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यूपी: सीतापुर, लखीमपुर के किसानों की तत्काल गन्ना बकाया भुगतान की मांग, 15 जुलाई को बड़े आंदोलन की चेतावनी

किसानों ने कहा कि गन्ना पेराई का मौसम इस महीने की शुरुआत में समाप्त हो गया लेकिन 15 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान अभी भी लंबित है।
UP Farmers
Image Courtesy: NDTV

लखनऊ: गन्ना भुगतान में देरी से नाराज किसानों ने गत शुक्रवार को सीतापुर जिले में महमूदाबाद सहकारी चीनी मिल के खिलाफ प्रदर्शन किया।

किसानों ने कहा कि गन्ना पेराई का मौसम इस महीने की शुरुआत में समाप्त हो गया लेकिन 15 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान लंबित है।

मानदंडों के अनुसार, खरीद के 14 दिनों के भीतर भुगतान हो जाना चाहिए।

किसान अनाज मंडी में जमा हो गए और अपनी मांग को लेकर मार्च निकाला। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए।

किसानों ने कहा कि इस साल उन्हें गेहूं, सरसों और आलू की फसल का नुकसान हुआ है और अब गन्ने का भुगतान अटका हुआ है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है, "सरकार ने किसानों की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया। हम करीब एक महीने से धरना दे रहे हैं लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।"

किसान मंच के जिला सचिव अंबुज श्रीवास्तव कहते हैं, "हर साल गन्ना किसानों को उनके भुगतान के लिए विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जाता है। गन्ना पेराई 20 मई को समाप्त हो गई और 15 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान अभी भी बकाया है। किसानों को भी अपने खर्च को पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत है। हमें केवल आश्वासन दिया जा रहा है। हमने भुगतान के लिए 15 जुलाई को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।"

किसान नेता ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर सकती कि ये कंपनी गन्ना नियंत्रण अधिनियम के तहत अनिवार्य 14-दिवसीय भुगतान चक्र का पालन करे। बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड (बीएचएसएल) और कुछ अन्य मिलों ने भुगतान की समय-सीमा सख्त होने के बाद भी किसानों को भुगतान के लिए 12-14 महीने तक इंतजार करवाया था।

सीतापुर में 5 गन्ना की मिलें हैं जिसमें बिसवां, रामगढ़, जवाहरपुर और महमूदाबाद की मिलें हैं। महमूदाबाद चीनी मिल ने 22 लाख रुपये, हरगांव चीनी मिल ने 1.76 करोड़ रुपये, रामगढ़ चीनी मिल ने 1.03 करोड़ रुपये, बिसवां चीनी मिल ने 1.14 करोड़ रुपये और जवाहरपुर चीनी मिल ने 1.31 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है।

इन मिलों के पेराई सीजन के दौरान सभी चारों चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को पूरा भुगतान कर दिया। महमूदाबाद सहकारी चीनी मिल ने अभी तक कोई पैसा नहीं दिया है।

महमूदाबाद सहकारी चीनी मिल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने किसानों से कहा, 'वरिष्ठ अधिकारियों से विचार-विमर्श कर किसानों के 15 करोड़ रुपये के लंबित भुगतान की राशि जैसे ही मिलती है उपलब्ध करा दी जाएगी।"

लखीमपुर की स्थिति भी इसी तरह है

यही हाल पड़ोसी जिला लखीमपुर खीरी का है। भारतीय किसान संघ (बीकेयू)-शक्ति संगठन के बैनर तले किसानों ने शनिवार को बैठक कर गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं होने पर 15 जुलाई को विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया।

बीकेयू (शक्ति संगठन) के जिलाध्यक्ष संतोष सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में किसानों ने बजाज चीनी मिल समूह सहित चार चीनी मिलों में 2021-22 के पेराई सीजन के लिए 966.37 करोड़ रुपये के गन्ना भुगतान के मुद्दे पर चर्चा की।

सिंह ने कहा है कि गन्ना पेराई सीजन 2021-22 के आठ महीने बीत चुके हैं लेकिन भुगतान नहीं मिला है।

उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा, "13 दिसंबर 2021 को इन चीनी मिलों ने 14 दिनों में भुगतान करने का लिखित समझौता किया था। जिले के मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार सिंह ने सर्टिफिकेशन करके किसानों को 14 दिनों में भुगतान करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, आठ महीने बाद भी, किसानों को भुगतान नहीं किया गया है।"

जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह के अनुसार, 11 सितंबर तक जिले भर के गन्ना किसानों का बकाया भुगतान 966.37 करोड़ रुपये है।

"लाखों जिला किसानों की चार निजी चीनी मिलों पर कुल बकाया राशि 966.37 करोड़ रुपये है। बजाज हिंदुस्तान समूह, गोला, पलिया और खंभरखेड़ा की तीन चीनी मिलों पर 803.66 करोड़ रुपये के गन्ना का बकाया है। इस बीच, बजाज समूह का खात गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल गया क्योंकि ये कंपनी बैंकों का कर्ज नहीं चुका पा रही है।" ऐसे में खीरी के किसानों ने पूछा है कि, "ऐसी स्थिति में किसानों का भुगतान कैसे होगा?"

इस बीच, हाल ही में समाप्त गन्ने के सीजन में, राज्य की 120 मिलों ने किसानों से 35,198 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा था। 6 जुलाई की रिकॉर्ड के अनुसार राज्य के गन्ना विभाग में 5 जुलाई तक राज्य में सभी मिलों पर किसानों का बकाया 7,400 करोड़ रुपये था। राज्य में 14 चीनी मिलों को चलाने वाला सबसे बड़ा डिफॉल्टर निजी स्वामित्व वाला बजाज समूह है और 3,200 करोड़ रुपये के लंबित बकाया राशि का 38.5% हिस्सा है।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः

UP: Farmers In Sitapur, Lakhimpur Threaten Massive Movement on July 15 if Outstanding Cane Dues not Paid

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