पाली थाने के अंदर थानाध्यक्ष द्वारा पीड़िता के साथ हुए बलात्कार के जघन्य कृत्य के बारे में यह संगठन कहते हैं कि, इस कृत्य सारे समाज को विचलित कर दिया है । अब सवाल यह है कि पुलिस के अंदर यह आपराधिक प्रवृत्ति क्यों आ गई है?
चंदौली दबिश
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, महिला फेडरेशन, साझी दुनिया और अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति समेत कई संगठनों का कहना है कि चंदौली के सैयदराजा थाना क्षेत्र में भी पुलिस बर्बरता का एक मामला सामने आया। जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मनराजपुर के कन्हैया लाल के घर रात में दबिश डालती है।
वहां घर में रह रही दो बहनों की जबरदस्त पिटाई करती है। जिसके कारण एक लड़की की मौत हो जाती है, जिसे आत्महत्या बनाने की कोशिश होती है। दूसरी बहन घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती होती है।दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा बनता है किन्तु अभी इसकी सूचना नहीं है।
पुलिस की नाक के नीचे अपराध
आगरा के सिकंदरा थाना क्षेत्र के रुनक्ता कस्बे में “अंर्तधार्मिक विवाह” के मामले को सांप्रदायिक रंग देकर मुस्लिम युवक एवं उसके चाचा के घर को “हिन्दू संगठनों” द्वारा पहले लूटा जाता है और फिर आग के हवाले कर दिया जाता है।
महिला अधिकारों के लिए सक्रिय यह संगठन आरोप लगते हैं यह सब रुनक्ता पुलिस की नाक के नीचे होता है। पुलिस की जानकारी में 15 अप्रैल को पंचायत होती है और उसमें युवक के घर को जलाने का ऐलान होता है। किन्तु पुलिस एक्शन में नहीं आती है। घरों को लूटने व आग लगाने की खबर भी पड़ोसियों द्वारा सिकंदरा पुलिस को दी जाती है। लेकिन सब कुछ राख होने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची है।
“हिन्दू संगठनों” का खौफ इतना अधिक है कि नवयुवक भी सामने तक नहीं आ रहा है। उसके परिवार को को आज भी धमकियां मिल रही हैं। युवती मथुरा के नारी संरक्षण गृह में है। जबकि उसका मैजिस्ट्रेट के सामने बयान हो चुका है जिसमें वह मर्जी से विवाह की बात कबूल कर चुकी है । पुलिस नवयुवक के परिवार व नव-विवाहित जोड़े की सुरक्षा देना चाहिए है।
अयोध्या कांड
अयोध्या में 6 वर्षीय बच्ची के सामूहिक बलात्कार के मामले पर महिला संगठन कहते हैं कि इस मामले को दबा दिया गया है।धार्मिक स्थल के कारण मामले को रफा-दफा करने की साजिश की गई। बच्ची की गर्भाशय को निकाल देने की सूचना मिली है।
राजधानी लखनऊ का हाल
महिला संगठनों ने बताया कि राजधानी लखनऊ के थाना सआदतगंज में छेड़खानी की शिकायत लेकर पहुंची 22 वर्षीय युवती के साथ पुरुष पुलिस इंस्पेक्टर, उसकी मौसी को बाहर खड़ा कर, अकेले में अश्लील सवाल पूछता है। फिर उसके धर्म को लेकर आपत्ति जनक टिप्पणी करता है। लड़की को थाने पर बुलाने के लिए धमकाता है। यदि यही स्थिति रही तो कोई लड़की छेड़छाड़ की शिकायत करने नहीं जायेगी।
लखनऊ के ही गाजीपुर थाने में नाबालिग लड़की के अपहरण का मुकदमा उच्च अधिकारियों से शिकायत के बाद घटना के 7 दिन बाद दर्ज होता है।
एडीजी प्रशांत कुमार से शिकायत
इन मामलों में ग़ैर-ज़िम्मेदारना व अपराधी प्रवृत्ति वाला रवैये को लेकर महिला संगठनों की पदाधिकारियों ने प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार से मुलाक़ात की और एक शिकायत और मांग पत्र उनको सौपा है। जिसमे कहा गया है कि “आम जनता का भरोसा पुलिस से टूटता जा रहा है । ऐसा लगता है कि पुलिस रक्षक की जगह भक्षक हो गई है।”
भारतीय महिला फेडरेशन की अध्यक्ष आशा मिश्रा ने मांग करी है कि पुलिस के व्यवहार को संवेदनशील व कानून के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा ठोस कदम उठाए जाएं। इसके अलावा आम जनता की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई होना चाहिए है। न्यूज़क्लिक बात करते हुए उन्होंने कहा की कुछ मामलों में ऐसा लगता है कि पुलिस अपराधी को बचा रही है और पीड़ित को फंसा रही है। अगर पुलिस महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को लेकर गंभीर नहीं हुई तो एक बड़ा आन्दोलन किया जायेगा।
ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व अपराधी प्रवृत्ति
एडीजी प्रशांत कुमार के साथ मुलाक़ात के बाद ऐडवा की मधु गर्ग ने बताया की कई महिला संगठनों ने एक साथ अपनी मांगे और शिकायते वरिष्ठ पुलिस के अधिकारीयों के सामने राखी हैं। मधु गर्ग ने बताया कि उनकी मांग है झूठे मुकदमों मुकदमों में फंसाने की धमकी देने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया जाये।
सीसीटीवी कैमरे के दायरे में हो पूछताछ
इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे के दायरे में महिला या पीड़ित बच्ची से महिला पुलिस का पूछताछ करना सुनिश्चित किया जाए। यदि पीड़िता थाने में बयान न देना चाहती हो तो उसके घर पर ही बयान लिए जायें।ऐडवा की नेता अगर पीडिता थाने नहीं देना चाहती है तो घर पर ही उसका बयान दर्ज किया जाये। मधु गर्ग कहती हैं कि अगर महिला संगठनों की मांगों और शिकायतों को गंभीरता से नहीं सुना गया तो सभी महिला संगठन लामबंद होकर प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगे।
न्यूज़क्लिक ने ऐपवा की मीना सिंह से भी संपर्क किया, उन्होंने कहा की महिलाओं में पुलिस के विरुद्ध रोष है। अगर पुलिस का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना व अपराधी प्रवृत्ति वाला रवैया नहीं बदला तो यह यह रोष आन्दोलन में भी बदल सकता है।
समयबद्ध सीमा में चार्जशीट दाख़िल हो
मीना सिंह ने महिला संगठनों की मांग पर बात करते हुए कहा कि, पीड़ित महिला की शिकायत पर मामला न दर्ज करने वाली पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।पुलिस अपने कर्तव्य का पालन करते हुए, समयबद्ध सीमा में चार्जशीट दाखिल कर पीड़ितों को इंसाफ दिलाना सुनिश्चित करे। इसके अलावा पुलिस "जाति" और "धर्म" के चश्मे से अपराध की पड़ताल न करे।
पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने और आला अधिकारियों से मिलकर उनकी शिकायत करने वालों में तंज़ीन फ़ातिमा-साझी दुनिया, ऋचा-हमसफ़र और सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन- अरुंधती शुरू भी शामिल थीं।
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