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बनारस: बुद्ध की धरती सारनाथ में बिलक़ीस के लिए मांगा गया न्याय, भाजपा पर तीखे प्रहार

"केंद्र की भाजपा सरकार देश को जाति और धर्म के आधार पर तोड़ने का प्रयास कर रही है। इसी साल होने वाले गुजरात विधानसभा में सियासी लाभ उठाने के मकसद से भाजपा ने कातिलों को छोड़वा दिया। बिलक़ीस बानो के साथ हुए अत्याचार को भारत में भुलाया नहीं जा सकता है।"
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उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध स्थल सारनाथ में जनसरोकार के लिए संघर्ष करने वाले वाराणसी के लोगों ने गुजरात दंगा प्रभावित गैंगरेप पीड़िता के समर्थन में विरोध मार्च निकाला। सारनाथ स्थित म्यूजियम के समाने प्रेरणा कला मंच के स्वयंसेवकों ने जनगीत गाए और बिलक़ीस बानो को समर्थन दिया। जॉइंट एक्शन कमिटी, बीएचयू और दखल संगठन ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था।

विरोध मार्च के बाद कार्यक्रम स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए बनारस शहर के प्रबुद्ध नागरिकों और एक्टिविस्टों ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया। साथ ही यह भी कहा कि पहल की यह मुहिम अन्याय के खिलाफ है। इसके जरिये भारत को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। सिर्फ बुद्ध ही बिलक़ीस को न्याय दिलाने का माध्यम बन सकते हैं।

विरोध सभा में वक्ताओं ने यह भी कहा, "देश के लिए शर्म की बात है कि भाजपा सरकार उन लोगों की हिमायती बन गई है जो जिनके कृत्य बर्बर और आतातायी रहे हैं। 27 फरवरी 2002 को गुजरात में साबरमती ट्रेन में आगजनी के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगे के दौरान हथियारबंद दंगाई बिलक़ीस बानो के घर में घुस गए थे। 5 माह की गर्भवती बिलक़ीस के साथ उन्होंने न सिर्फ सामूहिक बलात्कार किया, बल्कि तीन साल की बच्ची का सिर दीवाल पर पटककर उसकी हत्या कर दी थी। परिवार सदस्यों में सदस्यों में सात को मौत के घाट उतार दिया गया था। मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2008 में सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, लेकिन गुजरात सरकार ने आश्चर्यजनक तरीके से पाशवी प्रवृत्ति के लोगों को जेल से रिहा कर दिया।"

वक्ताओं ने यह भी कहा, "केंद्र की भाजपा सरकार देश को जाति और धर्म के आधार पर तोड़ने का प्रयास कर रही है। इसी साल होने वाले गुजरात विधानसभा में सियासी लाभ उठाने के मकसद से भाजपा ने कातिलों को छोड़वा दिया। बिलक़ीस बानो के साथ हुए अत्याचार को भारत में भुलाया नहीं जा सकता है। यह किसी न किसी तरह से सामने जरूर आएगा। भले ही बीजेपी इसके बारे में एक शब्द भी नहीं बोल रही है, लेकिन वो इस तथ्य को नहीं छिपा सकती है कि सभी 11 दोषियों का हीरो की तरह स्वागत हुआ है। उस आयोजन के पीछे बीजेपी का हाथ था, क्योंकि उसके समर्थन के बिना गुजरात में कोई भी ऐसा नहीं कर सकता। गुजरात में हिंदुत्व कार्ड खेलने की एक सोची-समझी रणनीति है। गुजरात की जेलों में आज महिला संबंधित अपराधों में लगभग 450 दोषी बंद हैं। उन सभी को रिहा किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सिर्फ़ इन 11 लोगों को रिहा किया गया। वोट बैंक को फिर से पाने के लिए भाजपा हद तक नीचे गिरती जा रही है।"

विरोध सभा में यह भी कहा गया कि बिलक़ीस बानो मामले में सरकार का कदम उसके बहुसंख्यकवादी एजेंडे के अनुरूप है। इसीलिए भाजपा नेताओं द्वारा इसकी प्रशंसा की जा रही है। साम्प्रदायिक नफरत भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है। सभा में मौजूद लोगों ने एक स्वर में कहा, "हम सांप्रदायिक नफरत, हिंसा और सरकार की जनविरोधी नीतियों को खारिज करते हैं। साथ ही बिलक़ीस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद रखते हैं। यह भी चाहते हैं कि सरकार हत्यारों और बलात्कारियों को पुनः जेल भेजे।" सभा को फादर आनंद, जागृति राही, एकता शेखर व मुनीज़ा खान ने संबोधित किया। सभा का संचालन नंदलाल मास्टर ने किया।

इससे पहले निकाले गए विरोध मार्च में प्रमुख रूप से रंजू, वल्लभ पांडेय, मुनीज़ा, शबनम, दीक्षा, कुंदन, शिवांगी, इंदु, नीति भाई, महेंद्र, सानिया, रैनी, विजेता, प्रतीक, अर्चना, सुरेंद्र, सूबेदार, निर्भय, नीति ऋषभ, मुकेश झंझरवाला, धनंजय, पीयूष, चंदन, रामजनम, फजूल रहमान अंसारी, कैसर जहां, हर्षित, शांतनु के अलावा प्रेरणा कला मंच के एक्टिविस्ट, स्टूडेंट्स, युवा, महिलाएं और बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

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